देश के भूतपूर्व सैनिक संगठन 20 फ़रवरी को जंतर मंतर दिल्ली में अपनी मांगों को लेकर करेंगे धरना प्रदर्शन
देश के भूतपूर्व सैनिक संगठन 20 फ़रवरी को जंतर मंतर दिल्ली में अपनी मांगों को लेकर करेंगे धरना प्रदर्शन
सबसे तेज प्रधान टाइम्स गबर सिंह भण्डारी
पौड़ी/श्रीनगर गढ़वाल :- भूतपूर्व सैनिक संगठन अपनी मांगों के लेकर दिल्ली जंतर मंतर में 20, फरवरी 2023 को एकजुटता के साथ धरना प्रदर्शन करेंगे। भूतपूर्व सैनिक संगठन के सुरेश कुमार नारा ने कहा कि 15 सितंबर 2013 के दावेदार नरेंद्र मोदी की रेवाड़ी रैली करवाई गई और जवानों की संख्या दिखाकर एक रैंक एक पेंशन सिर्फ अधिकारियों के लिए लागू करवा लिया । देश की जनता तो यह सोच कर खुश है कि सरकार ने एक रैंक एक पेंशन दे दी पर असलियत कुछ और ही है, एक रैंक एक पेंशन में सरकार ने अधिकारियों की पेंशन हजारो में बढ़ाई और जवानों की पेंशन में ज्यादा से ज्यादा 900 रुपए की मामूली बढ़ोतरी की गई । केंद्र सरकार जिसको एक रैंक एक पेंशन कहती है असल में वह आफिसर रैंक आफिसर पेंशन है।OROP 2 टेबल से JCOs रैंक को गायब कर दिया गया है इससे बड़ा मजाक और क्या होगा।
1973 के दशक में जब एक रैंक एक पेंशन का मुद्दा उठा था तो वह इस लिए उठा था कि जवानों को 15 से 17 साल की नौकरी के बाद जबरदस्ती पेंशन भेज दिया जाता है। जवान मात्र 32 से 38 साल की उम्र में पेंशन आ जाता हैं जबकि उस समय जवान के कंधों पर घर की जिम्मेदारियां सबसे ज्यादा होती है।जब जवान पेंशन आता है तब उसके बच्चो की उम्र ज्यादा से ज्यादा 5 साल होती है।जब ऑफिसर रिटायर्ड आता है उसके बच्चो कीउम्र 35,और उसके पोतों की उम 10 साल की होती है।अब बतावो एक तरफ जवान अपने बच्चो को पालने के लिए ऑफिसरों की सिक्योरटी एजेंसी में 14 हजार में अपना शोषण ऑफ्फिसरो से करवाता है वही सरकार ने सारा फायदा अफसरों को 10 साल के पोते को पालने के लिए दे दिया।अब बतावो एक रैंक एक पेंशन पर किसका हक बनता है,जिसका खुद का बेटा 5 साल का है या जिसका पोता 10साल से ऊपर लेकिन ऑफिसर्स कम से कम 54 साल से60 साल की उम्र में पेंशन आते हैं।इस लिए ऑफिसर्स का एक रैंक एक पेंशन पर किसी भी तरह का हक़ नहीं बनता है।केंद्र 100% पुनरोजगार भी उपलब्ध करवाती है।अगर केंद्र सरकार 60 साल की उम्र में पेंशन आने वाले आफिसर्स को एक रैंक एक पेंशन दे सकती है तो 60 साल की उम्र तक सर्विस करने वाले पैरा मिलिट्री फोर्स को भी एक रैंक एक पेंशन दी जानी चाहिए,यहां पर हैरान करने वाली बात यह है कि केंद्र सरकार और ग्रह मंत्रालय पैरा मिलिट्री फोर्स की एक रैंक एक पेंशन की मांग को 60 साल की उम्र तक सर्विस होने के कारण खारिज कर रहा है और दूसरी तरफ 60 साल की उम्र तक सर्विस करने वाले आफिसर्स को एक रैंक एक पेंशन में भारी लाभ दिया जा रहा है। ओफ्फिसरो ने सरकार को हाईजैक किया और जवानों की पेंशन को अधिकारी वर्ग के लिए ले गए।एक रैंक एक पेंशन सिर्फ जवानों के लिए ही बनी थी।पूर्व जवान रैंक के सैनिक विधवाओं की पेंशन में सिर्फ 8 सौ रुपए और अफसरों की विधवाओं की पेंशन में 50 हजार रुपए से ज्यादा तक की बढ़ोतरी की गई है।जो एक तरह से सैनिक विधवाओं का अपमान है।जवानों का कहना है कि छठे पे कमीशन से लेकर सातवें पे कमिशन तक जवानों की विधवाओं के साथ भारी बेइंसाफी की गई है। इस अंतर को मिटाया जाए।डिसेबिलिटी पेंशन में भेदभाव:-पूर्व जवान और आफिसर्स दोनों देश भक्ति की भावना लेकर भर्ती होते है लेकिन सेना में लड़ाई के दौरान या आंतकवादी से मुठभेड़ में जख्मी हुए जवान की देश भावना को नजरंदाज करके युद्ध घायल जवान की मेडिकल पेंशन 18 हजार और युद्ध घायल ऑफिसर की मेडिकल पेंशन 2लाख 52 से ज्यादा है।जबकि दोनों ने देश की रक्षा करते हुए दुश्मन की गोली खाई है।जबकि शरीर की वेल्यू दोनों की एक बराबर है। जवान और ऑफिसर की डिसेबिलिटी पेंशन एक समान की जाए। मिलिट्री सर्विस पे जवान को 52 सौ और ऑफ़िसर को 15 हजार 5 सौ रुपए दिए जा रहे हैं। यह अलाउंस सेना जीवन की कठिनाइयों और खतरे को देखते हुए दिया जाता है।जवान अफ़सर से ज्यादा मुश्किल हालातों में रहता है और जान का खतरा भी जवान को ज्यादा है।हैरानी की बात यह है कि नर्स को मिल्ट्री सर्विस पे 10800 रुपए दी जा रही है।जिनका लड़ाई से कोई समंध नही है और उनको जान का रिस्क भी नही है।लेह लद्दाख जैसे एरिया में हाई अल्टी अलाउंस आफिसर्स को जवान से पांच गुना ज्यादा दिया जा रहा है। जबकि ठंड और सांस लेने में दिक्कत आफिसर्स और जवानों को एक बराबर होती है।7 वे पे कमीशन में भेदभाव :-पूर्व जवानों की दिसम्बर 2016 की बेसिक पेंशन को 2.57 से मल्टीप्लाई करके सातवां पे कमिशन लागू किया गया लेकिन सर्विंग आफिसर्स के लिए 2.81 का फार्मूला अपनाया गया है। 20 फरवरी 2023 जंतर मंतर धरना प्रदर्शन का उद्देश्य बिल्कुल साफ है सँविधान का अनु:14 के अंतर्गत समानता का अधिकार के अंतर्गत समान MSP, समान डिस्बिल्टी पेंशन,OROP 2 पर सिर्फ जवानों का हक,समान अलाउंस,कदम-कदम पर जवानों के साथ हो रहे दोयम दर्जे को देशवासियों के साथ सरकार तक ले जाना। समानता का अधिकार के अंतर्गत जायज माँगो को मांगना है।रिटायर्ड अफसरशाही ने अपनी मांगों के लिए सरकार पर दबाव बनाने के लिए आजादी के 75 सालो में आंदोलन करके आंदोलन में पूर्व सैनिको का संख्या बल दिखाया है। राजनीतिक पार्टियों को संख्या बल जवानों का दिखाती है और मांगे सारी अफसरशाही की पूरी करवा लें जाती है और साथ ही ले जाती है लोकसभा, राज्यसभा की सीट या राज्यपाल..?पूर्व जवान दरी कुर्सी बिछाते रह जाते है।उदाहरण:-2013 की रेवाड़ी रैली।अब आगे से ऐसा नही होगा,पूर्व जवान अपनी जायज माँगो को खुद उठाएगें। अब हम जाग चुके है अब हमने आँखों पर बंधी काली पट्टी को खोल कर फेंक दिया हैये समय की आवश्यकता ही नही है आने वाली नस्लो के बेहतर भविष्य के लिए और भारतीय सेनाओं को विश्व की सबसे शक्तिशाली सेना बनाने के लिए सरकार तक बात पहुँचाना उतना ही आवश्यक हो गया है जितना सुबह के समय सूर्य का निकलना।भारतीय सेनाओं को विश्व की सबसे शक्तिशाली सेना बनाने के लिए आगे बढ़ो।पूर्व जवान Govt के साथ है।भेदभाव को खत्म करके समानता का अधिकार दोजवान भाईयो हमें दिमाग और हौसले को मजबूत करना होगा और अपना संघर्ष खुद आगे आकर सँविधान के दायरे में शांति पूर्वक करना पड़ेगा केंद्र तक भेदभाव की आवाज पहुँचानी पड़ेगी।यह सब तभी संभव है जब हम सब पूर्व सैनिक 20 फरवरी 2023 जंतर मंतर दिल्ली में होने जा रहे धरना प्रदर्शन में संख्या में शामिल होकर कर पूर्व जवानों के बनते जायज हको के लिए सरकार को जगाने का प्रयास करेंगे।जिस तरह से 75सालो की सरकार को उतना ही गलत साबित कर सकते है जितना एक माँ को।संसार का नियम है बच्चा नहीं रोता तो मां भी दूध नहीं देती क्योंकि मां सोचती है कि बच्चा भूखा होगा तो रोएगा और मैं दूध दूँगी,लेकिन अगर बच्चा सोचता है कि मैं नहीं रोऊंगा तो मां खुद दूध देगी,तो वह भूखा बच्चा तड़पेगा।यहाँ,बच्चे का दोष माँ से अधिक है क्योंकि वह बोल नहीं सकता और उसने माँ को नहीं बताया कि मुझे रोते हुए भूख लगी है। सुबेदार ताजबर सिंह नेगी, सुबेदार महेंद्र पाल सिंह रावत, सुबेदार सुरेश सिंह, हवलदार प्रमोद सिंह रावत, हवलदार अनुसुया प्रसाद सेमवाल आदि भूतपूर्व सैनिक मौजूद रहे।