मर्यादाओं का पालन करना सिखाती है श्री राम कथा : पं. माधव शास्त्री
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पंकज राज चौहान
हरिद्वार। शिव मंदिर समिति सेक्टर वन के द्वारा आयोजित श्री राम कथा के चौथे दिन कथा व्यास पंडित माधव शरण शास्त्री ने श्री राम-जानकी विवाह की कथा सुनाई।
कथा प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि जब भगवान बालक के रूप में थे तो घर से बाहर खेलने के लिए जाते थे। चारों भाई जब खेलते थे तब राम वैसे तो खेल में जीत जाते थे लेकिन बाद में जान-बूझकर हार जाते थे क्योंकि भगवान जीत का श्रेय अपने भाइयों को देना चाहते थे। बस यही राम कथा की मर्यादा हैं,जो भाइयों में प्रेम सिखाती है। जो बड़े-छोटे का भेद बताती है। थोड़े और बड़े होने पर चारों भाइयों को विद्या प्राप्त करने के लिए गुरुकुल में भेजा जाता है। जहां पर सभी को यह शिक्षा दी जाती है कि सबसे पहले प्रात:काल उठकर माता-पिता और गुरु के चरणों की वंदना करनी चाहिए। उनके द्वारा बताए गए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए।
आर्यावर्त (भारत) की संस्कृति कैसी है,यह गुरुकुल में रहकर ही सिखाया जाता था। बड़े दुख का विषय है कि आज देश में संस्कृति नहीं सिखाई जाती अपितु अंग्रेजी बोलकर धन कमाना सिखाया जाता है। यदि संस्कृति ही नहीं बचेगी तो यह भारतवर्ष कैसे बच पाएगा? यदि अपनी संस्कृति को बचाना है तो सपरिवार श्री राम कथा का श्रवण करना आवश्यक हैै।
कथा प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए व्यास जी ने कहा कि ऋषि विश्वामित्र राक्षसों का सफाया करने के लिए राजा दशरथ से राम व लक्ष्मण को मांगने आते हैं। श्री राम और लक्ष्मण मिलकर उन राक्षसों का सफाया करते हैं जो ऋषि-मुनियों को परेशान किया करते थे तथा शिला बनी अहिल्या का उद्धार करते हैं। जनकपुर से निमंत्रण मिलने पर विश्वामित्र राम-लक्ष्मण के संग जनकपुर जाते हैं। वहां जाकर वाटिका में फूल लाते समय माता जानकी व भगवान राम का प्रथम मिलन होता हैै अर्थात् भगवान का भक्ति के साथ मिलन होता है। जब माता सीता मां पार्वती के मंदिर पूजा करने जाती हैं तब माता से यही कहती हैं कि मेरे पति भगवान श्री राम हों। माता गिरिजा अर्थात पार्वती भी सीता से कहती हैं कि तू चिंता मत कर,जैसे राम ने मुझे मेरे पति से मिलाया था उसी प्रकार आज अवसर आ गया है,मैं भी तुमको राम से मिलाकर अपना वचन पूरा करूंगी। जैसे ही सीता जी ने माता के आगे अपना शीश झुकाया,उसी वक्त माता की पहनी हुई माला सीता के गले में आकर पड़ गई,अर्थात् माता पार्वती की स्वीकृति प्राप्त हो गई। स्वयंवर में श्री राम ने शिव धनुष तोड़कर सीता के साथ विवाह किया।
इस दौरान मां जानकी और श्री राम जी का विवाह बड़े ही हर्षोल्लास के साथ शिव मंदिर में मनाया गया।
कथा में मुख्य यजमान तेज प्रकाश,रेनू,बृजेश शर्मा,आदित्य गहलोत,राकेश मालवीय,जयप्रकाश,होशियार,विष्णु,अनिल चौहान,दिलीप गुप्ता,विजय,विभा गौतम,सुमन,कुसुम,अलका,भावना,पुष्पा,राज किशोरी मिश्रा,मानदाता,रामकुमार महेश,अन्नपूर्णा,अंजू,संतोष,दीपिका,सलोनी,ऋषि, सरला,सुनील चौहान,दिनेश उपाध्याय,रेनू शर्मा आदि लोग उपस्थित रहे।