मसूरी में भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ताओं ने मनाया काला दिवस
मसूरी में भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ताओं ने मनाया काला दिवस
सबसे तेज प्रधान टाइम्स
सुनील सोनकर
मसूरी।मसूरी में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने भाजपा मंडल अध्यक्ष मोहन पेटवाल के नेतृत्व में मसूरी के गांधी चौक पर एकत्रित हुए और कांग्रेस पार्टी के चुनाव 25 जून 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा देश में इमरजेंसी लागू किए जाने के खिलाफ जमकर नारेबाजी की इस मौके पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने हाथों में काली पटटी बांधकर कांग्रेस मुर्दाबाद के नारे लगाए ।बता दें कि हर साल 25 जून को देश में आपातकाल के लिए याद किया जाता है 1975 में इस दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लागू की थी भारतीय जनता पार्टी पूरे देश में इस दिन को ब्लैक डे यानी काला दिवस के रूप में मना रही है इस मौके पर भाजपा मंडल अध्यक्ष मोहन पेटवाल और पूर्व पालिकाध्यक्ष ओपी उनियाल ने आपात काल के बारे में लोगों को बताया कि किस तरह इमरजेंसी के दौरान लोगों पर अत्याचार किए गए लोकतंत्र के चार स्तंभ चाय व न्यायपालिका हो फिर मीडिया हो सभी का दमन किया गया था इमरजेंसी के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी हमेशा से ही कांग्रेस को घेरने का काम कर रही है आपात काल भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में सबसे बड़ी घटना है इमरजेंसी में चुनाव स्थगित हो गए और सभी नागरिकों के अधिकारों को भी समाप्त कर दिया गया था 21 महीने के बाद आपातकाल को समाप्त किया गया था। इस मौके पर मसूरी भाजपा मंडल अध्यक्ष मोहन पेटवाल, महामंत्री कुशाल राणा, पूर्व पालिकाध्यक्ष ओपी उनियाल, सभासद अरविंद सेमवाल, सतीश ढौंडियाल,विजय बुटोला, सुनील रतूड़ी, नमिता कुमाई, मसूरी महिला मोर्चा अध्यक्ष पुष्पा पडियार, युवा मोर्चा अध्यक्ष अमित पवार, अमित भट्ट, गंभीर पवार, मनीष कुकशाल, मदनमोहन शर्मा, अनिता सक्सेना सहित कई लोग मौजूद थे।बता दें कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 21 जून बता दें कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जून, 1975 को तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद से राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करवाई थी. यह आपात काल 21 मार्च, 1977 तक चला था यानी 21 महीने भारत के लोगों ने इमरजेंसी झेली थी. संविधान की धारा 352 के अधीन आपातकाल की घोषणा की गई थी. स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद और अलोकतांत्रिक काल था. आपातकाल में चुनाव स्थगित हो गए तथा नागरिक अधिकारों को समाप्त करके मनमानी की गई. इंदिरा गांधी के राजनीतिक विरोधियों को कैद कर लिया गया और प्रेस पर प्रतिबंधित कर दिया गया. इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी के नेतृत्व में बड़े पैमाने पर नसबंदी अभियान चलाया गया.
जयप्रकाश नारायण ने इसे भारतीय इतिहास की सर्वाधिक काली अवधि कहा था. केंद्रीय मंत्रिमंडल की बजाय, प्रधानमंत्री के सचिवालय के भीतर ही केंद्र सरकार की शक्ति को केंद्रित किया गया. आपातकाल लागू होते ही आंतरिक सुरक्षा क़ानून (मीसा) के तहत राजनीतिक विरोधियों की गिरफ़्तारी की गई, इनमें जयप्रकाश नारायण, जॉर्ज फ़र्नांडिस और अटल बिहारी वाजपेयी भी शामिल थे.
1971 का चुनाव बनी वजह
आपातकाल की वजह इलाहाबाद हाई कोर्ट का एक फैसला बताया जाता है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में इंदिरा गांधी को चुनाव में धांधली करने का दोषी पाया गया और उन पर छह वर्षों तक कोई भी पद संभालने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. 1971 के लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी ने अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी राजनारायण को पराजित किया था. लेकिन चुनाव के चार साल बाद राजनारायण ने चुनावी नतीजों को कोर्ट में चुनौती दी थी. 12 जून, 1975 को इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा गांधी का चुनाव निरस्त कर उन पर छह साल तक चुनाव न लड़ने का प्रतिबंध लगा दिया और उनके मुकाबले राजनारायण सिंह को चुनाव में विजयी घोषित कर दिया था. लेकिन इंदिरा गांधी ने इस फ़ैसले को मानने से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की घोषणा की और 26 जून को आपातकाल लागू करने की घोषणा कर दी गई.आकाशवाणी पर प्रसारित अपने संदेश में इंदिरा गांधी ने कहा, जब से मैंने आम आदमी और देश की महिलाओं के फायदे के लिए कुछ प्रगतिशील क़दम उठाए हैं, तभी से मेरे ख़िलाफ़ गहरी साजिश रची जा रही थी.।