जिसमें अग्नि सा तेज वायु सा वेग,वह है युवा : डॉ. भारती शर्मा
सचिन शर्मा
हरिद्वार। 29 जनवरी 2023 को अरूणिमा ए थिंकिंग वेव में 'युवाओं के समक्ष चुनौतियां' विषय पर एक अवेयरनेस सेशन रुड़की नगर स्थित एक होटल में संपन्न हुआ। उक्त बैठक श्रीमती नीता मित्तल की अध्यक्षता व श्रीमती भावना त्यागी के निर्देशन में संपन्न हुई।
विषय को खोलते हुए अरुणिमा सचिव डॉ भारती शर्मा ने कहा कि जिसमें अग्नि सा तेज और वायु सा वेग है,वह युवा है। अपने सनातन देश भारत में युवा दृष्टिकोण से तौले जाते हैं। संघर्षों के रास्ते पर चलते हुए सफलता पाने वाले व्यक्ति को युवा कहते हैं। जिसके अंदर नया सोचने की, नया करने की,अपने देश,राष्ट्र और समाज को आगे बढ़ाने की सोच करवटें नहीं लेती, वह युवा नहीं है। उलट दे जो सफीनों को उसे तूफान कहते हैं उलझता जो तूफानों से उसे नौजवान कहते हैं। उक्त विषय पर युवा वर्ग से मिस शिवांशी त्यागी ने सबसे पहले देश के 60% युवा वर्ग की समस्याओं पर दृष्टिपात किया। इकोनामिक टाइम्स सर्वे के अनुसार 80% युवा अपने निर्णय स्वयं नहीं ले पाता,59% युवा अपने करियर को लेकर असंतुष्ट हैं। एकाकीपन,डिप्रैशन, प्रोफेशनल व पर्सनल में असंतुलन, मानसिक स्वास्थ्य हानि,शिक्षा प्रणाली में कमी व परिणाम स्वरुप यह कहें कि जिज्ञासा कम डिप्रेशन ज्यादा,युवाओं के टूटते संकल्प, आत्महत्या में वृद्धि स्वरूप नित्य 28 युवा मृत आदि।
मिस निशु नामदेव ने आपत्ति दर्ज कराई कि व्यक्तिगत स्वार्थों के चलते युवा शोध व जरूरतों जैसे मुद्दों पर ना कोई योजना है,ना कोई बहस। केवल पक्ष और विपक्ष की राजनीति है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि देश के युवा की समस्याओं का समाधान कौन करेगा? इस मोड़ पर अरुणिमा की सदस्य महिलाओं ने कुछ तथ्य युवा वर्ग के समक्ष रखे जिनमें भावना त्यागी संयोजिका अरुणिमा ने कहा कि आज के युवा वर्ग को माता-पिता रोल मॉडल के रूप में,स्वयं के लक्ष्य निर्धारण,संकल्प ही एकमात्र विकल्प जैसे स्वभाव की आवश्यकता है। श्रीमती रेखा सिंह ने कहा कि एक बड़ी चुनौती डिजिटल रिवोल्यूशन है जिसका परिणाम मौलिकता में कमी है जिसमें संयम व संतुलन अपेक्षित है। श्रृखला को आगे बढ़ाते हुए अन्य सदस्यों जैसे डॉ अर्चना चौहान श्रीमती उर्मिला पुंडीर श्रीमती सुगंध जैन श्रीमती साक्षी त्यागी ने क्रमशः एकल परिवार,लव जिहाद,समय से पहले वयस्कता, जेनरेशन गैप इत्यादि विषयों पर चर्चा की।
समाधान के बिंदु
आज युवा वर्ग को जरूरत है कैरियर गोल नहीं लाइफ गोल सेट करने की, एक व्यापक दृष्टिकोण की क्योंकि जीवन में संतुष्टि आत्मीय गुणों से आती है। समाज की दशा और दिशा जीवन दर्शन से बदली जा सकती है अतः तथाकथित रिक्तियों से ध्यान हटाकर,जिसका समाधान हमारे स्वभाव में पहले से ही मौजूद है,विश्व गुरु सोपान की ओर बढ़ते भारत में नौजवानों को यथा दृष्टि तथा दष्टि के साथ आगे बढ़ना होगा। समाज में मजबूत विचार शक्ति वाले नौजवान तैयार करने होंगें। भारतीय ज्ञान परंपरा व संकल्प ही एकमात्र विकल्प के भाव से आगे बढ़ेंगे तो न डिप्रेशन होगा न असंतुष्टी।