मसूरी पब्लिक स्कूल के छात्र-छात्राओं द्वारा भोजन की बर्बादी पर आधारित नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत कर लोगों को किया जागरूक
मसूरी पब्लिक स्कूल के छात्र-छात्राओं द्वारा भोजन की बर्बादी पर आधारित नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत कर लोगों को किया जागरूक
सबसे तेज प्रधान टाइम्स
सुनील सोनकर
मसूरी।पब्लिक स्कूल के छात्र-छात्राओं द्वारा भोजन की बर्बादी पर आधारित नुक्कड़ नाटक का आयोजन मसूरी के ग्रीन चौक और गढवाल टैरेस रेस्टारेंट के पास किया गया जिसमें स्कूल के विभिन्न कक्षाओं के छात्र-छात्राओं ने सुंदर प्रस्तुति देकर लोगो और र्प्यटकों को भोजन के महत्व को समझाकर इसकी बर्बादी रोकने का संदेश दिया। उक्त प्रस्तुति का स्थानीय लोगों व पर्यटकों द्वारा सरहाना की गई। विद्यालय की अध्यापिका अपर्णा नौटियाल ने बताया कि कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने “मन की बात” में भोजन की बर्बादी का मुद्दा उठाया था। यह एक संवेदनशील मुद्दा है, हालाँकि कड़वा सच यह भी है कि हमारे यहाँ कोई ऐसा कानून नहीं है जो भोजन की बर्बादी रोकने के काम आ सके। एक तरफ विवाह-शादियों, पर्व-त्यौहारों एवं पारिवारिक आयोजनों में भोजन की बर्बादी बढ़ती जा रही है, तो दूसरी ओर भूखें लोगों के द्वारा भोजन की लूटपाट देखने को मिल रही है। दरअसल, भोजन की बर्बादी संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है। उन्होने कहा कि भोजन की बर्बादी से न केवल सरकार बल्कि सामाजिक संगठन भी चिंतित हैं। दुनियाभर में हर वर्ष जितना भोजन तैयार होता है उसका एक-तिहाई यानी लगभग 1 अरब 30 करोड़ टन बर्बाद चला जाता है। बर्बाद जाने वाला भोजन इतना होता है कि उससे दो अरब लोगों के खाने की ज़रूरत पूरी हो सकती है।शादियों में फिज़ूलखर्ची व धन की बर्बादी के खिलाफ कानून बनाने का विचार यूपीए शासन में राष्ट्रीय सलाहकार समिति ने दिया था। तत्कालीन खाद्य मंत्री के वी थॉमस ने 2011 में भोजन की बर्बादी को रोकने के इरादे से कानून बनाने की पहल की घोषणा की थी। शादियों में मेहमानों की संख्या नियंत्रित करने से लेकर कई अन्य बातें भी उस विधेयक में शामिल थीं। मगर मेहमानों की संख्या को कानूनी रूप से नियंत्रित करने के विरोध की आशंका को देखते हुए सरकार, आगे बढ़ने से डर गई। धर्मगुरुओं व स्वयंसेवी संगठनों को भी इस दिशा में पहल करनी चाहिये। बच्चों में शुरू से यह आदत डाली जानी चाहिए कि वे थाली में उतना ही खाना लें, जितनी भूख हो। इस बदलाव की प्रक्रिया में धर्म, दर्शन, विचार एवं परम्परा का भी योगदान एक नये परिवेश को निर्मित कर सकता है। इस मौके पर प्रीति कोठारी, अनुराधा सिंह, सुमन गुप्ता ,विपिन राणा, राकेश जोशी ,अरुण यहुन्ना, आदि मौजूद रहे।