पान का पत्ता एवं सुपाड़ी का महत्व तथा लाभ
पान का पत्ता एवं सुपाड़ी का महत्व तथा लाभ
सबसे तेज प्रधान टाइम्स गबर सिंह भण्डारी श्रीनगर गढ़वाल ।आपको हिंदू धर्म में पान को शुभता और संपन्नता का प्रतीक माना गया है,पूजा में इस्तेमाल होने वाली सुपारी को पवित्र स्थान प्राप्त है,सुपारी को भगवान गणेश और माता गौरी का स्वरूप माना गया है,वहीं,सुपारी का इस्तेमाल मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा में भी किया जाता है,वहीं सुपारी के कुछ उपायों को करने से व्यक्ति को जीवन में आ रही समस्याओं से छुटकारा मिलता है।आज आपको /ज्योतिषाचार्य अजय कृष्ण कोठारी/ पान का पता तथा सुपाड़ी के महत्व तथा लाभ के विषय में बता रहे हैं. पौराणिक कथा अनुसार समुद्र मंथन के वक्त पहली बार देवताओं ने पान के पत्ते का उपयोग किया था,पान या तांबूल को हवन पूजा की एक अहम सामग्री माना जाता है,हिंदू मान्यताओं के अनुसार पान के पत्ते में विभिन्न देवी-देवताओं का वास होता है,पान के पत्ते के ठीक ऊपरी हिस्से में इंद्र एवं शुक्र देव विराजित हैं.
हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की पूजा के लिए अलग-अलग पूजन सामग्री निर्धारित की गई है,जिनका अपना-अपना महत्व होता है,इसी तरह पूजा-पाठ या अनुष्ठान में सुपारी भी महत्वपूर्ण होती है,पूजा की सुपारी का इतना महत्व होता है कि इसके बिना पूजा प्रारंभ नहीं होती,यहां पर एक बात गौर करने वाली है कि पूजा की सुपारी खाने की सुपारी से पूर्णता अलग होती है,खाने की सुपारी बड़ी और गोल होती है,लेकिन पूजा की सुपारी छोटी और थोड़ी लंबी होती है.
क्यों है सुपारी इतनी महत्वपूर्ण - कोई भी पूजा पाठ या अनुष्ठान शुरू करने के पहले पूजा की सुपारी को पान के ऊपर विराजमान किया जाता है,ऐसी मान्यता है कि सुपारी में सभी देवी देवताओं का वास होता है,यदि पूजा वाले स्थान पर किसी भगवान की प्रतिमा नहीं होती है तो पंडित जी मंत्रोच्चार से उस सुपारी में देवी देवता का आह्वान करते हैं और पूजा-पाठ को संपन्न कराते हैं,हिंदू शास्त्रों में सुपारी को जीवंत देव का स्थान प्राप्त है,सुपारी को ब्रह्मदेव, यमदेव, इंद्रदेव और वरुण देव इन सबका प्रतीक माना गया है.
पान का जिक्र स्कंद पुराण में किया गया है,जिसके अनुसार समुद्र मंथन के समय पान के पत्ते का प्रयोग किया गया था,इसके पत्ते में विभिन्न देवी-देवताओं का वास माना जाता है,इसीलिए पूजा में इसका प्रयोग किया जाता है,पौराणिक कथाओं के अनुसार जब अमृतपान के लिए देवताओं और दैत्यों के बीच समुद्र मंथन हुआ था तब समुद्रदेव की पूजा में पान के पत्ते अर्पित किए गए थे, मान्यता है कि तभी से हर एक पूजा और धार्मिक अनुष्ठान में पान के पत्ते का उपयोग किया जाता आ रहा है,वहीं एक दूसरी मान्यता के अनुसार पान के पत्ते में सभी देवी-देवताओं का वास होता है इसी कारण से हर पूजा-पाठ और अनुष्ठान में पान के पत्ते का इस्तेमाल किया जाता है,कहा जाता है कि पान के ऊपरी भाग में इंद्रदेव, पान के मध्य भाग में मां सरस्वती और पान के नीचे वाली हिस्से में मां लक्ष्मी का वास होता है,वहीं पान के अंदर के हिस्से में भगवान विष्णु, बाहरी हिस्से में भगवान शिव का स्थान माना जाता है,पान के पत्ते में सभी देवी-देवताओं के वास होने के कारण हर एक पूजा में विधि-विधान से इसका प्रयोग शुभ माना जाता है.!!शुभ मंगलमय हो भगवान केदारनाथ प्रभो की कृपा बनी रहें। आचार्य अजय कृष्ण कोठारी श्रीमद्भागवत कथा वक्ता ज्योर्तिविद/ग्राम कोठियाडा़,पो.ओ-बरसीर, रुद्रप्रयाग {श्री कोटेश्वर शक्ति वैदिक भागवत पीठ एवं ज्योतिष संस्थान्}उत्तराखंड