दहेज प्रथा को रोकने के लिए मौलवी आगे आये कारी शहजाद
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लक्सर थाना पथरी क्षेत्र के कसमपुर बुढाहेडी एक मीटिंग कर दहेज प्रथा को रोकने के लिए गरीबों की मदद करें कारी शहजादअल्लाह ताला ने मजहब इस्लाम को ऐसा निजाम बनाया है जिसको हर अमीर व गरीब इख्तियार कर सकता है तयइस्लाम पर चलना बिल्कुल आसान है खुसुसन शादी ब्याह के सिलसिले में नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने इरशाद फरमाया निकाह को इतना आसान करो कि ब्लतकार यानी रेप मुश्किल हो जाए शादी को सादगी के साथ अंजाम दिया जाए अपनी शादी को तमाम रसों व खुराफात से बचाया जाए डीजे गाने बजाने को इस्लाम ने नाजायज करार दिया है हर हाल में सख्त गुनाह है ये हमारे मुआशरा में दहेज कि एक ऐसी लानत है जिसकी वजह से कितनी गरीब लड़कियों की शादियां नहीं हो पाती दहेज की रस्म को खत्म करने की हर मुमकिन कोशिश करना जरूरी है लड़की वालों पर बारात के नाम से बोझ डालना ये गैर इस्लामी रसम है जिससे हर हाल में बचा जाए इस्लाम में पर्दा फर्ज है बेपरदगी हराम है वीडियो फिल्म बनाना और फोटोग्राफी करना जब तक खाना खिलाना आतिशबाजी बम पटाखे और फिजूलखर्ची करने से परहेज करना जरूरी है पहले हमे शादियों को इन सब बुरी रस्मों से बचाएं गरीब बच्चियों की शादियां करवाना नेकी और खेर का काम है और गरीबों का हर तरह से ख्याल करें अपने भेजा है सर आजाद कम करके दूसरों की जरूरतों का ख्याल रखें हर मोहल्ले में मस्जिद के अलावा वह दीनदारोकी रहनुमाई में एक इस्लाही कमेटी बनाई जाए जो हिकमत के साथ प्यार और मोहब्बत के साथ उन घरों में जाकर जहां यह कामऔर खुराफात हो उनको रोकने की कोशिश करें जिस शादी में गेर शरी काम होंगे हम उस निकाह में शिरकत नहीं करेंगे और काजी वहां निकाह नहीं पढ़ाएंगे और इमाम मसाजिद अपनी मस्जिदों में जुमे की नमाज या दूसरी नमाजों में इस पर बयान करें और उन को उजागर करने की कोशिश करें और दहेज के खिलाफ मुस्तकिल एक तहरीक चलाई जाए क्योंकि दहेज का लेना भी हराम है और दहेज का देना भी हराम है आज हमारे मुआसरे के अंदर हिंदुस्तान में जिसकी वजह से खुदकुशी का मसला एक समाज में नासूर बन गया है national ब्यूरो के रिकॉर्ड के मुताबिक 2014 से 2016 के दरमियान 3 सालों में दहेज की वजह से 30,000 से ज्यादा अमवात रिकॉर्ड हुई यह रिकॉर्ड है जो हुकूमत के इल्म में है लेकिन ऐसी अमवात जो दहेज की वजह से हुई और हकुमत के इल्म में नहीं है अंदेशा है कि उनका तखमीना अधिकार से भी ज्यादा होगा चंद रोज पहले अहमदाबाद की लड़की आयशा की खुदकुशी की वीडियो सामने आया उसकी जड़ भी दहेज का मुतालबा और ससुराल के अफ़राद की जानिब से बदसलूकी है इस की जितनी भी घोर निंदा की जाए कम है और वह भी ऐसे लोगों की जानीब से जो अल्लाह और रसूल का नाम लेते हैं और खुद को मुसलमान कहते हो उसकी बुनियादी वजह इस्लामी तालीम से दूरी और हिंदूवाना रस्मो रिवाज से कुर्बत है और इस रस्म को भी जड़ से तभी मिटाया जा सकता है जब ना सिर्फ शादी बिहा में बल्कि पूरी जिंदगी में इस्लामी तालीम अपनाया जाए इस वक्त हमें इस बात पर भी गौर करना है के निकाह के सिलसिले में बहुत सी रसोम और कई खुराफात है जिनको हम मुसलमानों ने गले का तोक हाथ की जंजीर और पांव की बेडी बना लिया है हमें तय कर लेना चाहिए के शादी विवाह के सिलसिले में सिर्फ उन चीजों पर खर्च करें जिनकी तालीम हमें शरीयत ने दी है हमें अम्लीय कदम करते हुए चंद बातों को अपने मुआशरा में ना फिजकरना होगा ताकि बेजा रस्म व रिवाज का खात्मा हो सके अगर तीन बातें अपना ली जाए तो बहुत हद तक इस्लाह की तरफ से है नंबर 1 निकाह मस्जिद में किया जाए नंबर दो लड़की वालों के यहां दावत है ताम ना रखी जाए नंबर 3 बारात खत्म कर दी जाए जहां तक इस बात का ताल्लुक है कि निकाह मस्जिद में ही किया जाए इसी बात की लोगों को तर्गीब की जाए उसी की तरफ दी जाए उसकी वजह हुजूर सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम का इरशाद है निकाह का ऐलान करो उसकी ताशहिर करो ताकि लोगों को मालूम हो जाए और निकाह मस्जिद में करो ज्यादा आपके इस फर्म बरदारी करना चाहिए मजलिस ए निकाह मस्जिद में मुनकिद करने का फायदा यह है कि निकाह के बाद दूल्हा-दुल्हन को मोहब्बत के लिए जो दुआ की जाती है उसके लिए मस्जिद ही ज्यादाअहम है घर की हंगामा तूफान और हंसी मजाक के फुहारे शरबत पीने पिलाने बल्कि फेंकने का हंगामा सिगरेट का कश लेते हुए नौजवान धुवे के मेरे यह फिजा उन दुआ के लिए जो जिंदगी का एक नाजुक मोड़ लिए हुए मुनासिब नहीं बल्कि उनकी खाना आबादी खुशहाली दीन और ईमान की सलामती बाहों में उल्फत मोहब्बत के लिए दुआ मस्जिद ही में की जाती है मस्जिद में अल्लाह पाक के फरिश्ते आते हैं यहां नबी करीम सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम पर दुरूद पढ़ा जाता है वहां नूरानी मखलूक हाजिर होती है उनका आमीन कहना कितनी बरकत की बात है मस्जिद में निकाह करने की एक बरकत यह भी होगी कि बहुत सारे खुराफात कम हो जाएंगे शादी के मौके पर जो रंगारंग की जाती है और उन पर बहुत सा पैसा खर्च कर दिया जाता है मसलन शामियाना कुर्सियों और उस पर खर्च पर आज का खर्च और उन पर खर्च किया जाए तो यह पैसे आला मक़ासिद और दीगर खेर के काम में आएंगे और दुनिया व आखरत की सुर्ख रोई का सबब बनेंगे और यह उसी वक्त मुमकिन है जब निकाह मस्जिद में किया जाए दूसरा काम इस्लाह का यह करना है कि लड़की के घर दावते ताम से ऐतराज़ करना चाहिए पूरे दर्स हदीस को आप पढ़ जाइए दावत ए वलीमा की ताकीद है अब्दुल रहमान बिन ऑफ रजियाल्लहु अन्ह को आपने ताकीद की लेकिन दावते ताम का हदीस मुबारक में इसका कोई जिक्र नहीं मिलता अगर लड़की के यहां दावत किसी भी हैसियत से मस्त हब वाजिब और जरूरी होती तो आप उसकी ताकीद फरमाते हैं हुजूर में ना सही बल के दर्जा देते अगर मुसलमान इस बात को मान लें और इस पर अमल करें कि निकाह मस्जिद में ही होगा और लड़की के घरवालों को सहमत न दी जाए तो बारात का सिलसिला खुद-ब-खुद खत्म हो जाएगा योगी बारात के लिए अरबी जुबान में कोई लफ्ज़ ही नहीं न रखने रहा देश में कोई लव्ज है इसलिए उम्मते मुस्लिमा के दर्द मंदो से ये अपील करता हूं के ये दहेज का नाग आज हमारे मुआशरे के अंदर पनपता हुआ जा रहा है इसको बिल्कुल खत्म किया जाए और इसके खिलाफ आवाज बुलंद की जाए ताकि इस दहेज की वजह से आगे फिर कोई और दूसरी आयशा ऐसा कदम उठाने पर मजबूर ना हो और तमाम वाली देन से मैं दरखास्त करूंगा कि जब आप अपनी बेटी को निकाह करके रुखसत करें तो आप अपनी बेटी से कहें कि बेटा अगर आपको कोई भी परेशानी आए तो मेरे दर का मेरे घर का दरवाजा तेरे लिए हमेशा खुला हुआ है आराम से अपने घर वापस आ जाना लेकिन ऐसा कोई कदम ना उठाना जिसकी वजह से तेरे बाप की गर्दन झुके या मुआशरा पर कोई बदनामी का दग आए और आज हम इस बात का दिल से पक्का इरादा करें कि जो जहेज मांगेगा या दहेज की डिमांड करेगा हम उसके यहां ना रिश्ता करेंगे और ऐसे शख्स के खिलाफ सख्त से सख्त अमली कदम उठाकर इस दहेज की लानत को खत्म करेंगे और आखिर में अपनी बच्ची से रुखसती के वक्त यह बात जरूर बोलें कि बेटा हमने तेरा निकाह जिससे किया है एक अच्छा इंसान तलाश करके तेरा निकाह किया है यदि अगर वह गलत इंसान निकलता है तो आप अपने घर वापस आ जाना यह घर तेरा है और हमेशा तेरा रहेगा क्योंकि अल्लाह के नबी ने फरमाया कि बेटियां अल्लाह की नेमत होती और आज इस दहेज की लानत की वजह से बहुत सी गरीब बेटियां उनके मां बाप के पास इतना पैसा नहीं है जिसकी वजह से अपनी बेटियों के हाथों पर मेहंदी लगाएं जिसकी वजह से वह गरीब बेटियां बेनिकहीं अपने घरों के अंदर बैठी है मीर तकी मीर बहुत बड़े शायर हुए हैं उन्होंने जब अपनी बेटी का निकाह किया उसको काफी दहेज दीया तो जब लड़की को यह मालूम हुआ कि मेरे बाप के ऊपर काफी कर्जा हो गया तो बच्ची को एक सदमा पहुंचा जिसकी वजह से वह निढाल रहने लगी और इसी हालत में आखिर उसकी मौत हो गई जब मीर तकी मीर को इत्तला मिली कि बेटी का इंतकाल हो गया तो दौड़े हुए गए तो देखा नूरे नजर लख्ते जिगर दुनिया को खैराबाद कह चुकी है उनके दिल पर एक दर्द हुआ और उन्होंने एक शहर पड़ा अब आया है ख्याल ए आरा में जा इस नामुराद ए में कि कफन देना तुझे भूले थे हम असबाब शादी में आयशा की खुदकुशी के बाद सुबह उत्तराखंड के जामिया तालीमुल कुरान मोहित पुरके नाजिम कारी शहजाद आलम ने नमाजे जुम्मा से पहले खीताब करते हुए लोगों से पुरजोर अपील की है दहेज की रसम को बिल्कुल खत्म करें और अपने लड़के और लड़कियों की शादी सुन्नत के मुताबिक करें इस मौके पर मौलाना आफताब आलम कारी जव्वाद आलम कारी तंजीम आलम और काफी बुद्धिजीवी लोग मौजूद रहे।