ठेेकेदारी प्रथा में व्यावसायिक शिक्षा,सुधार की दरकार
ठेेकेदारी प्रथा में व्यावसायिक शिक्षा,सुधार की दरकार
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गबर सिंह भण्डारी श्रीनगर गढ़वाल। प्रदेश भर के लगभग 200 सरकारी विद्यालयों में शिक्षा विभाग द्वारा पिछले दो वर्ष पूर्व व्यावसायिक शिक्षा की शुरूआत कर दी गई है जिसमें वर्तमान में राज्य भर के समस्त विद्यालयों के कक्षा 9 एवं कक्षा 10 के लगभग 40000 छात्र -छात्राएं स्कूली शिक्षा के ज्ञान के साथ साथ व्यावसायिक शिक्षा का ज्ञान भी प्राप्त कर रहे हैं। जिससे छात्र-छात्राओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे। परंतु व्यावसायिक शिक्षा का प्रशिक्षण देने वाले प्रशिक्षकों के सामने कई कठिनाइयों का दौर निरंतर चला आ रहा है। जहां एक ओर नई शिक्षा नीति में व्यावसायिक शिक्षा को महत्वपूर्ण बताया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ व्यावसायिक शिक्षा को विभाग के पास न होकर निजी कंपनियों के तहत चलाया जा रहा है। समस्त प्रदेश भर में वर्तमान में 256 व्यावसायिक प्रशिक्षक अपनी सेवाएं दे रहे हैं। वहीं व्यावसायिक प्रशिक्षकों का कहना है कि वे विभिन्न विद्यालयों में कार्यरत होने के उपरांत सुचारू रूप से निष्ठापूर्वक अपने कार्य का निष्पादन कर रहे हैं,परंतु उन्हें कार्य के अनुरूप वेतन नहीं मिल पा रहा है। वर्तमान में व्यावसायिक प्रशिक्षकों को प्राप्त होने वाला महीने का वेतन महज इतना है कि अगर किसी दिहाडी मजदूर की एक दिन की मजदूरी से अगर तुलना की जाय तो उससे भी कम है। जो कि व्यावसायिक प्रशिक्षकों के सम्मान के खिलाफ है।साथ ही व्यावसायिक प्रशिक्षकों का कहना है कि सरकार को उनके साथ हो रहे इस अन्याय पर ध्यान देना चाहिए साथ ही उन्हें अन्य प्रदेशों की तरह विभाग में समायोजित किया जाना चाहिए। वर्तमान में व्यावसायिक शिक्षा के 8 कोर्स विद्यालयों में संचालित किए जा रहे हैं जिनमें आईटी, ऑटोमेटिव, रिटेल, टूरिज्म एंड हाॅस्पिटेलिटी,प्लंबर,इलेक्ट्राॅनिक एंड हार्डवेयर, एग्रीकल्चर, ब्यूटी एवं वेलनेस हैं।