मंगलौर में आयोजित कवि गोष्ठी में शायरों ने बांधा समां
तलत परवीन
मंगलौर। बीती रात एक होली मिलन व माहे रमजान मुबारक के नाम से एक कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया आपको बता दें मंगलौर मोहल्ला किला में मोनिस काजमी के आवास पर पर एक कविगोशटी व निश्सत का आयोजन किया गया इस प्रोग्राम की अध्यक्षता अंजुम अफगानी ने की निजामत मीर जमीर ने की इस निशसत में सभी कवियों व शायरों ने अपना अपना कलाम पढ़कर सभी दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया प्रोग्राम कामयाबी के साथ रात 2:00 बजे तक चला इस कवि गोष्ठी में कवि व शायरो के नाम इस प्रकार हैं
जनाब पवन कुमार ने वनों को काटा जा रहा है और इसी पर क्या खूब कहा
जहां मैं आज यू खतरे में है फिजा का वजूद
जमी से खत्म किए जा रहे हैं वन अफसोस
वहीं पर सलीम फारुकी ने इस जमाने की कड़वी सच्चाई को बयान करते हुए कुछ इस तरह से कहा
मत भूल के बादल का बस एक छोटा सा टुकड़ा
सूरज सी बड़ी शै को चमकने नहीं देता
इस प्रोग्राम के उस्ताद शायर जाबिर कसीन साहब ने अपने ख्यालात का इजहार कुछ इस प्रकार किया
शहर बदला ना मे बदला ना हवेली बदली
फिर भी लगती है हर एक शै मुझे बदली बदली
वहीं पर मनसूर मंगलोरी न जमाने में मिलने बिछड़ने की बात करते हुए कहा
मिलकर बिछड़ गया कोई रंजो मलाल क्या
जिसने मुझे भुला दिया उसका ख्याल क्या
इंसाफ की बात करते हो अंजुम अफगानी में अपने ख्यालात इस तरह पेश किए
गूंगे और बहरे हैं मसनद ए सदारत पर सच का इसलिए अंजुम फैसला नहीं होता
उमेर समर ने सवेरा होने की बात करते हुए कहा अंधेरी रात की शिद्दत यह कह रही है समर
बस अंनकरीब ही सूरज निकलने वाला है
अबरार मंगलौरी ने भी अपने खयालात का इजहार करते हुए कहा
नादान समझ बैठा है तालाब को दुनिया
तालाब के मेंढक ने समंदर नहीं देखा
मोहम्मद हैदर ने अपनी ग़ज़ल इस तरह पेश की
अनगिनत बेश ऊर लोगों में
सिर्फ एक अकलमंद क्या करता
आखिर में मोनिस काजमी ने सच्चाई को इस प्रकार बयान करते हुए का
अब मसनूई बातों को अशआर में ढाला जाएगा
दीवारों पर फूल बनाकर अर्क निकाला जाएगा
इनके अलावा सैयद मीर जमीर अल्तमश अब्बास आदिल आब्दी रोनक जेदी अरशद फारुकी मोहम्मद हैदर आदि ने अपना अपना कलाम पेश किया।