भाजपा शिवालिक नगर मंडल में सभी बूथ पर आमजन के साथ सुना गया मन की बात कार्यक्रम :गौरव पुंडीर
भाजपा शिवालिक नगर मंडल में सभी बूथ पर आमजन के साथ सुना गया मन की बात कार्यक्रम :गौरव पुंडीर
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पंकज राज/रंजीत गौतम
हरिद्वार।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मन की बात कार्यक्रम भाजपाइयों ने बूथ स्तर पर सुना। इस दौरान महिला मोर्चा मंडल अध्यक्ष शीतल पुंडीर नवोदय नगर जाकर महामंत्री दीपमाला गुप्ता के निवास स्थान पर कार्यकर्ताओं के साथ मन की बात सुनने पहुंची।महिला अध्यक्ष शीतल पुंडीर ने कहा कि विश्व का प्रथम व्यक्ति हो, या किसी ग्राम का अंतिम व्यक्ति, प्रधानमंत्री विभिन्न संचार माध्यमों से संपर्क रखते हैं। देश को ऐसा नेतृत्व मिला है, जिसने न सिर्फ भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को निखारा है, बल्कि विकास के नए आयामों को छूकर भारतीय परिवारों के रहन-सहन के स्तर को भी ऊंचा किया है। मंडल सोशल मीडिया प्रभारी गौरव पुंडीर ने बताया कि आज शिवालिक नगर मंडल में प्रत्येक बूथ पर बूथ अध्यक्षों शक्ति केंद्र संयोजको ने सैकड़ों की संख्या मे क्षेत्रवासियों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का मन की बात कार्यक्रम सुना! उन्होंने आगे बताया कि आज मोदी जी ने मन की बात में वर्ल्ड रिवर डे’ यानी ‘विश्व नदी दिवस’ के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां दी मोदी जी ने मन की बात मै बताया कि हमारे यहाँ कहा गया है –“पिबन्ति नद्यः, स्वय-मेव नाम्भःअर्थात् नदियाँ अपना जल खुद नहीं पीती, बल्कि परोपकार के लिये देती हैं | हमारे लिये नदियाँ एक भौतिक वस्तु नहीं है, हमारे लिए नदी एक जीवंत इकाई है, और तभी तो, तभी तो हम, नदियों को माँ कहते हैं | हमारे कितने ही पर्व हो, त्यौहार हो, उत्सव हो, उमंग हो, ये सभी हमारी इन माताओं की गोद में ही तो होते हैं |आप सब जानते ही हैं – माघ का महीना आता है तो हमारे देश में बहुत लोग पूरे एक महीने माँ गंगा या किसी और नदी के किनारे कल्पवास करते हैं | अब तो ये परंपरा नहीं रही लेकिन पहले के जमाने में तो परंपरा थी कि घर में स्नान करते हैं तो भी नदियों का स्मरण करने की परंपरा आज भले लुप्त हो गई हो या कहीं बहुत अल्पमात्रा में बची हो लेकिन एक बहुत बड़ी परंपरा थी जो प्रातः में ही स्नान करते समय ही विशाल भारत की एक यात्रा करा देती थी, मानसिक यात्रा! देश के कोने-कोने से जुड़ने की प्रेरणा बन जाती थी | और वो क्या था भारत में स्नान करते समय एक श्लोक बोलने की परंपरा रही है-गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति |नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिं कुरु ||