पवित्र नदियों में बढ़ता प्रदूषण, चिंताजनक:सचिन बेदी
पवित्र नदियों में बढ़ता प्रदूषण, चिंताजनक:सचिन बेदी
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मनोज ननकानी / हरिश वलेजा
हरिद्वार।उत्तराखंड की प्रमुख नदियों की दयनीय स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए अधिवक्ता सचिन बेदी ने कहा कि उत्तराखंड राज्य जिसे देवभूमि के नाम से भी जाना जाता हैं। उत्तराखंड गंगा,यमुना, कोसी,काली नदी एवं शिप्रा जैसी अनेक प्रमुख नदियों का उदगम स्थल होने के साथ-साथ तीर्थ स्थल भी हैं। यह देवभूमि पूरी देश दुनिया में विश्वविख्यात हैं तथा धार्मिकता के क्षेत्र में अपना एक विशेष एवं महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। इस कारण देश के कोने-कोने से यहां भक्त श्रद्धालुओ का आवागमन निरंतर लगा रहता हैं। यहां की पवित्र नदियां लाखों-करोड़ों लोगों की आस्था का प्रतीक मानी जाती है। परंतु दिन प्रतिदिन यह नदियां लोगों की लापरवाही की वजह से अपना अस्तित्व खोते हुए नजर आ रही हैं।प्रदेश में रहने वाले तथा बाहर से आने वाले लोगों के द्वारा न तो पर्यावरण के प्रति और न ही यहां की नदियों के प्रति कोई सावधानियां बरती जा रही हैं। जिस कारण यहां की नदियों का अस्तित्व निरंतर खतरे में पड़ता जा रहा हैं। उत्तराखंड की नदियों की दयनीय स्थिति तथा दृश्यों को देखकर व पढ़-सुनकर मन अत्यधिक द्रवित और व्याकुल हो उठता है। ऐसे लेख को पढ़कर व चित्रों को देखकर यह आभास हो गया कि यदि यह सब कुछ इसी प्रकार चलता रहा तो निकट भविष्य में अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। भविष्य में अनेक दुश्वारियां पैदा हो जाएंगी जिनका सामना करना बड़ा कठिन व मुश्किल हो जाएगा। नदियों की सुरक्षा व साफ-सफाई व अस्तित्व को बचाने के लिए अनेक सरकारी व गैर सरकारी संस्थाएं काम कर रही है,परंतु बावजूद इन सबके नदियों का अस्तित्व लगातार खतरे में पड़ता जा रहा है। कहीं नदियों में कूड़ा बहाया जा रहा है तो कहीं नदियों में सीधे सीवर और नाले गिर रहे हैं,जो लगातार उन नदियों को दूषित कर रहे हैं। कई लाखों-करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद भी सरकारी और प्राइवेट संस्थाएं भी इन नदियों को स्वच्छ रख पाने में नाकामयाब साबित होती नजर आ रही है। कहीं-कहीं पर नदियों में ही कूड़े के ढेर जमा हो गए हैं। जो कि एक गंभीर चिंता का विषय बनता जा रहा है। यदि समय रहते इस ओर ध्यान ना दिया गया तो शीघ्र ही इसके गंभीर परिणाम सामने आएंगे जो हम सबको भुगतने होंगे। उत्तराखंड वासी हो या उत्तराखंड में आने वाला प्रत्येक भक्त श्रद्धालु प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से नदियों को दूषित करने के लिए जिम्मेदार है। लोगों द्वारा बरती जा रही निरंतर लापरवाही के कारण ही नदियों का अस्तित्व लगातार खतरे में पड़ता जा रहा है। यदि समय रहते सचेत ना हुए तो यही नदियां निकट भविष्य में भारी तबाही का कारण बनेगी। इसलिए इस विषय को गम्भीरता से लेते हुए इस दिशा में आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए,ताकि भविष्य में होने वाली अप्रतियाशित आपदा को टाला जा सके।