हरिद्वार पहुंचे जैन समाज के वैज्ञानिक संत पाठशाला सम्वर्धक
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हरीश वलेजा
हरिद्वार। वैज्ञानिक संत पाठशाला सम्वर्धक का दस साधु साधवीयों के साथ हरिद्वार की पवित्र भूमि पर प्रथम बार पदार्पण हुआ। गुरु को पाकर जैन समाज के लोंगो में अति उत्साह है प्रवेश के समय गाजे बाजे के साथ ज्वालापुर पहुंचे। जैन समाज के समस्त श्रेष्ठी वर्ग एवं महिला वर्ग हाथों में ध्वजा लिए हुए जयकारो की ध्वनि करते हुए ललितारापुल स्थित जैन मन्दिर में प्रवेश कराया।
उन्होंने कहा कि यह धरा तभी तक पवित्र है जब तक साधु संतों तर्क विचरण हो रहा है और यह धरा तब तक सुरक्षित है जब तक कि भगवान के मंदिर है और उनकी आराधना हो रही है।जैन धर्मानुसार पांच सौ वर्ष के बाद एक कलकी राजा होता है जो धर्म का विनाश करता है और उसके पांच सौ वर्ष बाद एक उप कलकी राजा होता है जो धर्म का विकास करता है। इस समय उप कलकी राजा का समय चल रहा है इसलिए जगह जगह मन्दिरों का निर्माण हो रहा है और साधु संतों का विचरण निरावात चल रहा है।
आचार्यश्री ने कहा सच्चे साधु वही है जो राग द्वेष मोह से परे है उनकी वीतराग काया में परमात्मा का दर्शन होता है और उनकी वाणी में जिन वाणी मां का दर्शन होता है जीवन की आपाधापी में जो प्रभु की भक्ति गुरु के दर्शन और आत्मा का बोध कर लेता है वही सच्चा सम्यक दृष्टि भक्त है। ऐसा भक्त इस जन्म में भले ही दुखी हो पुराने पाप कर्म के उदय से लेकिन अगले भव में वह सुखी सम्पन्न ही होगा। अपने आप को भूल जाना और पर को अपना मान लेना यही मानव की सबसे बड़ी भूल है भूल सुधारने का काम भगवान नहीं बल्कि गुरु करते है गुरु ही प्रभु का रुप है भगवान के दूत है आत्मा और परमात्मा को जानने का काम ज्ञानी करते हैं अज्ञानी नहीं सच्ची श्रृद्धा मोक्ष यात्रा की टिकट है श्रृद्धा के बिना ज्ञान और आचरण मिथ्यात्व हो जाता है आचार्यश्री ने कहा सच्चा श्रृद्धालु भक्त वही है जो मन्दिर में अभिषेक की घंटी और गुरु के प्रवचन की घंटी की आवाज को सुनकर वैसे ही उनके पास भागता है जैसे फोन की घंटी बजने पर व्यक्ति उसे अटेंड करने के लिए सब काम छोड़कर भागता है । सच्चे श्रृद्धालु सम्यक दृष्टि भक्त को प्रभु के द्वार से और गुरु की संगति से घर मजबूरी में जाना पड़ता है जबकि ढोगी मिथ्या दृष्टि मन्दिर और गुरु की संगति में जाना नहीं चाहता लेकिन उसे जाना पड़ता है।
प्रतिदिन आचार्यश्री के प्रातः 8:30 मंगल प्रवचन एवं शाम 6:00 बजे शंका समाधान एवं गुरु भक्ति होगी।