मोहनदास की तरह ही अनसुलझी न रह जाए नरेंद्र गिरी की मौत की गुत्थी!
मोहनदास की तरह ही अनसुलझी न रह जाए नरेंद्र गिरी की मौत की गुत्थी!
[2017 से लापता हैं अखाड़ा परिषद के प्रवक्ता]
सबसे तेज प्रधान टाइम्स
-कुमार दुष्यंत
हरिद्वार।अखाड़ा परिषद अध्यक्ष नरेंद्र गिरी की मौत की गुत्थी को सुलझाने में सीबीआई जुटी हुई है।लेकिन मामले के सूत्र इतना उलझे हुए हैं कि लोगों को लगता है कि कहीं यह मामला भी हरिद्वार के बड़े अखाड़े के संत मोहनदास की गुमशुदगी की ही तरह अनसुलझा न रह जाए।कनखल स्थित बड़े अखाड़े के कोठारी व राष्ट्रीय अखाड़ा परिषद के प्रवक्ता महंत मोहनदास 15 सितंबर 2017 को हरिद्वार से मुंबई जाने के लिए निकले थे लेकिन वह ट्रेन से ही रहस्यमयी तरीके से गायब हो गए थे। तब भी महंत नरेंद्र गिरी की मौत की ही तरह उनकी संदिग्ध गुमशुदगी पर भी सैंकड़ों सवाल उठे थे। मामले को अखाड़े की प्रापर्टीज की खरीद-फरोख्त से भी जोड़कर देखा गया। कुछ करीबी लोगों ने जांच में यह भी बताया कि मोहनदास पर लाखों रुपये की देनदारी थी। पुलिस ने अखाड़े की सम्पत्तियों से जोड़कर भी मामले को देखा और संत के संपर्क में रहे कई प्रापर्टी डीलरों से भी पूछताछ की। लेकिन पुलिस को संत की गुमशुदगी का कोई सूत्र नहीं मिला। रहस्यमयी ढंग से गायब हुए महंत मोहनदास की सीआईयू, एसटीएफ, एलआईयू ने भी उत्तराखंड, यूपी से मुंबई तक तलाश की। जीआरपी व आरपीएफ ने हरिद्वार से मुंबई तक लोकमान्य तिलक एक्सप्रेस का पूरा ट्रेक कई बार छान मारा। लेकिन गायब संत का कोई सुराग नहीं मिला। मोहनदास को न ढूंढ पाने पर जब संतों और अखाड़ा परिषद ने सरकार से नाराजगी जताई तो मुख्यमंत्री त्रिवेंद्रसिंह रावत ने बड़े अखाड़े पहुंचकर संतों को महंत मोहनदास की गुमशुदगी का मामला सीबीआई को सोंपने का प्रस्ताव दिया लेकिन इसपर संत एकमत नहीं हुए। पड़ताल में यह भी सामने आया कि मोहनदास मेरठ में किसी परिचित महिला के पास आया जाया करते थे। लेकिन पुलिस को तमाम सुरागसी पतारसी के बावजूद न वह महिला मिली और न मोहनदास। आखिरकार पुलिस भी थककर बैठ गई। डीजीपी अशोक कुमार का मानना है कि संभवतः मोहनदास अपनी इच्छा से ही कहीं चले गये हैं। विभिन्न सवालों में उलझी मोहनदास की गुमशुदगी पर तभी से रहस्य का आवरण पड़ा हुआ है। क्योंकि अखाड़ा परिषद अध्यक्ष नरेंद्र गिरी की मौत पर भी कई तरह के सवाल हैं। इसलिए लोगों को लगता है कि कहीं अन्यान्य सवालों के उलझाव में महंत मोहनदास की ही तरह महंत नरेंद्र गिरी की मौत का रहस्य भी अनसुलझा न रह जाए।