अपनी बात रखने को अकेला ही चल पड़ा यह सेना का अवकाश प्राप्त अधिकारी
सुरेश तिवारी
सबसे तेज प्रधान टाइम्स
अल्मोड़ा। अपनी बात रखने के लिए लोग नए-नए तरीके अपनाते हैं, ऐसे ही एक शख्स आज जनपद के सुदूरवर्ती क्षेत्र सल्ट से अपनी यात्रा प्रारंभ कर विशेष वेश-भूषा में अल्मोड़ा पहुंचा और जिलाधिकारी कार्यालय को जाने वाली सीढ़ियों के चबूतरे से भाषण देने लगा। भाषणों में पहाड़ और पहाड़ियों के दर्द की दास्तान सुनाते-सुनाते कहा पहाड़ों में किसानों की दुर्दशा, बंदरों का आतंक, गांव में केवल महिलाओं की उपस्थिति और बॉर्डर पर उनके परिजनों के तैनात रहते हैं। जोर-जोर से जब यह व्यक्ति बोलने लगा तो भाषण को सुनने लोग एकत्र हो गए। बात भी इस व्यक्ति ने जो भी रखी वह जायज ही थी। कहा कि प्रदेश व केंद्र में हम लोगों ने सरकारें दी परंतु पहाड़ के किसानों की ओर दोनों सरकारों का ध्यान नहीं गया। आज गांव घरों में केवल महिलाएं और बच्चे हैं खेती लगातार बंजर होती चली जा रही है जो लोग किसी तरह खेती कर भी रहे हैं तो उन्हें बंदर सूअर सहित अनेक जानवर उजाड़ डालते हैं । कहा कि जानवर घरों के आंगन में आकर आमजन को घायल कर रहे हैं और अनेक लोगों को मौत के घाट तेंदुआ बाघ वह सूअर उतार चुके हैं। कहा कि उत्तराखंड के किसान कई नयी फसल देने के बाद भी अपने हक से वंचित हैं,खेत बंजर होने के बाद भी हम चुप हैं, धिक्कार है ऐसे जन्म को। इस व्यक्ति ने कहा की सरकार को पर्वतीय क्षेत्रों में रह रहे लोगों का विशेष ध्यान रखना होगा। कहा पहाड़ों में रहने वाले अधिकांश युवा देश की सेवा में सीमाओं की रक्षा में लगे हुए हैं और ऐसे में उन ग्रामीणों और सेना के लोगों के परिवार जो गांव में हैं विशेष ध्यान देना सरकार का पहला काम है।
शिव सिंह रावत पूर्व नौ सेना चीफ पैटी अफसर द्वारा जनता को जागरूक करने का अभियान 25 जनवरी को सल्ट से शुरू हुआ जनता को जागरूक अभियान आज अल्मोड़ा पहुंचा यहां माल रोड़ में संबोधित करते रावत ने कहा कि भाईयों जब मैदान का वो किसान जिसके खेत में फसले पैदा हो रही है उसकी खेती में सिचांई की व्यवस्था है खेत तक सड़क है उसके पास 5 लाख से 10 लाख तक टैक्टर है व उसके पास 5 लाख से 50 लाख तक मंहगी गाडी है तो उसके अनाज की खरीददारी के लिए मंडी उपल्बध है जो कई गुना सर्वसंपन है तब भी वह अपने हक के लिए लड़ रहा है तो हम पहाड़ वासी खेतों के बंजर होने पर भी आखिर हम चुप क्यों है।क्या हमारी आत्मा मर चुकी है। या हमारे नसों में रक्त प्रवाह बंन्द हो गया है उन्होंने कहा कि हम क्यो नही अपने खेतों में सिचांई व्यवस्था की मांग उठाते क्यो नही हम सरकार से अपने बाग बंदरों सुवरों की व्यवस्था करने को कहते हम सरकार से चक्बंदी की बात क्यों नही कहते उन्होंने आह्वान किया जो अपने लड़ता उसका अस्तित्व मिट जाता है उन्होंने कहा कि पर्वतीय जन समस्याओं को लेकर में दिल्ली में 15 दिन के अन्दर धरने पर बेठुंगा।