कलावा बांधने से प्राप्त होती है त्रिदेव कृपा/मौली का धार्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व
कलावा बांधने से प्राप्त होती है त्रिदेव कृपा/मौली का धार्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व
सबसे तेज प्रधान टाइम्स गबर सिंह भण्डारी
श्रीनगर गढ़वाल :- आज आपको कलावा/मौली का धार्मिक एवं वैज्ञानिक महत्व के बिषय में जानकारी से अवगत कराते हैं कलावा को रक्षा सूत्र भी कहा जाता है,माना जाता है कि कलाई पर इसे बांधने से जीवन पर आने वाले संकट से रक्षा होती है,इसका कारण यह है कि कलावा बांधने से ब्रह्मा, विष्णु और महेश त्रिदेव की कृपा प्राप्त होती है, धार्मिक महत्व रखने के साथ साथ कलावा बांधना वैज्ञानिक तौर पर भी काफी लाभप्रद है। आज आपको ज्योतिषाचार्य अजय कृष्ण कोठारी कलावा के महत्व एवं लाभ पर विस्तार से बता रहे हैं .सनातन परंपरा में कलावा बांधने की शुरूआत देवी लक्ष्मी और राजा बलि ने की थी,हिन्दू पूजा पाठ में हाथ में कलावा बांधा जाता है,कलावा को मौली भी कहते हैं,परंपरा के अनुसार किसी भी कार्य की शुरूआत करते समय या नई वस्तु को खरीदने पर उसे कलावा बांधा जाता है,इसके पीछे का तात्पर्य ये है कि वह वस्तु या कार्य हमारे जीवन में शुभ फलकारी सिद्ध हो,हिन्दू धर्म में कलावा मात्र एक धागा नहीं है बल्कि इसके पीछे धार्मिक,वैज्ञानिक और ज्योतिषीय महत्व छिपा हुआ है.कलावा बांधने से ब्रह्मा, विष्णु और महेश त्रिदेव की कृपा प्राप्त होती है,कलावा कच्चे सूत के धागे से बना होता है, मौली लाल रंग, पीले रंग, या दो रंगों या पांच रंगों की होती है,शास्त्रों के अनुसार कलावा बांधने की परंपरा की शुरुआत देवी लक्ष्मी और राजा बलि ने की थी,कलावा को रक्षा सूत्र भी कहा जाता है,माना जाता है कि कलाई पर इसे बांधने से जीवन पर आने वाले संकट से रक्षा होती है,इसका कारण यह है कि कलावा बांधने से ब्रह्मा, विष्णु और महेश त्रिदेव की कृपा प्राप्त होती है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कलावा - ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कलाई में लाल रंग का कलावा पहनने से कुंडली में मंगल ग्रह मजबूत होता है,दरअसल ज्योतिष में मंगल ग्रह का शुभ रंग लाल है,वहीं यदि व्यक्ति पीले रंग का कलावा बांधता है तो इससे उनकी कुंडली में गुरु बृहस्पति मजबूत होता है,जिसके कारण व्यक्ति के जीवन में सुख-संपन्नता आती है,कुछ लोग कलाई में काले रंग का धागा भी बांधते हैं जो शनि ग्रह के लिए शुभ होता है.
कलावा बांधने का वैज्ञानिक कारण - यह स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद है,शरीर विज्ञान के अनुसार शरीर के कई प्रमुख अंगों तक पहुंचने वाली नसें कलाई से होकर गुजरती है,कलाई पर कलावा बांधने से इन नसों की क्रिया नियंत्रित रहती है,इससे त्रिदोष यानी वात, पित्त और कफ का सामंजस्य बना रहता है,शरीर की संरचना का प्रमुख नियंत्रण कलाई में होता है,इसका मतलब है कि कलाई में मौली बांधने से व्यक्ति स्वस्थ रहता है,माना जाता है कि कलावा बांधने से रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह और लकवा जैसे गंभीर रोगों से काफी हद तक बचाव होता है.
मौली या कलावे को मुख्यतः तीन रंगों के कच्चे सूती धागे से बनाया जाता है. जिनमें लाल, पीला और हरा रंग शामिल है. कभी-कभी यह पांच रंगों से भी बना होता है और नीले व सफेद धागे का भी प्रयोग किया जाता है. तीन धागों से अभिप्राय त्रिदेव तो पांच धागों से अभिप्राय पंचदेव से है,कहा जाता है कि हाथ में मौली या कलावा बांधने से त्रिदेव- ब्रह्मा, विष्णु और महेश व तीन देवियों- लक्ष्मी, गौरी और सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है. ब्रह्मा से कीर्ति, विष्णु भगवान से बल मिलता है और शिव जी मनुष्य के दुर्गुणों का नाश करते हैं.
शुभ मंगलमय हो भगवान केदारनाथ प्रभो की कृपा बनी रहें। आचार्य अजय कृष्ण कोठारी श्रीमद्भागवत कथा वक्ता ज्योर्तिविद/ग्राम कोठियाडा़,पो.ओ-बरसीर, रुद्रप्रयाग {श्री कोटेश्वर शक्ति वैदिक भागवत पीठ एवं ज्योतिष संस्थान्}उत्तराखंड