राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान श्रीनगर और टीएचडीसी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी टिहरी के मध्य एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर
राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान श्रीनगर और टीएचडीसी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी टिहरी के मध्य एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर सबसे तेज प्रधान टाइम्स गबर सिंह भण्डारी
श्रीनगर गढ़वाल :-श्रीनगर में अपने शैक्षणिक विकास पथ में एक और मील का पत्थर जोड़ते हुए, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान उत्तराखंड ने टीएचडीसी इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोपावर इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, टिहरी, उत्तराखंड के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया। इस समझौता ज्ञापन पर प्रोफेसर ललित कुमार अवस्थी, माननीय निदेशक एनआईटी उत्तराखंड और प्रोफेसर सरद कुमार प्रधान, निदेशक टीएचडीसी-आईएचईटी द्वारा एनआईटी के श्रीनगर परिसर में स्थित कांफ्रेंस रूम में हस्ताक्षर किया गया।
समझौता ज्ञापन पर चर्चा करते हुए प्रोफेससर अवस्थी ने कहा टीएचडीसी-आईएचईटी के साथ यह समझौता पांच वर्षो की अवधि के लिया गया है इसके उपरांत आपसी सहमति से इसे आगे भी बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा की हाइड्रोपावर के लिए सिविल, हाइड्रोलॉजी, मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग सहित अन्य क्षेत्रों में फैले तकनीकी कौशल के संयोजन की आवश्यकता होती है। इस समझौते के तहत दोनों संस्थान उत्तराखंड राज्य और राष्ट्रीय हित की आवश्यकता के लिए विशिष्ट तकनीकी मानव संसाधन के सृजन में एक दूसरे का सहयोग करेंगे। इसके अलावा इस एमओयू में पारस्परिक रूचि के आधार पर अनुसन्धान और शिक्षा कार्यक्रम; आपसी विषयों पर संयुक्त रूप से अल्पकालिक सतत शिक्षा कार्यक्रम, सेमिनार, सम्मेलन या कार्यशाला आयोजित करना, वित्त पोषण एजेंसियों द्वारा प्रायोजित अनुसंधान या प्रशिक्षण कार्यक्रमों में संयुक्त रूप से प्रस्ताव देना, शिक्षा और अनुसंधान के उद्देश्य के लिए सीमित अवधि के लिए संकाय और छात्रों का आदान-प्रदान करना शामिल है।
इस अवसर पर प्रोफेसर अवस्थी ने घोषणा किया की हमारे संस्थान ने जिन संस्थाओ के साथ एमओयू किया है उनके साथ एक "शैक्षणिक नेटवर्क" स्थापित करने का प्रयास किया जाएगा। इस नेटवर्क से जुड़े सरकारी संस्थाओ में अध्ध्यनरत छात्रों एवं उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इच्छुक कर्मचारियों को एनआईटी, उत्तराखंड के एम टेक प्रोग्राम में प्रवेश के लिए "गेट परीक्षा" की अनिवर्यता से मुक्त रखा जाएगा और केवल साक्षात्कार के आधार पर एडमिशन दिया जाएगा। जबकि निजी संस्थाओ के लिए लिखित परीक्षा और साक्षात्कार दोनों का प्रावधान रहेगा।
प्रोफेसर अवस्थी ने आगे कहा कि दोनों संगठन उत्तराखंड राज्य में स्थित हैं। इसलिए उत्तराखंड की विशिष्ट समस्याओं को हल करने के लिए दोनों संस्थानों के शिक्षक और छात्र एक साथ मिलकर काम कर सकते है। उन्होंने आगे कहा कि बांध परियोजनाएं, सड़कें, सुरंगें उत्तराखंड राज्य के विकास के लिए आवश्यक हैं लेकिन इसके साथ-साथ पारिस्थितिकी और पहाड़ियों की सुरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। दोनों संस्थानों को मिलकर ऐसी तकनीकों को विकसित करने की दिशा में काम करना चाहिए जहां विकास भी बाधित न हो और पारिस्थितिकीय संतुलन भी बना रहे।
प्रोफेसर सरद कुमार प्रधान जी ने भी समझौता ज्ञापन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए प्रोफेसर अवस्थी का समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया और कहा "एनआईटी उत्तराखंड और टीएचडीसी-आईएचईटी के बीच शैक्षणिक सम्बन्ध की यह एक ऐतिहासिक पहल है। उन्होंने आशा व्यक्त की इस समझौते के तहत दोनों संस्थानो के शोध और अनुसन्धान कार्य में उल्लेखनीय वृद्धि के साथ क्षेत्रीय विकास को भी गति मिलेगी।¬¬
डॉ धर्मेंद्र त्रिपाठी, प्रभारी कुलसचिव, ने कहा कि यह टीएचडीसी-आईएचईटी के साथ हमारे आपसी संबंधों की शुरुआत है। दोनों संस्थान सहयोग और साझेदारी के साथ काम करना जारी रखेंगे।
इस मौके पर डॉ हरिहरन मुथुसामी, डीन रिसर्च एंड कंसल्टेंसी, डॉ जी एस बरार, डीन प्लानिंग एंड डेवेलोपमेंट, डॉ स्मिता कलोनी, समन्वयक डीआईसी, डॉ सनत अग्रवाल, डॉ पवन राकेश, डॉ हरदीप के अलावा संस्थान के अन्य संकाय सदस्य उपास्थि थे।