मसूरी एमपीजी कॉलेज में साहित्य परिषद द्वारा प्रमुख छायावादी कवयित्री महादेवी वर्मा की जयंती पर किया याद
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सुनील सोनकर
मसूरी के म्युनिसिपल पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में साहित्य परिषद द्वारा वसन्तोत्सव में आयोज्यमान गतिविधियों की श्रृंखला में प्रमुख छायावादी कवयित्री महादेवी वर्मा की जयंती मनायी गयी। इस मौके पर काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें कवियों ने महादेवी वर्मा के संस्मरणों के साथ जहाँ वसंत ऋतु के रंग बिखेरे वहीं होली की फुहार भी बरसायी। डाॅ. राम विनय सिंह समेकित राष्ट्र की संचेतना का पर्व है होली, मनुज की मानवीय संवेदना का पर्व है होली। नदीम बर्नी ने इंसानियत को रेखांकित करते हुए कहा, सोच अच्छी हो तो जीशान बना देती है, सोच इन्सान को इन्सान बना देती है। मशहूर शायर शादाब मशहदी ने कहा, नदियों की अविरल धारा को दुलराया, मैंने तटबंधों का गीत नहीं गाया। डा. राकेश बलूनी ने श्रंगों की पहचान कहाँ है जाति धर्म अरु बोली की, ये तो हो जाते दीवाने फागुन में हर होली की। नीता कुकरेती ने साँक्यों बिटि खड़ा छन पहाड़ हमतैं धै छन लगौणाश् काव्यगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए काॅलेज के प्राचार्य डाॅ. सुनील पवार ने कहा कि गिरने लगे हैं बूढे पात, नयी कोंपलें आने को हैं, न ही विक्षोभ टूटे पल्लव पर देखो वसंत आने को है। सुना कर वसंत का स्वागत किया। देहरादून हिन्दी साहित्य समिति के महामंत्री हेमवती नंदन कुकरेती ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। संचालन संस्कृत विभाग के अध्यक्ष डॉ. प्रमोद भारतीय ने किया। अतिथियों का स्वागत हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ. रमेश चैहान ने किया। कार्यक्रम में डॉ. ललित मोहन उपाध्याय, डॉ. गंगा शरण, शिप्रा शाह, छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष प्रिंस तथा अन्य वर्तमान पदाधिकारी मौजूद थे।