साधना से ही भगवान को प्राप्त कर सकता है भक्त : स्वामी प्रबुद्धानंद
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पंकज राज चौहान
रुड़की। चिन्मय मिशन के विद्वान संत स्वामी प्रबुद्धानंद महाराज ने साकेत स्थित श्री हरमिलाप धर्मशाला में चल रही श्रीरामचरितमानस के शबरी प्रसंग पर ज्ञान से परिपूर्ण प्रवचन करते हुए कहा कि श्री रामचरितमानस के रचयिता तो भगवान श्री शिव जी हैं और गोस्वामी तुलसीदास जी ने इसे भाषाबध्द किया है।
स्वामी प्रबुद्धानंद महाराज ने कहा कि जिस प्रकार से जीवित मनुष्य की ईसीजी रिपोर्ट में ऊंचा-नीचा बना रहता है,उसी प्रकार मानव जीवन में उतार-चढ़ाव आना भी अवश्यंभावी है,परंतु इन सबके मध्य जो समभाव से रहता है,वही साधना में आगे बढ़ भगवान की प्राप्ति करता है। स्वामी जी ने कहा कि रामचरितमानस को रामायण भी कह सकते हैं। अयन का अर्थ है वास स्थान,जिस प्रकार से किसी भी व्यक्ति से मिलना हो तो उसके घर जाना होता है,उसी प्रकार भगवान राम से मिलना है तो इस ग्रंथ का अध्ययन करना ही पड़ेगा।
इस अवसर पर संस्था के अध्यक्ष हेमंत अरोड़ा ने बताया कि स्वामी जी द्वारा यह प्रवचन श्रंखला हरमिलाप धर्मशाला में आगामी 21 मार्च तक चलेगी। कथा में पहुंचे मेयर गौरव गोयल ने स्वामी जी का आशीर्वाद प्राप्त किया।
इस अवसर पर सविता तायल,यशधन शाह,विनीता भंडारी आदि बड़ी संख्या में भक्तगण मौजूद रहे।कथा के उपरांत सभी भक्तों ने आरती कर स्वामी जी का आशीर्वाद प्राप्त किया।