रामपुर तिराहा कांड में शहीद राज्य आंदोलनकारियों को किया नमन
रामपुर तिराहा कांड में शहीद राज्य आंदोलनकारियों को किया नमन
सबसे तेज प्रधान टाइम्स
मनीषा सूरी
हरिद्वार।वर्ष 1994 में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारियों की अलग राज्य की मांग को दिल्ली जा रही रैली पर तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार की पुलिसिया वीभत्स और दमनात्मक कार्यवाही में निहत्थे राज्य आंदोलनकारियों को जिसमें मातृशक्ति , पुरुषों व युवाओं पर हमला व गोलीकांड में कई राज्य आंदोलनकारी शहीद हुए और कई लापता हुए आज 2 अक्टूबर को उनकी 30 वीं पुण्यतिथि पर उन्हें याद कर विश्वकर्मा घाट पर राज्य आंदोलनकारियों ने अपनी भावभीनी और विनम्र श्रद्धांजलि देते हुए गंगा जी में दुग्ध व पुष्प अर्पित किए वह उनकी आत्मा की शांति हेतु 2 मिनट का मौन रखकर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किए , इस अवसर पर चिन्हित राज्य आंदोलनकारी समिति रजिस्टर्ड के जिला अध्यक्ष सूर्यकांत भट्ट ने कहां की 2 अक्टूबर 1994 कि उसे खौफनाक घटना के मंजर को याद कर आज भी मन सिंहर उठता है अहिंसा के पुजारी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर ऐसी हिंसात्मक कार्रवाई के कारण ही तब से लेकर आज तक राज्य आंदोलनकारी आज के दिवस को काला दिवस के रूप में मनाते हैं, इस अवसर पर जिला महामंत्री रोहित प्रताप सिंह ने कहा कि मुजफ्फरनगर कांड के गुनहगारों को सजा न होने के कारण राज्य आंदोलनकारी दुखी रहते हैं व स्वयं को उपेक्षित महसूस करते हैं, इसी क्रम में भीमसेन रावत ने कहा कि उत्तराखंड के सत्ताधीशों और चुने हुए जनप्रतिनिधियों को राज्य आंदोलन की पीड़ा तभी याद आती है जब या तो राज्य का स्थापना दिवस या आंदोलनकारियों का शहीदी दिवस मनाया जाता है, वरना सभी सरकारी सुख सुविधाओं की भोगी अवस्था में मग्न रहते हैं। इस अवसर पर सभी राज्य आंदोलनकारियों ने एक स्वर से सरकार से मांग की है की उत्तराखंड राज्य आंदोलन के गुनहगारों को सजा दिलाने के लिए प्रबल रूप से पैरवी की जाए और गवाहों को सुरक्षा प्रदान करते हुए उनकी समस्याओं पर समुचित ध्यान दिया जाए। इस अवसर पर श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में मुख्य रूप से श्री मति कमला ढौंढियाल, यशोदा भट्ट, बंसती पटवाल, आनंद सिंह नेगी, रविंद्र भट्ट, महेश गोड , नत्थी लाल जुयाल, ह्रदयेश तोमर, प्रेम सिंह राणा, रामदेव मौर्य, राजेश गुप्ता, राजेश बिंजोला, राम प्रसाद जखमोला,गिरिश भट्ट, विनोद डंडरियाल, विजय भण्डारी, सूर्यकान्त भट्ट, रोहित प्रताप सिंह, भीम सेन रावत आदि उपस्थित थे।