शिक्षकों ने कोविड के नियमो का पालन करते हुए मई दिवस के शहीदों को याद किया
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जॉन मसीह
रामनगर। शिक्षकों ने कोविड के नियमो का पालन करते हुए मई दिवस के शहीदों को याद किया।कोरोना काल में आम जन की सहायता करने का प्रण लिया और सरकार से स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त किए जाने और पुरानी पेंशन बहाल किये जाने की मांग उठायी।कर्मचारी शिक्षकों ने ऑन लाइन बेठकन के आज शनिवार के दिवस पर परिचर्चा भी की।परिचर्चा को सम्बोधित करते हुए कर्मचारी शिक्षक संगठन के मंडलीय अध्यक्ष नवेंदु मठपाल ने मई दिवस के इतिहास की जानकारी देते हुए बताया कि आज अपने पूर्वजों को याद करने का दिन हैं।उन पूर्वजों को जिनकी शहादत व संघर्षों ने सबकों बहुत कुछ दिया। इतिहास पर नजर डालें तो पता लगता है 1877 में मजदूरों ने अपने काम के घंटे तय करने की अपनी मांग को लेकर एक आंदोलन शुरू किया. जिसके बाद एक मई 1886 को पूरे अमेरिका में लाखों मजदूरों ने एकजुट होकर इस मुद्दे को लेकर हड़ताल की।जबरदस्त दमन हुआ।गिरफ्तारियां हुईं।मजदूर नेताओं को फांसी हुई पर संघर्ष रुका नही।मजदूरों ने अपने खून से सने लाल झंडे को झुकने नही दिया ।अंततःमजदूरों के संघर्ष की विजय हुई। उन शहीदों की याद में पहली मई को मजदूर दिवस के रूप में मनाने की शुरूआत हुई. भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत चेन्नई में 1 मई 1923 में हुई.मजदूरों का संघर्ष अनवरत जारी है।उत्तराखण्ड लेखपाल संघ के जिलाध्यक्ष ताराचंद घिल्डियाल ने कहा आज उस संघर्ष शहादत के बदौलत प्राप्त अधिकारों को छीना जा रहा है,मजदूर विरोधी श्रम कानूनों को सब पर लाद दिया गया है। पुरानी पेंशन से वंचित कर दिया गया है,अपने पूर्वजों की शहादत को याद करते हुए संघर्षों को औऱ भी धारदार बनाने की जरूरत है।प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा वर्तमान में जबकि कोरोना की आपदा ने महामारी का रूप ले लिया है सबका जो कि किसी न किसी रूप में मजदूर वर्ग का ही हिस्सा हैं उनका दायित्व है कि लोगों की अधिकतम मदद करें।आम भारतीय जनमानस को इस दौर में अधिकतम सुविधाएं मिलें इसके लिए आवाज बुलंद करें। यही मई दिवस के शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।इस दौरान नन्दराम आर्य,सुभाष गोला,नवीन जोशी,हेमपाण्डे,बालकृष्ण चंद,गिरीश मेंदोला,जीतपाल कठैत,शिवसिंह रावत,प्रदीप मेहरा,गौरव शर्मा आदि मौजूद रहे।