परिक्रमा की काव्य गोष्ठी में बिखरे कविताओं के अनेक रंग
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परिक्रमा की काव्य गोष्ठी में गूंजे कवियों के मनोभाव
हरिद्वार। सांस्कृतिक एवं साहित्यिक मंच परिक्रमा की ओर से भेलके सेक्टर चार स्थित सामुदायिक केंद्र में आयोजित काव्य गोष्ठी में कवियों ने विभिन्न विषयों पर अपनी काव्य कृति प्रस्तुत की इस दौरान कविताओं के अनेक रंग देखने को मिले
माँ शारदे के समक्ष दीप प्रज्वलन तथा पुष्पार्पण के उपरान्त इस गोष्ठी का आरम्भ वरिष्ठ कवि कुंअर पाल सिंह 'धवल' की वाणी वंदना के साथ हुआ।
वरिष्ठ कवि भूदत्त शर्मा ने खूब वाहवाही लूटी साधु राम'पल्लव' ने आगाह किया -'चलती नहीं है ज़िन्दगी सिक्का उछाल कर', तो सत्यदेव सोनी 'सत्य' ने समझाया 'जिसने भी किया काम अपना वक्त पर सोनी, उसको कभी भी हाथों को मलते नहीं देखा', अरुण कुमार पाठक ने महात्मा गांधी जी के आदर्शों की वर्तमान दुर्दशा को कुछ इस तरह बयाँ की - 'हिंसा का नंगा तांडव भारत में जब-जब होता है, चौराहे पर खड़ा-खड़ा तब मेरा गांधी रोता है', श्रीमती नीता नैयर 'निष्ठा' ने अह्वान किया -'लहू देकर भी की है, हमने हिफ़ाज़त जिसकी, उस तिरंगे को ज़हन से लगाये रखना'।
किसानों की तारीफ़ प्रेम शंकर शर्मा 'प्रेमी' ने 'जीवन के हर पहलू में मानव का पेट भरता है, अन्नदाता अन्न देता वह किसान लगता है', अरविन्द दुबे ने समझाया - 'अपना भेद खोल मत देना, आपा मत खो देना तुम', काव्य मंच पर पहली बार उभरीं श्रीमती कंचन ने ईश्वर का शुक्रिया कुछ यूं किया- 'जो भी दिया इस ज़िन्दगी ने, अपार है दिया' तो वहीं राजकुमारी ने उम्मीद जताई -'हुई है रात जब तो फिर, सुबह की हमको आशा है'।
'चलो क्षितिज के पास वहाँ से प्रेम बीज ले आएं- कहा शशि रंजन चौधरी 'समदर्शी' ने तो वरिष्ठ गीतकार सुभाष मलिक ने 'तुम्हें मैं जीत दे दूंगा, मुझे तुम हार दे देना' के साथ अपनी सहृदयता का परिचय दिया। इमरान बदायूँनी ने सुनाया- 'मुझे तो बाग में चिड़ियों के बोल सुनने थे', 'प्रेम मैं देता तुम्हें हूँ, और चाहता बस प्रेम हूँ'- अभिलाषा की डा. देवेन्द्र मिश्र ने तो 'कभी न परचम झुकने देंगे प्यारे हिन्दुस्तान का' के साथ देशप्रेम की हुंकार भरी और मदन सिंह यादव ने तो 'कोरोना का रोना हो ना, स्वच्छता को हाँ कहो ना' की सीख दी। सोनेश्वर कुमार 'सोना' ने स्वच्छ भारत के संदेश को आगे बढ़ाया। महेन्द्र कुमार ने 'धनुष यज्ञ जनक की प्रतिज्ञा थी आन की' के साथ श्रीरामसिया के स्वयंवर का चित्र खींचा। वरिष्ठतम् कवि तथा कविता की अनेक विधाओं के मर्मज्ञ पं. ज्वाला प्रसाद शांडिल्य 'दिव्य' ने गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए सभी कवियों की रचनाओं की समीक्षा की और अपना कविता पाठ करने के साथ ही डेढ़ दोहे की विधा से सभी को अवगत कराया।
इसके अतिरिक्त कुंअर पाल सिंह 'धवल', रियाज़ अहमद 'रियाज़', व अमित कुमार 'मीत' ने भी काव्य पाठ किया। गोष्ठी का संचालन सत्यदेव सोनी 'सत्य' ने किया।