चार-चार पीढ़ियों का उद्धार करने के लिए अवतरित हुए भगवान श्री राम-:स्वामी रामभद्राचार्य
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धूमधाम से बनाया गया श्री राम जन्मोत्सव,
कनखल राजघाट में राम कथाका चौथा दिन,
चार-चार पीढ़ियों का उद्धार करने के लिए अवतरित हुए भगवान श्री राम-:स्वामी रामभद्राचार्य
सबसे तेज प्रधान टाइम्स
प्रमोद गिरि
हरिद्वार। कनखल राजघाट में गंगा के पावन तट पर भगवान श्री राम का जन्मोत्सव हर्षोल्लासपूर्वक मनाया गया। पूरे पंडाल को फूलों और रंग-बिरंगे गुब्बारे से सजाया गया। तुलसी पीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य महाराज के श्री मुख से प्रभु राम के अवतरण की कथा सुनकर श्रोता झूम उठे और पूरा पंडाल प्रभु राम के जयकारों के उद्घोष से गूंज उठा, ऐसा लग रहा मानों प्रभु श्री राम कनखल में गंगा के पावन तट पर साक्षात रूप से अवतरित हो गए हो। श्रद्धालुओं प्रभु राम के अवतरण के प्रसंग को सुनकर कितने भाव विभोर हो गए कि उनके आंखों से आंसू छलक उठे।
गंगा और भगवान प्रभु राम के अवतरण का वर्णन करते हुए स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि गंगा केवल सगर के ऋषि कपिल मुनि द्वारा श्रापित 60 हजार पुत्रों का उद्धार करने के लिए पृथ्वी पर आई थी और भगवान श्री राम चार-चार पीढ़ियों का उद्धार करने के लिए धरा धाम में अवतरित हुए थे।
उन्होंने कहा कि ऋषि सनकादिक द्वारा श्रापित जय विजय, नारद जी द्वारा श्रापित रुद्रगणों, प्रताप भानु द्वारा शापित ब्राह्मण को राक्षस प्रवृत्ति से मुक्त करने के लिए भगवान विष्णु रामावतार के रूप में अवतरित हुए और इनका उद्धार किया।
भक्ति और कथा के अंतर को रेखांकित करते हुए तुलसी पीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि भक्ति मनोयोग है और कथा वांगमय है। गंगा और प्रभु राम की भक्ति का वर्णन करते हुए स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने कहा कि गंगा की भक्ति राम की भक्ति है और राम की भक्ति गंगा की भक्ति है। उन्होंने कहा कि प्रभु श्री राम सर्वव्यापी, सर्वज्ञानी और सर्व नियंता है।
आज श्री राम कथा का शुभारंभ गणेश पूजन के साथ हुआ। कथा के मुख्य यजमान अचिन अग्रवाल और प्रशांत शर्मा ने पूजन किया। व्यास पीठ का स्वागत-सत्कार पुष्प मालाओं से श्रीमती शशि प्रभा, सुरेंद्रअग्रवाल, चित्रा शर्मा, सुनील अग्रवाल गुड्डू, अभिनंदन गुप्ता, अखिलेश शिवपुरी,नमित गोयल,शैलेश मोहन, महेंद्र राज गुप्ता (पानीपतवाले), सुरेंद्र अग्रवाल, भूपेंद्र कुमार आदि ने किया। श्री राम कथा का संचालन आचार्य रामचंद्र दास महाराज ने किया।
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