प्रकृति का शोषण कर रहा है मानव : प्रवेश त्रिपाठी
सबसे तेज़ प्रधान टाइम्स
तलत परवीन
प्रवेश कुमार त्रिपाठी
असिस्टेंट प्रोफेसर, हिंदी
राजकीय महाविद्यालय मंगलौर की कलम से
अवगूढ़ रहस्य प्रकृति का कण मात्र ने अब तक जाना वह खेले खेल निरोल
हम बुनते ताना-बाना
चीत्कार करे प्रकृति क्यों क्या तुमने इस पर सोचा जिस जननी ने जन्म दिया क्यों केश उसी का नोचा व्यवधान करे कोई जब
प्रकृति नटी नर्तन करती
घूम-घूम घूर्णन घहर
चक्रवात चक्रित करती
यदि सकारात्मक सोचो
विज्ञान विकास की माला
अनुचित उपयोग करें जब
बन जाए लूतिका - जाला ।
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- 24-04-24