ऑल वेदर सड़क के नाम पर भारी तबाही की जिम्मेदार है भाजपा सरकार - अंजू मिश्रा
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सचिन शर्मा / हरीश वलेजा
देवस्थल उत्तराखंड में आने वाली भारी तबाही पहाड़ गिरना, पुल टूटना इन सब के पीछे कारण है ऑल वेदर रोड । इस पर विस्तृत जानकारी देते हुए हरिद्वार महानगर महिला कांग्रेस अध्यक्ष अंजू मिश्रा ने इसका कारण बताया।
आज हम देखते हैं कि पहाड़ो में हर तरफ पहाड गिर रहे हैं। सडकें टूट रही है धंस रही है। लोगों के घर तबाह हो रहे हैं ।ऐसा क्यों हो रहा है क्या सरकार को मालूम नही है। लेकिन सरकार को जनमानस का कोई ध्यान नहीं है। क्योंकि सरकार को खनन से दो हजार करोड़ का फायदा होता है। अभी धारचुला जुम्मा गांव में एक दर्जन से अधिक लोग भूस्खलन में कालकल्वित हो गये हैं। स्वास्थ्य के मामले में भी हिमालयी राज्यों में उत्तराखंड सबसे पीछे है। महिलाएं प्रेग्नेंसी के समय सही इलाज न मिलने कि वजह से दम तोड़ देती है। कैग की रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए पर्याप्त बजट नहीं मिल रहा है। खनन की वजह से पुलों की नीव खोखली कर रहा है पांच साल में 32 पुल टूटे 27 जर्जर ।चकरता देहरादून में भारी भूस्खलन। अगर हम सवाल नही उठायेंगे तो हम उजड़ते जायेंगे। हमें कहा जाता है कि आल वैदर रोड आल वैदर रोड का क्या अर्थ है कि हर मौसम में सड़क बिल्कुल सही रहे। लेकिन यह एक महीने भी नही झेल पायी। कर्णप्रयाग मलारी मे भूस्खलन चम्बा और नरेंद्र नगर के बीच सड़क पूरी तरह से धंस गई । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बारह महीने यह रोड चलेगी। पर यह एक महीना भी नहीं चली। उत्तराखंड में 880 कि. मी लम्बी सड़क बनने जा रही है। और सरकार ने अपने बनाए हुए नियामो का उल्लंघन किया। क्योंकि जो चारधाम योजना है। उसमे पर्यावरण के नियमों का ध्यान नहीं रखा गया है यह 1200 हजार करोड़ का प्रोजेक्ट है। यह 890 कि. मी. की परियोजना है। हमारे भारत सरकार के परिवहन सड़क के केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी कहते हैं यह 53 सड़क परियोजना है। जबकि एक ही सड़क बन रही है। जबकि एक ही भारत सरकार है एक ही सड़क मंत्रालय है एक ही परिवहन सड़क मंत्री है। क्योंकि हमारे देश का कानून है जब भी कोई परियोजना लायेंगे तो पर्यावरण को कितना नुकसान हो रहा है यह पर्यावरण प्रभाव आकलन के द्वारा परमीशन मिलती है। बीजेपी सरकार पर जब खुद की बारी आई तो उन्होंने कानून तोड़ते का काम किया उन्होंने 890 कि. मी. की परियोजना को 100 मी से कम का बताकर सुप्रीम कोर्ट से परमीशन ली। हम उत्तराखंड में देखते हैं दशकों तक कि रास्ते में दस पेड़ आ जाये या बीस पेड़ आ जाये तो ग्रामीण इलाकों में सड़क नहीं बनती है। लेकिन यहाँ हजारों की संख्या में पेड़ काट दिए गए।केन्द्र सरकार ने ऎसा चोर दरवाजा निकाला कि उसके नतीजे यह आया कि चारों ओर विनाश ही विनाश हो रहा है। हम सुप्रीम कोर्ट का मजाक बनाते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी बनाई। कमेटी ने विरोध किया तो उसको विकास विरोधी बता दिया। पन्द्रह दिन से मलारी से चीन की सीमा पर जाने वाली सड़क बंद है। सिर्फ बडे ठेकेदारों को पालने के लिए यह किया जा रहा है। कितने घर ध्वस्त हो गये। चौड़ीकरण के नाम पर घरों के नीचे की जमीन खोद दी गई। जिससे घर तबाह हो गये क्या उत्तराखंड ऐसे ही तबाह होता जायेगा। क्या सड़क बनाने के नाम पर विधुत परियोजना के नाम पर। क्या हम पूरे हिमालयी क्षेत्र को हम तबाह कर देंगे। विकास के नाम पर विकास का राक्षस हमारी जमीन हमारे जंगल हमारे घरो हमारे बाल बच्चों को खाए जा रहा है। सरकार को यह समझ क्यों नहीं आता कि जितना पैसा हम खनन के द्वारा अपनी कमाई करते हैं। उससे ज्यादा हमारे टैक्स का पैसा और सरकार का पैसा इन परियोजनाओं में लगता है। हम अपनी जान मान हानि का नुकसान तो करते ही हैं साथ में हम अपने पर्यावरण को और हिमालय क्षेत्र को बहुत भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। जिसकी भरपाई हम कभी पूरी नहीं कर पायेंगे।