भेल के मान्यता चुनाव में ऐबू यूनियन ने भेल हीप हरिद्वार में किया नॉमिनेशन
पीयूष जाटव
हरिद्वार: भेल के मान्यता के चुनाव मे ऐबू यूनियन ने भेल,हीप,हरिद्वार मे किया नॉमिनेशन। AIBEU ( ऐबू ) यूनियन के महामंत्री गगन वर्मा ने यूनियन की ओर से नॉमिनेशन फाईल किया। यूनियन के अध्यक्ष कुमोद श्रीवास्तव ने बताया की ऐबू यूनियन प्रबंधन द्वारा धीरे धीरे कर्मचारियों को मिल रही सुविधायों को सेंट्रल लीडर्स की निष्क्रियता के कारण न्यूनतम स्तर पर पहुंचा दिया है, प्रबंधन लगातार कर्मचारियों के अधिकारों का हनन करती जा रही हैं ओर केंद्रिय नेता मुक सहमति प्रदान करते जा रहे। ऐबू के महामंत्री गगन वर्मा ने बताया की यही हाल क़्वालिफाइंग यूनियंस का है वे अपनी नाकामी छुपाते हुए केवल सेंट्रल लीडरो को ही पिछले 6 वर्षो से कोसते रहे हैं,लोकल स्तर की समस्या जैसे हॉस्पिटल मे दवाई एवं डाक्टर्स की कमी,मोर्चरी की अव्यवस्था, कैंटीन की समस्याएं,स्टेट की बदहाल व्यवस्था,व्हाइट वाश,सीवर लाइन चौक होने की समस्या, दस्ताने,कवाटरों के मेंटिनेन्स जीरो होना,नववर्ष उपहार समय पर ना मिलना,जूता एवं वर्दी समय पर ना मिलना,नाइट अलाउंस कटा कर शिफ्ट टाइम चेंज कराना,इंसेंटिव बंद कराना,सुरक्षा उपकरण व दस्ताने ओर जुट तक उपलब्ध ना होना,इन सब के जिम्मेदार यह् मान्यता प्राप्त ओर क़्वालिफाइंग यूनियंस है जो फिर से झूठे वादों के साथ चुनाव मैदान मे है। ऐबू यूनियन इन सभी समस्याओ के समाधान के लिए पॉलिसीस् को लीगल फॉर्म मे लागु कराने के लिए मैदान मे है ओर कॉर्पोरेट की समस्याओ के समाधान के लिए भेल कर्मचारी को ही केंद्रीय लीडर बनाने के लिए सभी भेल कर्मचारियों से वोट की अपील करती है क्योकि ऐबू ही एक ऐसा संगठन है जो भेल कर्मचारीयो को सेंट्रल लीडर दे सकता है क्योकि ऐबू यूनियन लगभग सभी यूनिटो मे चुनाव लड़ रही हैं।अन्य लोकल यूनियन सेंट्रल लीडर नही दे सकती। AIBEU ( ऐबू ) यूनियन ने सभी भेल कर्मचारियों से वोट की अपील की है। ऐबू ने नारा भी दिया - ना रिटायर ,ना बाहरी, भेल कर्मचारी को बनाये,सेंट्रल लीडर इस बारी। नॉमिनेशन के लिए टीम ऐबू मे ललित सैनी,योगेश सैनी,प्रदीप सैनी, अतुल मिश्रा,राजकुमार,भरत सिंह,सतबीर,मुकेश, नीरज,रमेश,सतेंदर मंडवाल, ओमप्रकाश,विनय कुमार,सुधीर कुमार,सुनील गुप्ता,अवतार सिंह,रंजीत सिंह,बलवंत सिंह,हरभजन, सुनील गुप्ता,हरिनारायण त्रिपाठी,लक्ष्मी कांत,अभिषेक भारद्वाज,पिंटू यादव,मनीष आदि प्रबंधन की चुनावी गाइडलाइन के कारण सिमित संख्या मे शामिल हुये।