योग के क्षेत्र में संस्कृत विश्वविद्यालय का योगदान अहम
अंशु वर्मा/गीतेश अनेजा
हरिद्वार। योग भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर है हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा कठिन तप कर प्राप्त की गई इस विद्या को संस्कृत के आलोक में जिस प्रकार ग्रहण किया जा सकता है अन्यत्र कहीं नहीं, और मुझे खुशी है कि उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय इस कार्य को बहुत बेहतर कर रहा है। ये बाते मुख्य अतिथि प्रो० प्रहलाद जोशी, संस्कृत विश्वविद्यालय, आसाम ने कही। उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार के योगविज्ञान विभाग एवं इडियन एसोसिएसन ऑफ योग के संयुक्त तत्वाधान में अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष में दसम् अन्तरराष्ट्रीय योग संगोष्टी का आयोजन आभासी माध्यम से किया गया है। 25 एवं 26 मई को आयोजित संगोष्टी का शीर्षक Scientifc Exploration of Principles & Practices of Yoga है। संगोष्ठी का शुभाराम्भ दीप प्रज्वलन एवं वेद मंत्रों के उच्चारण के साथ किया गया। संगोष्ठी के अध्यक्ष कुलपति प्रो० दिनेशचन्द्र शास्त्री जी, ने योग की वर्तमान समय में महत्ता को स्पष्ट करते हुए कहा कि योग वर्तमान समय की मांग है इसके द्वारा हर क्षेत्र में लाभ प्राप्त किया जा सकता है। इस अवसर पर योग के व्यवाहरिक पक्ष को बड़ी सरलता के साथ वैज्ञानिक रूप में रखते हुए मुख्या वक्ता प्रो० बी० आर० शर्मा कुलपति श्री श्री विश्वविद्यालय, कटक ने कहा कि यह आत्म चिंतन का विषय है जिसकी आधारशिला यम-नियम है इसलिए हम सभी को आसन-प्राणायाम के साथ-साथ इस पक्ष को अम्ल में लाना बहुत जरूरी है। इसके द्वारा उन्होने मनुष्य कल्याण के गुढ रहस्यों को उजागर किया। यह वह सागर है जिसमें हर प्रकार के बहुमूल्य मोती विद्यमान है। हमे इसका अधिक से अधिक प्रचार प्रसार करने के लिए निरन्तर इसी प्रकार प्रयत्न करते रहना चाहिए। कुलसचिव श्री गरीश कुमार अवस्थी उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार ने कहा कि योग स्वास्थ्य को प्राप्त करने एवं उसे बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
संगोष्ठी के संयोजक डॉ० कामाख्या कुमार ने कहा कि योग का नियमित पालन करने से मनुष्य अपनी अधिकांश समस्याओं को सहज ही समाप्त कर सकता है इसके लिए योग के विभिन्न पक्षों को जनना नितान्त आवश्यक हो जाता है और यह जानकारी अधिक से अधिक लोगों तक जाए इसके लिए लेखन कार्य अनिवार्य हो जाता है उन्होनें बाताया कि 15 राज्यों से इस क्षेत्र के 360 विद्वानों एवं शोध छात्रों द्वारा हमें 150 शोधपत्र प्राप्त हुए। डॉ० लक्ष्मीनारायण जोशी योग विज्ञान विभागाध्यक्ष द्वारा सभी अतिथियों एवं वक्ताओं का आभार व्यक्त किया गया। डॉ० सुधांशु वर्मा केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय देवप्रयाग परिसर ने कार्यक्रम का संचालन किया।
इस अवसर पर प्रो० ईश्वर भारद्वाज, प्रो० महेशप्रसाद सिलोडी, प्रो० बर्णवाल, डॉ० निधीश यादव, डॉ० संजय सिहं, डॉ० अनुजा रावत, ने अन्य सत्रों की अध्यक्षता की। इस अवसर पर डॉ० अनुपम कोठारी, शोधछात्र मोहित कुमार, दिशांत शर्मा आदि उपस्थित रहे।