इनर व्हील क्लब द्वारा गरीबों को दूध व आवश्यक वस्तुएं वितरण कर मनाया "वर्ल्ड मिल्क डे"
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मनोज ननकानी
हरिद्वार - दूध (मिल्क) को डाइट में शामिल करने के लिए जागरुक करने के उद्देश्य से वर्ल्ड मिल्क डे मनाया जाता है। इसके साथ ही दूध को वैश्विक भोजन के रूप में मान्यता देना भी वर्ल्ड मिल्क डे का उद्देश्य है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर इनर व्हील क्लब हरिद्वार द्वारा 100 लीटर दूध ,मास्क और सैनिटाइजर का वितरण करते हुए वर्ल्ड मिल्क डे मनाया। इन सभी वस्तुओं का वितरण झुगी झिपड़ियो के बच्चो और सड़क किनारे रह रहे साधुओं को उत्तरी हरिद्वार छेत्र में किया गया।क्लब अध्यक्ष विनीता गोनियाल ने सभी लोगो को वितरण के साथ कोरोना महामारी के लिए जागरूक भी किया।सभी से मास्क, सैनिटाइजर,दो गज की दूरी और साफ सफाई का ध्यान रखने के लिए भी प्रेरित किया। दूध की उपयोगिता के बारे में भी बताया।
दूध को आयुर्वेद में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। सामान्य तौर पर दूध मधुर, चिकना, ओज एवं रस आदि धातुओं को बढ़ाने वाला, वात-पित्त कम करने वाला, वीर्य को बढ़ाने वाला, कफकारक, भारी और शीतल होता है। देशी गाय का सुबह-सवेरे निकाला गया दूध भारी व अधिक शीतल होता है। इसका पाचन थोड़ी देर से होता है और इससे कब्ज भी होती है। डायरिया रोगी को सुबह-सुबह गाय का दूध पिलाना बेहद फायदेमंद होता है। शाम को निकाला गया दूध सारक होता है। यह कब्ज के रोगियाें के लिए भी फायदेमंद होता है और इसका पाचन बेहद आसानी से हो जाता है। दूध को उबाल देने से इसका भारीपन कम हो जाता है, जिसे पीने पर नुकसान भी नहीं करता। वहीं दूध को ज्यादा देर तक उबाल दिया जाए तो भी यह भारी हो जाता है। इसलिए इसे बहुत अधिक उबाल कर नहीं पीना चाहिए।
छोटे बच्चों के पिने के लिए लिए वैसे बच्चों के लिए गाय का दूध गुणकारी बताया गया होता है। गाय का दूध भैंस के दूध की तुलना में बच्चों के लिए हल्का बताया जाता है। गाय के दूध में भैंस के दूध के मुकाबले फैट कम होता है। गाय के 100 मिली दूध में मां के दूध जितनी ही कैलोरी होती है। वैसे तो शिशु को एक वर्ष तक मां का दूध ही पिलाना चाहिए। मां के दूध से बेहतर कोई नहीं है।
बच्चे को जन्म से 6 महीने तक सिर्फ मां का ही दूध पिलाया जाता है। इसके बाद माँ के दूध के अतिरिक्त गाय या भैंस के दूध को भी पिलाने में लिया जाता है। गाय और भैंस के अतिरिक्त किसी अन्य पशु का दूध बच्चों को पिलाने के काम में नहीं लिया जाता। लेकिन बहुत से लोगों का और चिकित्सकों का भी मानना है कि गाय या भैंस के अलावा यदि किसी अन्य पशु का दूध बच्चे को पिलाया जा सकता है तो वे बकरी का दूध पिला सकते हैं। बकरी का दूध हल्का होने के साथ ही यह पौष्टिक भी होता है। बकरी ही एकमात्र ऐसा जानवर आम है जो खाने में सबकुछ हजम कर सकती है। बकरी द्वारा खाई जाने वाली औषधि के गुण भी दूध में उतरते हैं।क्लब हरिद्वार द्वारा ये वितरण कोविड महामारी के सभी नियमों का पालन करते हुएं सिर्फ 2सदस्यो द्वारा किया गया।इस वितरण में विभा गर्ग जी का विशेष सहयोग रहा।क्लब द्वारा लोगो को राशन वितरण भी लागतार किया जा रहा है।