महिला की सांस की नली में फंसे जीवित जोंक को चिकित्सकों ने दूरबीन विधि से निकाला
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गबर सिंह भण्डारी
श्रीनगर गढ़वाल। कीर्तिनगर ब्लॉक के दूरस्थ गांव डांगचौरा क्षेत्र की एक महिला विगत एक माह से मुंह में खून आने की समस्या से परेशान थी, जो उक्त समस्या को लेकर बेस चिकित्सालय के ईएनटी ओपीडी पहुंची, तो डॉक्टरों ने महिला को ऑपरेशन के लिए भर्ती किया। डॉक्टरों ने दूरबीन विधि से ऑपरेशन किया तो महिला के गले में सांस की नली में पहुंचे जोंक को बाहर निकाला। जो लगभग चार से पांच सेमी लम्बा जोंक जीवित पाया गया। महिला का सफल ऑपरेशन होने पर महिला स्वस्थ्य है। चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की विशेष पहल से बेस चिकित्सालय में अत्याधुनिक चिकित्सा मशीनें पहुंचाने के बाद आज डॉक्टरों को मरीजों के इलाज में बेहतर सुविधा मिल रही है।
ग्रामीण क्षेत्रों में लोग प्राकृतिक स्रोतों से पानी पीते है, तो पानी पीने के दौरान जोंक नामक जीव मनुष्य के नाक या मुंह में चला जाता है, जिसका पता नहीं चलता है। जो बाद में मानव शरीर के अंदर जीवित अवस्था में रहता है और मानव की परेशानी का सबब बनता है। इसी तरह से डांगचौरा क्षेत्र की 42 वर्षीय महिला दीपा देवी के साथ भी हुआ। जिनके मुंह के रास्ते जोंक चला गया था। जिससे महिला के मुंह से लगातार एक माह से खून आ रहा था, जिसकी काफी दवा खाने के बाद भी ठीक नहीं हुआ। जब महिला बेस चिकित्सालय पहुंची तो ईएनटी विभाग के एचओडी डॉ. रविन्द्र बिष्ट ने महिला को ऑपरेशन के भर्ती कराया। जिसके बाद डॉ. बिष्ट एवं उनकी टीम के सदस्य डॉ. अर्जुन सिंह, डॉ. सोनल काला, डॉ. स्वाती, डॉ. सोनाली की टीम एवं एनेस्थिसिया विभाग के एचओडी डॉ. अजेय विक्रम के सहयोग से महिला का दूरबीन विधि से सफल ऑपरेशन किया गया। महिला के गले में सांस की नली में जिंदा जोंक फंसा हुआ था, जो महिला की सांस की नली में काट रहा था, जिससे महिला के मुंह से लगातार खून आ रहा था। महिला का सफल ऑपरेशन होने के बाद महिला ने ईएनटी के डॉक्टरों का आभार प्रकट किया।
महिला के मुंह में लगातार खून आने की शिकायत थी, तो महिला का दूरबीन विधि से ऑपरेशन कर गले की सांस की नली में फंसे जीवित जोंक को बाहर निकाला गया। महिला अब स्वस्थ्य है। पहले नाक में जोंक जाने की शिकायत होती थी, किंतु यह पहला केस था जो महिला के गले में सांस की नली में जोंक फंसा मिला। जोंक से बचने के लिए लोगों को प्राकृतिक स्रोतों धारा या झरने का पानी सीधे नहीं पीना चाहिए। पानी को बर्तन में लेकर छांनकर पीना चाहिए। ताकि ऐसे जीवों से बचा जा सके।