वैदिक अंतरिक्ष विज्ञान की सहायता से विश्व गुरु बन सकता है भारत : धीरज शर्मा
शिव प्रकाश शिव
हरिद्वार। 23 मई 2023 को देवपुरा स्थित सीएम कोर्ट परिसर में पंतजलि योगपीठ आयुर्वेद कॉलेज में बीएएमएस कर रहे युवा वैज्ञानिक धीरज शर्मा ने वैदिक अंतरिक्ष विज्ञान के अमूल्य ज्ञान के बारे में जानकारी देते हुए बताया की जो हमारी वैदिक अंतरिक्ष विज्ञान है वह आधुनिक अंतरिक्ष विज्ञान की तुलना में कई गुना अधिक प्रभावी विज्ञान है क्योंकि वैदिक अंतरिक्ष विज्ञान वैज्ञानिक सिद्धांतों से परिणित विज्ञान है हम वर्तमान समय में वैदिक अंतरिक्ष विज्ञान के सिद्धांतों का प्रयोग करके ब्रह्मांड के गूढ़ रहस्य को सुलझा सकते हैं और अंतरिक्ष जगत में नई उपलब्धियां हासिल कर सकते हैं एवं भारत को पुनः विश्व गुरु बना सकते हैं हमारे वेदों में उल्लेखित सिद्धांत वर्तमान समय में सिद्ध साबित होते हैं जोकि हमारे लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है आधुनिक विज्ञान कहती है अंतरिक्ष में गंध होती है जबकि हमारी वैदिक अंतरिक्ष विज्ञान अंतरिक्ष को गंधहीन बताते हैं जो कि बिल्कुल सत्य है आज से हजारों साल पहले ही हमारे वेदों में ब्रह्मांड की संपूर्ण स्थिति को सविस्तार रूप से उल्लेखित कर दिया गया था जैसे कि जब पूरा देश ही नहीं अपितु पूरा विश्व संदेह में था की पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है या सूर्य पृथ्वी की परिक्रमा करता है उस समय भारतीय खगोल शास्त्र के प्रकांड विद्वान आर्यभट्ट ने एक छोटे से उदाहरण से देश ही नहीं अपितु पूरे विश्व के संदेह को निसंदेह कर दिया था आर्यभट्ट ने कहा था जब हम किसी नाव में बैठकर यात्रा करते हैं तो हमें किनारों पर स्थित पेड़ पौधे चलते हुए नजर आते हैं परंतु वास्तविकता में ऐसा नहीं होता गतिशील नाव ही होती है उसी प्रकार जब हम पृथ्वी पर निवास कर रहे होते हैं तो हमें सूर्य गतिशील नजर आता है जबकि सूर्य स्थिर है और फिर भी हमें पढ़ाया जाता है की गैलीलियो ने पृथ्वी परिभ्रमण की खोज की यह हमारी वैदिक सभ्यता संस्कृति साहित्य के लिए एक अपमानजनक बात है हमें वेदों का निरंतर अनुसरण करना चाहिए और वैदिक सिद्धांतों का वर्तमान समय के अंदर सभी क्षेत्रों में प्रयोग करना चाहिए क्योंकि वेद ही एकमात्र ऐसी विद्या है पद्धति है जिसके माध्यम से हम देश ही नहीं अपितु पूरे विश्व को विकसित बनाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं जो हमारी वैदिक सभ्यता संस्कृति साहित्य है यह हमारे देश की ही नहीं अपितु यह मानव जीवन की भी एक अमूल्य संपत्ति है हमारे वेदों में हजारों साल पहले ही बताया गया था की चंद्रमा का कोई प्रकाश नहीं होता वह सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होता है जबकि हमें पढ़ाया गया की सूर्य के प्रकाश से चंद्रमा प्रकाशित होता है यह खोज एन एक्स का गौर एक विदेशी वैज्ञानिक ने की जोकि अपने आपके अंदर एक मिथ्य कथन है हम समस्त भारतवासियों को नित्य वेद का पठन-पाठन करना चाहिए एवं वेदों के उत्कृष्टसिद्धांतों को वर्तमान समय में प्रयोग करना चाहिए मैं उत्तराखंड राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से निवेदन करना चाहूंगा कि वह हरिद्वार नगर के अंदर भारतीय खगोल शास्त्र के प्रकांड विद्वान आर्यभट्ट की मूर्ति को स्थापित करें जिससे कि समस्त भारतवासियों को अंतरिक्ष जगत का एक नया संदेश प्राप्त हो सके।
इस अवसर पर कृष्ण लाल बाली एडवोकेट तथा सुशील कुमार रोहिल्ला एवं द्रव्य गुण शास्त्र के विद्वान डॉक्टर राजेश कुमार मिश्रा उपस्थित रहे।