भक्ति के आगे झुक जाते हैं भगवान : पंडित माधव शास्त्री
सचिन शर्मा
हरिद्वार। शिव मंदिर समिति सेक्टर वन के द्वारा आयोजित श्री राम कथा के पांचवे दिवस की कथा व्यास पंडित माधव शरण शास्त्री ने कहा कि भगवान राम ने धनुष तोड़ दिया तब श्री राम के गले में वरमाला डालने आई परंतु श्री राम जी के लंबे होने पर उनके गले में वरमाला नहीं डाल पायी। यह सब देख लक्ष्मण ने सोचा कि आज माता अर्थात् भक्ति का साथ देने का समय आ गया है तभी लक्ष्मण जी ने राम के चरण पकड़ लिए ओर जैसे ही राम जी लक्ष्मण को उठाने के लिए नीचे झुके वैसे हीं माता सीता ने श्री राम के गले मे वरमाला डाल दी।इस कथा से ये शिक्षा मिलती है कि आज भक्ति के सामने भगवान् को झुकना पड़ता है।अतः भक्ति यदि श्रेष्ठ होगी तो भगवान् के दर्शन अवश्य ही होंगे। कथा व्यास जी प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए कहते है इस प्रकार जनक जी ने विवाह पत्रिका अयोध्या भिजवाई। दूत जब पत्रिका लेकर अयोध्या गया तब राजा दशरथ ने विवाह पत्रिका सभी के सामने पढ़कर सुनाई तथा राम व सीता के विवाह की सूचना सभी को दी और बारात जनकपुर् के लिए रवाना हुई जिसमे सभी भाई , नगर के सभी स्त्री-पुरुष बरात में शामिल हुए और जनकपुर की तरफ प्रस्थान किया।ये कथा कहती है कि वही कार्य श्रेष्ठ होता है जिसमें सभी की सहमति होती है प्रसंता होती है पूरी अयोधया की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था क्योंकि सबके प्रिय श्री राम का विवाह उत्सव था। बरात का स्वागत बड़ी ही धूमधाम के साथ किया ।ओर चारों भाइयों का विवाह धूमधाम के साथ संपन्न होता है।यही से हीं बारात ले जाने का प्रारम्भ हुआ है। जानकी की विदाई के समय राजा जनक वह माता सुन य् ना सीता को समझाते हुए कहती हैं की पुत्री एक कुल की रक्षा नहीं करती अपितु दोनों कुल की रक्षा करती है सदा ही अपने पति की सेवा करना, अपने सास-ससुर की सेवा करना उनकी आज्ञा के बिना एक कदम भी घर से बाहर मत रखना और यह कह कर बिलख-२ कर रोने लगी। सीता माता ने अपने घर तोता - मैना भी पाल रखे थे वह भी सीता के वियोग में आज रो रहे हैं उनको भी एहसास है कि आज की सीता कहीं जा रही कि कथा यह बताती है कि आज भारतीय संस्कृति तभी बचेगी जब हम अपनी बेटियों को धर्म का पाठ पढ़ाएंगे क्योंकि जीवन में जो महत्वपूर्ण भूमिका होती है वह एक स्त्री की होती है यदि अपनी बेटियों को धर्म का पाठ नहीं पढ़ाएंगे तो यह संस्कृति अपने देश से विलुप्त हो जाएगी और विनाश होने से कोई नहीं बचा पाएगा।बरात का वर्णन बहुत ही मार्मिक रूप से किया गया श्री राम जानकी विवाह के उपरांत सभी लोग अयोध्या वापस लौट आये।
कथा के मुख्य यजमान तेज प्रकाश, रेनू,बृजेश शर्मा,आदित्य गहलोत, राकेश मालवीय,जयप्रकाश,होशियार,विष्णु,अनिल चौहान,दिलीप गुप्ता,विजय,विभा गौतम,सुमन,कुसुम,अलका,भावना ,पुष्पा,राज किशोरी मिश्रा, मानदाता,चंद्रभान,डोली,अर्चना, कौशल्या, रामकुमार महेश,अनपूर्णा,अंजू,संतोष,दीपिका, सलोनी,ऋषि, सरला,सुनिल चौहान,दिनेश उपाध्याय, रेनू शर्मा आदि लोग उपस्थित रहे ।