व्यावसायिक प्रशिक्षकों ने कहा, हमारी भी सुने सरकार
व्यावसायिक प्रशिक्षकों ने कहा, हमारी भी सुने सरकार
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गबर सिंह भण्डारी श्रीनगर गढ़वाल।प्रदेश भर के लगभग 200 सरकारी माध्यमिक विद्यालयों ( अटल उत्कृष्ट राजकीय इण्टर काॅलेज,अटल उत्कृष्ट राजकीय बालिका इण्टर कालेज, राजकीय इण्टर कालेज, राजकीय बालिका इण्टर कालेज, उच्चतर माध्यमिक विद्यालय) में शिक्षा विभाग द्वारा पिछले दो वर्ष पूर्व व्यावसायिक शिक्षा की शुरूआत की गई है जिसमें वर्तमान में राज्य भर के समस्त तेरह जनपदों में कक्षा नौ एवं कक्षा दस के लगभग 40000 छात्र छात्राएं व्यावसायिक शिक्षा के अंतर्गत चल रहे 8 विषयों जिनमें आईटी,प्लम्बिंग,ऑटोमोटिव,रिटेल,टूरिज्म एंड हाॅस्पिटेलिटी,इलेक्ट्रानिक एंड हार्डवेयर,एग्रीकल्चर,ब्यूटी एवं वेलनेस हैं के अंतर्गत के पाठ्यक्रम का लाभ ले रहे हैं।वर्तमान में व्यावसायिक शिक्षायुक्त विद्यालयों में संबंधित विषयों की प्रयोगात्मक परीक्षाओं में छात्र-छात्राओं द्वारा व्यावसायिक शिक्षा के पाठ्यक्रम को संचालित करने वाले प्रशिक्षकों के निर्देशन में कुशल प्रदर्शन किया जा रहा है। जिससे आगामी बोर्ड परीक्षाओं में छात्र छात्राओं को लाभ प्राप्त होने के साथ साथ निकट भविष्य में रोजगार के अवसर मिलेंगें। परंतु वहीं दूसरी ओर व्यावसायिक शिक्षा का प्रशिक्षण प्रदान करने वाले प्रशिक्षकों के सामने कई कठिनाइयों का दौर निरंतर चला आ रहा है। जहां एक ओर नई शिक्षा नीति 2020 में व्यावसायिक शिक्षा को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है वहीं प्रदेश सरकार द्वारा व्यावसायिक शिक्षा को विभाग के माध्यम से न चलाकर निजी कंपनियों के तहत चलाया जा रहा है।
व्यावसायिक प्रशिक्षकों का कहना है कि व्यावसायिक शिक्षा के संचालन में व्यावसायिक प्रशिक्षक की भूमिका सबसे अहम होती है, विद्यार्थियों को प्रशिक्षित करने से लेकर व्यावसायिक शिक्षा के सभी कार्य व्यावसायिक प्रशिक्षक पर निर्भर होते हैं, इसके अलावा विद्यालय के अन्य सभी कार्यों में सहभागिता होती है। सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना का लाभ बच्चों को प्राप्त हो सके इसके लिए पूरे प्रदेश भर के समस्त 13 जनपदों के 200 शासकीय विद्यालयों में यह व्यावसायिक शिक्षा लागू है, परंतु इसके संचालन हेतु वर्तमान में पूरे प्रदेश में 256 व्यावसायिक प्रशिक्षक अपनी सेवाएं सुचारू रूप से देने के साथ साथ निष्ठापूर्वक अपने कार्य का निष्पादन कर रहे हैं,परंतु उन्हें कार्य के अनुरूप वेतन नहीं मिल पा रहा है।
साथ ही कहा कि वर्तमान में व्यावसायिक प्रशिक्षकों को प्राप्त होने वाला महीने भर के मानेदय में एक दिन का मानेदय महज इतना है कि अगर किसी दिहाड़ी मजदूर की एक दिन की दिहाडी मजदूरी सेे उस मानेदय की तुलना की जाय तो दिहाड़ी मजदूरी से भी कम है। जो कि व्यावसायिक प्रशिक्षकों के सम्मान के विरूद्ध है। कहा कि मानेदय कभी भी समय से प्राप्त नहीं होता जिससे व्यावसायिक प्रशिक्षकों को आर्थिक एवं मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। केंद्र की इस योजना का क्रियान्वयन अन्य राज्यों में भी है,जहां मानेदय वृद्धि भी प्रतिवर्ष होती है,परंतु प्रदेश में आज तक किसी प्रकार की कोई वृद्धि नहीं की गई और न ही कभी समय पर मानेदय दिया जाता है। इसके अलावा व्यावसायिक प्रशिक्षकों का कहना है कि सरकार को प्रशिक्षकों के साथ हो रहे अन्याय पर ध्यान देना चाहिए साथ ही उन्हें भी अन्य प्रदेशों की तरह मानेदय में वृद्धि के साथ साथ ठेका प्रथा से हटाकर विभाग में समायोजित किया जाना चाहिए।