भारत की सुप्रसिद्ध लेखिकाओं का मार्गदर्शन विद्यालय के छात्र/छात्राओं व अभिभावकों को प्राप्त हुआ।
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सैफ अली सिद्दीकी
हल्द्वानी।शुक्रवार को विश्व पुस्तक दिवस के सुअवसर पर दीक्षांत इंटरनेशनल स्कूल द्वारा साहित्य के प्रति छात्रों की रुचि जागृत करने के लिए एवं पुस्तकों के प्रति रुझान जगाने के लिए तकनीकी माध्यम (ऑनलाइन ज़ूम मीट) पर तीन प्रभावशाली पुस्तक-पठन सत्रों का आयोजन किया गया। जिसमें भारत की सुप्रसिद्ध लेखिकाओं का मार्गदर्शन विद्यालय के छात्र/छात्राओं व अभिभावकों को प्राप्त हुआ।
प्रथम इंटरैक्टिव सत्र प्रख्यात लेखिका सुश्री नंदिता नायर के साथ सुबह 9:00 बजे से 10:00 बजे तक चला। जिसमें कक्षा -नर्सरी से कक्षा दो तक के नन्हे-मुन्ने छात्रों एवं अभिभावकों ने भाग लिया | बच्चों को रोचक माध्यम से कहानियाँ सुनाई गई एवं पुस्तकों को पढ़ने के लिए प्रेरित किया गया । नंदिनी नायर 58 पुस्तकों की पुरस्कार विजेता लेखिका हैं। तुलिका, कारदी, अमर चित्र कथा, शोलास्टिक, पफिन, हार्पर कॉलिन्स, जुगेरनोट, प्रथम, एकलव्य, टॉकिंग क्यूब और मैंगो जैसे इनकी प्रसिद्ध पुस्तकें हैं। इसके अलावा, नंदिता जी का बच्चों की पत्रिकाओं जैसे टिंकल, हूट, टॉट, डिमडिमा , द चिल्ड्रन्स मैगज़ीन और द हिंदू एंड सकल टाइम्स जैसे अख़बारों में नियमित योगदान रहा है।
द्वितीय इंटरैक्टिव सत्र प्रतिष्ठित पटकथा लेखिका सुश्री रूपल केवलिया के साथ सुबह 10:30 से 11:30 तक चला। जिसमें कक्षा 3 से 5 के विद्यार्थियों एवं उनके अभिभावकों ने प्रतिभागिता की। सुश्री रूपल केवलिया एक स्क्रीनराइटर भी हैं। अहमदाबाद में पेशेवर महिला ड्राइवरों पर उनकी वृत्तचित्र फिल्म उदयन को 2007 में मुंबई में आईडीपीए समारोह में चुना गया था। उनके पहले उपन्यास द लिटिल रेनमेकर को लंदन, 2016 में टाइम्स चिकन हाउस प्रतियोगिता में दुनिया के शीर्ष 20 में सर्वश्रेष्ठ के रूप में चुना गया था |
तृतीय इंटरैक्टिव सत्र प्रसिद्ध लेखिका सुश्री रूपा पाई के साथ दोपहर 12:00 से 1:00 तक चला। जिसमें कक्षा 6 से 10 तक के विद्यार्थियों एवं उनके अभिभावकों ने सहभागिता की | रूपा पाई भारत के सबसे प्रसिद्ध लेखकों में से एक है। ये बैंगलोर में एक कंप्यूटर इंजीनियर भी है, इन्होंने बच्चों के लिए 25 से अधिक किताबें लिखी हैं, उनकी सबसे प्रसिद्ध पुस्तकों में 8-भाग वाली 'तरानाट्स', अंग्रेजी में बच्चों के लिए भारत की पहली काल्पनिक-साहसिक श्रृंखला, 'रेडी’ शामिल हैं! ‘डिकोडिंग द गीता, इंडियाज बुक ऑफ आंसर ’को अब तक 1.5 मिलियन से अधिक बार देखा गया है।
इस अवसर पर दीक्षांत इंटरनेशनल स्कूल के प्रबंधक श्री समित टिक्कू, शैक्षिक प्रबन्धक श्रीमती स्मृति टिक्कू, श्रीमती श्वेता पोद्दार एवं जूनियर शाखा की प्रधानाचार्या श्रीमती गार्गी बिष्ट ने विद्यालय में ‘बुकहॉलिक्स दीक्षांत बुक क्लब’ का शुभारंभ किया गया । कार्यक्रम का कुशल संचालन श्रीमती अपर्णा भट्ट द्वारा किया गया | बुक क्लब के माध्यम से बच्चों को पढ़ने के प्रति जागरूक करने के लिए एक नया कदम उठाया गया हैं। श्रीमान समित टिक्कू ने कहा कि हमारे छात्रों में अनुभव व दृष्टि का विस्तार करने, उन्हें पढ़ने और लिखने के प्रति प्रेरित करने के लिए यह बुक क्लब की स्थापना की गई है | जिससे बच्चों में पढ़ने के प्रति रुचि जागृत हो और उनका चहुमुखी विकास हो सके। बच्चे टीवी और मोबाइल की दुनिया की ओर आकर्षित न होकर पुस्तक पढने की ओर आकर्षित हों| उन्होंने कहा संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन के द्वारा पढ़ने, प्रकाशन और कॉपीराइट को बढ़ावा देने के लिए प्रतिवर्ष 23 अप्रैल को विश्व पुस्तक दिवस आयोजित किया जाता है। अत: यह दिन बुकहॉलिक्स दीक्षांत बुक क्लब’ का शुभारंभ के लिए उपयुक्त है। कार्यक्रम को सफल बनाने में प्रबलीन, ख़ुशी, रुचि एवम् विद्यालय के अन्य अध्यापिकाओं की अहम भूमिका रही।