पंचबद्री देवभूमि उत्तराखंड में भगवान् विष्णु के विशेष रूप
पंचबद्री देवभूमि उत्तराखंड में भगवान् विष्णु के विशेष रूप
सबसे तेज प्रधान टाइम्स गबर सिंह भण्डारी
श्रीनगर गढ़वाल ।आज आपको अवगत कराते हैं पंचबद्री देवभूमि उत्तराखंड में स्थित, पंच बद्री .बद्रीनाथ धाम की तरह हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है,बद्रीनाथ धाम पंच बद्री में से ही एक है पंच बद्री मंदिरों की यह विशेषता है कि इनमें विष्णु भगवान के अलग-अलग रूपों की मूर्ति स्थापित है,यह पांचो मंदिर बद्रीनाथ धाम के क्षेत्र से लेकर नंदप्रयाग के बीच में स्थित है पंच बद्री में बद्रीनाथ, योगध्यान बद्री, भविष्य बद्री, वृद्ध बद्री और आदि बद्री का नाम आता है.आज आपको
/ज्योतिषाचार्य अजय कृष्ण कोठारी/ पंच बद्री के बारे में बता रहे हैं.भगवान शिव के पंच केदार की तरह भगवान विष्णु के 5 धाम हैं, जिन्हें पंच बदरी के नाम से जाना जाता है,इनमें श्री बद्रीनाथ धाम भी शामिल हैं,धर्म ग्रंथों में पंच बदरी को दूसरा बैकुंठ भी कहा गया है,भक्तों को इन पवित्र स्थलों की यात्रा काफी पसंद है,श्रीबदरीनाथ धाम की तरह ही बाकियों में भी पट खुलने और बंद होने की परंपरा है,हालांकि इनमें से कुछ मंदिर सालभर दर्शनार्थियों के लिए खुले रहते हैं.नर-नारायण पर्वत के मध्य में विराजमान बदरीशपुरी को भगवान विष्णु का धाम माना गया है,धर्मग्रंथों में उल्लेख है कि
'बहुनि शंति तीर्थानी दिव्य भूमि रसातले.!
बद्री सदृश्य तीर्थं न भूतो न भविष्यति: !!
1. बद्रीनाथ - बद्रीनाथ मंदिर का वर्णन हिन्दू धर्म ग्रंथों में भी मिलता है, लेकिन यह माना जाता है कि यहां स्थित वर्तमान मंदिर की स्थापना आठवीं शताब्दी में आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी,इस मंदिर का ढांचा कई बार भूकंप की वजह से टूटा है लेकिन इसका जीर्णोद्धार होता रहा है, बद्रीनाथ धाम को विष्णु भगवान का बैकुंठ भी कहा जाता है, यह मंदिर हिमालय पर्वत की रेंज में नर और नारायण पहाड़ियों के बीच में 3133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर भगवान विष्णु ने नर और नारायण के अवतार के रूप में तपस्या की थी,बद्रीनाथ भारत में स्थित आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार धाम मंदिरों में से एक है यह मंदिर चमोली जिले में स्थित है.,बद्रीनाथ मंदिर में भगवान नारायण की स्वयंभू मूर्ति है और भगवान योग मुद्रा में विराजमान हैं,बदरीनाथ की पूजा को लेकर दक्षिण भारत के केरल के पुजारी ही पूजा करते हैं, जिन्हें रावल कहते हैं.2. योग ध्यान बद्री -यह मंदिर चमोली जिले में अलकनंदा नदी के किनारे गोविंद घाट के पास स्थित है समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 1920 मीटर है,यह जिस स्थान पर स्थित है उसे पांडुकेश्वर कहा जाता है,ऐसा माना जाता है कि इसी स्थान पर पांडवों का जन्म हुआ था और यहां पर जो मूर्ति स्थापित है उसकी स्थापना पांडवों के पिता पांडू ने की थी,इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां विष्णु भगवान की जो मूर्ति स्थापित है उसमें वह ध्यान मुद्रा में दिखाई देते हैं इसीलिए इस मंदिर को योग ध्यान बद्री के रूप में जाना जाता है.3. भविष्य बद्री - भविष्य बद्री चमोली जिले के जोशीमठ के पास सुभाई गांव में स्थित है, यह मंदिर 2744 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण आदि गुरु शंकराचार्य ने किया था,यह मंदिर घने जंगलों में स्थित है, यहाँ भगवान विष्णु के नरसिंह रूप की पूजा होती है| इस मंदिर तक पहुंचने के लिए जोशीमठ से सलधर नामक जगह तक जाना पड़ता है, जोशीमठ से सलधर की दूरी 11 किलोमीटर है, यह दूरी बस या गाड़ियों द्वारा तय की जाती है, यहाँ से फिर 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस मंदिर तक पहुंचने के लिए यात्रियों को पैदल पहाड़ों की सीधी चढ़ाई करनी पड़ती है.4. वृद्ध बद्री - वृद्ध बद्री मंदिर जोशीमठ से 7 किलो दूरी पर अनिमथ गांव में स्थित है यहां भगवान विष्णु की पूजा एक वृद्ध व्यक्ति के रूप में की जाती है,भगवान विष्णु के समृद्ध रूप की एक कथा प्रचलित है ऐसा माना जाता है कि इस स्थान पर नारद मुनि ने भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी भगवान विष्णु उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर एक वृद्ध व्यक्ति के रूप में दर्शन दिए थे यह मंदिर पूरे साल खुला रहता है.5. आदिबद्री - यह मंदिर पंडाल और अलकनंदा नदी के संगम पर स्थित है, यह चमोली जिले में कर्णप्रयाग से 17 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है इस मंदिर के लिए यह कथा प्रचलित है कि जब पांडव स्वर्ग जा रहे थे तब उन्होंने इन मंदिरों का निर्माण करवाया था,पहले यहां 16 मंदिर थे जिनमें से 2 मंदिर अब नष्ट हो चुके हैं और 14 मंदिर बचे हुए हैं इनमें से मुख्य मंदिर भगवान विष्णु का है, इस मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित है जो कि काले रंग के पत्थर से बनी हुई है, यहां स्थापित मंदिरों की शैली कत्यूरी शैली है जिसका निर्माण बाद में करवाया गया था.।शुभ मंगलमय हो भगवान बद्री विशाल की कृपा बनी रहें। आचार्य अजय कृष्ण कोठारी श्रीमद्भागवत कथा वक्ता ज्योर्तिविद/ग्राम कोठियाडा़,पो.ओ-बरसीर, रुद्रप्रयाग {श्री कोटेश्वर शक्ति वैदिक भागवत पीठ एवं ज्योतिष संस्थान्}उत्तराखंड