गुमनामी की अंधेरे में गुम हुए स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय जोशी
दया जोशी
सबसे तेज प्रधान टाइम्स
बागेश्वर/हल्द्वानी। स्वतंत्रता आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय तारा दत्त जोशी को शायद सरकार भूल चुकी है। आजादी के वर्षों बाद भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व आश्रितों को तराई में कहीं जमीन नहीं दी गई, जबकि सेनानी स्व. तारा दत्त जोशी के साथ वालों को तराई के हरिपुरा हरसान, शांतिपुरी तथा देवरिया किच्छा आदि क्षेत्रों में जमीन दी जा चुकी है।
तड़ीगांव, क्वेराली जनपद बागेश्वर निवासी स्वर्गीय तारा दत्त जोशी ने आजादी की लड़ाई में अहम योगदान दिया। स्व. जोशी पंडित गोविंद बलल्भ पंत के बेहद करीबी थी। स्वर्गीय जोशी ने बद्री दत्त पाण्डे और देवकीनंदन पाण्डे का भी सहयोग किया। स्वर्गीय जोशी गढ़वाल व कुमाऊं का पैदल भ्रमण कर अंग्रेजों के ठिकानों का पता लगाकर इसकी सूचना अन्य आंदोलनकारियों को देते थे। जिस कारण अंग्रेज सैनिक के हमले में उनका बाया पांव टूट गया। सरकार द्वारा स्वर्गीय जोशी को केवल पेंशन दी जा रही थी। वर्ष 1977 में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तारा दत्त जोशी का निधन हो गया। तद्पश्चात उनकी धर्मपत्नी माधवी जोशी को भी मात्र पेंशन ही दी गई। अन्य किसी प्रकार की कोई सुविधा उन्हें नहीं मिली। सन 1994 में उनका भी निधन हो गया। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का एक पुत्र है। वर्ष 2015 में उनका भी निधन हो गया। केंद्र सरकार ने स्वतंत्रता सेनानियों के लिये वर्ष 2016 में कुटम्ब उत्तराधिकारी पेंशन चलाई। इस योजना का लाभ मात्र पेंशन के रूप में पुत्रवधु को मिल रहा है।
अब स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का पौत्र गणेश दत्त जोशी सरकार से न्याय की गुहार लगा रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के परिवार की उपेक्षा की है। उन्होंने सरकार से मांग करते हुये अन्य स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की भांति तराई में जमीन देने की अपील की है। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. तारा दत्त जोशी का नाम जनपद बागेश्वर के सेनानियों की सूची में प्रथम स्थान पर अंकित है।