शिव प्राप्ति का साधन है अतिथि सेवा : आचार्य अनुराग
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पंकज राज
हरिद्वार:श्री सनातन ज्ञानपीठ शिव मंदिर सेक्टर1 मंदिर भेल रानीपुर हरिद्वार द्वारा सेक्टर 1 स्थित शिव मंदिर परिसर में आयोजित शिव महापुराण कथा के आठवें दिन रविवार को अतिथि सेवा की महिमा का वर्णन किया गया।
कथा व्यास पंडित अनुराग शास्त्री ने कहा कि आकाश के तारों को गिना जा सकता है लेकिन भगवान शिव के अवतारों को नहीं गिना जा सकता। भगवान शिव ने एक बार यति रूप में अवतार लिया तथा परीक्षा लेने के लिए अर्ध्वान्चल पर्वत पर निवास करने वाले आहुक नामक एक भील तथा उसकी पत्नी आहुकी के पास पहुंचे। वह बहुत गरीब थे लेकिन संकल्प के साथ अतिथि सेवा करते थे। भगवान शंकर यति का रूप बनाकर सांयकाल के समय उनके घर पहुंचे और कहा कि हमें रात को ठहरने के लिए स्थान चाहिए। आहुक नाम के उस भील ने कहा कि हमारे पास केवल इतना ही स्थान है कि हम दोनों ही रह सकते हैं। भील ने स्थान देने के लिए मना कर दिया लेकिन यह सुनकर पत्नी रोते हुए कहने लगी कि आप दोनों घर में सो जाना,मैं बाहर रह लूंगी। पत्नी के मुख से ऐसा सुनकर पति ने कहा कि घर के बाहर मैं रहूंगा। रात्रि में भगवान शिवशंकर का एक रूप और भील की पत्नी घर के अंदर एवं एक रूप भील आहुक के साथ घर के बाहर रहा l शंकर जी ने माया रचाई तथा शेर बनकर आये और भील आहुक की हत्या कर दी। सुबह होने पर पत्नी ने देखा कि पति की मृत्यु हो गई है। पत्नी ने पति को उठाया तथा अंतिम संस्कार के लिए शमशान ले गई। जब वह सती होने के लिए अग्नि में बैठ गई तब भगवान शंकर स्वयं उसके पति को गोद में लेकर प्रकट हो गए और बोले कि मैं तुम्हारे अतिथि सेवा सत्कार से बहुत प्रसन्न हूं तथा आशीर्वाद देता हूं कि अगले जन्म में तुम नल तथा दमयंती बनोगे,दोनों का पुनः विवाह होगा तथा मैं हंस बनकर तुम्हें उपदेश करने आऊंगा। कथावाचक ने कहा कि इसीलिए अतिथि सेवा को ही शिव प्राप्ति का साधन कहा गया है।
कथा में मुख्य यजमान अशोक सिंघल,नीता सिंघल, ब्रिजेश कुमार शर्मा,दल सिंगार,सुरेश पाठक,तेज प्रकाश,अनिल,सुमन गहरा,अंजू सरला,सुमन आदि उपस्थित रहे।