कैमरों की मदद से पकड़े जा सकते है खनन माफिया
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प्रशान्त भाटिया
कोटद्वार । पूर्वी खोह नदी खनन माफियाओं से लेकर संबंधित प्रशासनिक अधिकारियों के लिए सोना उगल रही है। खनन माफिया रात्रि 12 बजे से लेकर सुबह आठ बजे तक खुलेआम रेत-बजरी और पत्थरों का अवैध रूप से खनन कर रहे हैं, लेकिन पुलिस से लेकर प्रशासन के अधिकारी गहरी नींद में सोये हुए रहते हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रजापतिनगर समेत निकटवर्ती सनेह क्षेत्र की करीब पॉच दर्जन से अधिक ट्रैक्टर-ट्रालियां दिन-रात खोह नदी से रेत-बजी व पत्थरों के खनन में लगी हुई हैं। खनन माफियाओं का आतंक इस कदर व्याप्त है कि वे लोग नदी के किनारों तक को खोदहकर रेत-बजरी का दोहन कर रहे हैं, जिससे बरसात में आने वाली बाढ़ किनारों की लोगों की खेती योग्य उपजाऊ भूमि को भी काटकर अपने साथ बहाकर ले जाती है। लोगों के विरोध करने पर खनन माफिया मारपीट और गाली-गलौज पर उतारू हो जाते हैं। मजेदार बात यह है कि लोगों के प्रशासन से शिकायत करने पर प्रशासन भी खनन माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करने से कतराता है।
यही नहीं, खनन माफियाओं ने नोसिखिए और नाबालिग लड़के ट्रैक्टर चालक रखे हुए हैं जो मौत बनकर ट्रैक्टर-ट्रालियों को सड़कों पर दौड़ाते हैं जिनकी चपेट में आकर अब तक कई लोग चोटिल और गम्भीर रूप से घायल हो चुके हैं गौरतलब है कि ये खनन माफिया नगर की धड़कन कहे जाने वाले झंडाचोक से दर्जनों ट्रेक्टरट्रोली रात 12 बजे से सुबह 7 बजे तक कई कई बार लेकर गुजरते है ओर इसी झंडाचोक में कैमरे भी लगे हुवे है जो कि बहोत ही अच्छी कुवालटी के है।जिसकी मदद से इन खनन माफिया को चिन्हित कर कार्यवाही की जा सकती है । ओर इस चोक पर रात दिन पुलिस मुस्तेद रहती है।
परन्तु इसके बावजूद भी स्थानीय प्रशाशन को इसकी भनक तक नही है या यूं कहें कि वह अपनी आंखें मूंदे बैठे हुवे है कुछ खनन माफियाओं का दावा है कि हम चांदी का जूता सिर पर मारते हैं, इसलिए हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है।
चौंकाने वाली बात यह है कि एक-एक खनन माफिया 20 से 30 हजार रूपये रोज कमा रहा है।
खनन माफियाओं की पहुॅच और नेटवर्क इतना बड़ा है कि जब भी कोई अधिकारी दिखावे के लिए खोह नदी में छापेमारी की कार्रवाही करता है तो उस अधिकारी के मातहत कर्मचारी (चमचे) इसकी सूचना खनन माफियाओं को पहुॅचा देते हैं और खनन माफिया अपने-अपने ट्रैक्टर ट्राली खोह नदी से बाहर निकाल लेते हैं।