सतयुग के रहस्मयी ताल की अनोखी कहानी
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अक्षिता रावत
'झीलों की नगरी ' कहे जाने वाले नैनीताल जिले में कई मनोरम और रहस्मयी झील है, जिनमें से एक है नल- दमयंती ताल। यह भीमताल से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं तथा यह झील सुंदर प्रकृति का आनंद लेने के लिए एक आदर्श स्थान है।
नल दमयंती ताल एक ऐसी जगह है जहां स्थानीय लोगों का कहना है कि प्राचीन राजा नल और उनका पूरा महल पानी में डूब गया था। उनकी पत्नी दमयंती उस दौरान मछलियों को भून रही थीं और झील में मछलियों पर अभी भी जलने के निशान दिखाई देते हैं।
इस झील का नाम राजा “नल” और रानी “दमयंती “ के नाम पर पडा था और इसी ताल में उनकी समाधी बना दी गयी थी| इस ताल का आकार “पंचकोणी” है| उस समय इस ताल से पुरे गाँव में सिचाई की जाती थी। इसमें कभी-कभी कटी हुई मछलियों के अंग दिखाई देते हैं। ऐसा कहा जाता है कि अपने जीवन के कठोर दिनों में नल दमयन्ती इस ताल के समीप निवास करते थे। जिन मछलियों को उन्होंने काटकर कढ़ाई में डाला था वे भी उड़ गयी थीं। कहते हैंए उस ताल में वही कटी हुई मछलियाँ दिखाई देती हैं।नल दमयंती ताल की महत्ता का वर्णन स्कंद पुराण में मिलता है। द्वापर युग में राजा नल को उनके भाई पुष्कर ने छल से हराकर उनका राज्य ले लिया था। राजा नल को पत्नी दमयंती के साथ वनवासी जीवन व्यतीत करना पड़ा वनवास की अवधि में उन्होंने अधिकांश समय इसी स्थान में व्यतीत किया था। मंदिर की स्थापना की समय सीमा भी तब की ही मानी जाती है।
साततालों के एक झील में शामिल नल दमयंती झील के किनारे स्थित शिव मंदिर की बड़ी मान्यता है। सावन के महीने में यहां विशेष पूजा - अर्चना की जाती है। दूरदराज और दूसरें शहरों के लोग भोलेनाथ की पूजा अर्चना के लिए यहां आतें है। पूरे सावन माह में यहां भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते है। सावन के सोमवार को तो यहा मेला जैसा लगा रहता है। माना जाता है कि मंदिर में पूजा -अर्चना से यहां के क्षेत्र में शांति व सुख-समृद्धि बनी रहती है।