ब्रेकिंग न्यूज़
1 . वार्षिक कला प्रदर्शनी "अभिव्यक्ति" – “ कण-कण में राम “ 2 . मुरादाबाद के भाजपा प्रत्याशी ठाकुर सर्वेश सिंह की अंत्येष्टि में शामिल हुए बहादुरपुर जट्ट के ग्राम प्रधान 3 . कुहु गर्ग के आईपीएस बनने पर श्री वैश्य बंधु समाज ने बांटी मिठाईयां 4 . रोजगार हेतु कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रमों की महत्वपूर्ण भूमिका 5 . सहारनपुर लोकसभा प्रत्याशी राघव लखन पाल शर्मा के समर्थन मे उतरी पूर्व राज्यपाल और वर्तमान कैबिनेट मंत्री बेबी रानी मौर्य 6 . देहरादून में दिवंगत कलाकार प्रह्लाद मेहरा की आत्मा की शांति हेतु शोक सभा का आयोजन 7 . रेलवे कर्मचारियों के शत-प्रतिशत मतदान को सुनिश्चित करने के लिए बैठक का आयोजन 8 . "परिजनों ने कराया नेत्रदान' "नेत्रदान महादान हरिद्वार ऋषिकेश टीम का 323 वां सफल प्रयास 9 . मतदान जागरूकता हेतु रैली का आयोजन 10 . संत महापुरुषों के प्रत्येक कार्य में होता है समाज का हित : महंत मुरारी दास 11 . आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह आज सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई 12 . जीजीआईसी ज्वालापुर की छात्राओं ने किया शांतिकुंज व देसंविवि का शैक्षिक भ्रमण 13 . मतदान जागरूकता हेतु नुक्कड़ नाटक एवं रैली का आयोजन 14 . जल ही जीवन का आधार जल बिन सब बेकार-डॉ अनुपमा गर्ग 15 . मतदान जागरूकता हेतु मानव श्रृंखला एवं रैली का आयोजन 16 . श्री वैश्य बंधु समाज महिला विंग ने किया होली मिलन कार्यक्रम का आयोजन 17 . स्वर्गीय डॉक्टर नागेंद्र सिंह का 110वा जन्मदिन माल्यार्पण कर मनाया गया 18 . राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्साधिकारियों के पंचकर्मीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ 19 . पूर्णाहुति के साथ महारूद्र यज्ञ का हुआ समापन,भक्तों की भारी भीड़ रही मौजूद 20 . पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की प्रवृत्ति संत की और भक्ति संघ की : डॉ. शैलेंद्र 21 . पूर्व ब्लाक प्रमुख नगीना रानी उत्तराखंड अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग की सदस्या मनोनीत 22 . शहर व्यापार मण्डल ने किया नवगठित इकाइयों का स्वागत 23 . मतदान जागरूकता के लिए छात्रोंओ ने निकाली रैली 24 . गुणवत्तापूर्ण कार्यों के साथ जनता के बीच जाना भाजपा की प्राथमिकता : आदेश चौहान 25 . रमजान का चांद नजर आते ही मस्जिदों में बढ़ी रौनक,अदा की जाएगी विशेष नमाज तरावीह 26 . संपूर्ण देश से 43 महिलाओं को अमृता शेरगिल महिला कलाकार सम्मान 2024 से सम्मानित किया गया 27 . महिलाओं के लिए प्रेरणा बनी कांस्टेबल पूनम सौरियाल 28 . उत्तराखंड मेडिकल लैब टेक्नीशियन एसोसिएशन हरिद्वार का द्विवार्षिक अधिवेशन संपन्न 29 . विधायक आदेश चौहान की विधायक निधि से टिहरी विस्थापित कॉलोनी में शुरू हुआ सड़क निर्माण कार्य 30 . जांच में सिद्ध नहीं हुए साबिर पाक दरगाह प्रबंधक रजिया पर लगे आरोप,दोबारा संभाला पदभार 31 . नगर आयुक्त के समर्थन में आए निवर्तमान मेयर ने रूड़की विधायक पर लगाए भ्रष्टाचार के आरोप 32 . गुरु की भक्ति और शक्ति मुक्ति का आधार : संत बालकदास 33 . 220 किलो गौमांस के साथ गौकशी का आरोपी गिरफ्तार 34 . कार्यकर्ताओं से होती है पार्टी व पदाधिकारियों की पहचान : राजीव शर्मा 35 . विकास कार्यों के लिए नवोदय नगरवासियों ने जताया राजीव शर्मा का आभार 36 . आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा पार्षदों ने बनाई रणनीति 37 . रानीपुर विधायक ने शुरू कराया एक करोड़ से अधिक लागत की सड़क के पुनर्निर्माण का कार्य 38 . जीजीआईसी ज्वालापुर में 12वीं की छात्राओं को समारोहपूर्वक दी गई विदाई 39 . भाजपा शासन में जनता को मिल रहा सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ : राजीव शर्मा 40 . 18 फरवरी को स्वरोजगार नारी सम्मेलन आयोजित करेगा छनमन कैप चैरिटेबल ट्रस्ट 41 . उत्तराखंड विधानसभा से पास यूसीसी बिल पूरे देश को राह दिखाएगा : राजीव शर्मा 42 . उत्तराखंड विधानसभा से पास यूसीसी बिल पूरे देश को राह दिखाएगा : राजीव शर्मा 43 . निशुल्क चिकित्सा शिविर का सैकड़ों लोगों ने उठाया लाभ 44 . रुड़की में बारिश के साथ भारी ओलावृष्टि से बढ़ी ठंड 45 . सफाई कर्मचारियों की समस्याओं का समाधान नहीं कर रही सरकार : विशाल बिरला 46 . मसूरी शहर की विकास योजनाओं को लेकर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने ली बैठक 47 . राष्ट्र निर्माण में शिक्षण-प्रशिक्षण संस्थानों की अहम भूमिका : स्वतंत्र कुमार 48 . श्री वैश्य बंधु समाज मध्य क्षेत्र हरिद्वार ने किया महाराज अग्रसेन स्मृति सम्मान समारोह का आयोजन 49 . भेल ओ.बी.सी.एसोसिएशन ने मनाई सावित्रीबाई फुले जयंती 50 . पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति के विकास में जुटी केंद्र सरकार : अजय भट्ट

वो हमारे गांव का पंधेरा,प्रथम किश्त : कविराज नीरज नैथानी

वो हमारे गांव का पंधेरा,प्रथम किश्त : कविराज नीरज नैथानी

 सबसे तेज प्रधान टाइम्स                                           

गबर सिंह भंडारी                                                                             

श्रीनगर गढ़वाल। हमारे गांव मे कभी  एक पंधेरा(जहां प्राकृतिक श्रोत से बहने वाली पानी की अविरल धारा बहती है) हुआ करता था।हुआ करता था मतलब अब उसका अस्तित्व लगभग समाप्ति की ओर है।

आज से  पैतीस चालीस साल पहले तक उस पंधेरे में मोटी जलधारा बहती थी।उसे मैं जलधारा के स्थान पर अमृतधारा कहूं तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।

अहा, क्या मीठा पानी था उस पंधेरे का।                                पीते‌ ही जिह्वा,कंठ,हृदय,तन,मन,मस्तिष्क,रोम रोम सभी कुछ पूर्णत:प्रफुल्लित हो जाता था।

उसकी एक विशेषता और थी वह सर्दियों में गुनगुना लगता था।

ऐसा गुनगुना कि किसी सोलर पैनल ने उसकी ठंडक को मार कर कड़ाके की शीत में भी नहाने धोने लायक बना दिया हो।

दिसंबर जनवरी की ठंड में भी हमारे गांव वाले उसके नीचे बैठकर आराम से नहाया करते थे।उसकी चौड़ी व मोटी धार पल भर में पूरे देह को समतापित कर दिया करती थी।

जैसे कि आपने महसूस किया होगा कि यदि आप सर्दियों में बाल्टी से किसी छोटे मग में पानी निकालकर बदन पर पानी डालें तो शीत जल की थोड़ी मात्रा पूरे बदन में झुरझुरी करती है।

और उसके स्थान पर यदि आप झम्म से पूरी बाल्टी अपने ऊपर उड़ेल दो तो एक झटके के बाद ठण्ड बिल्कुल नहीं लगती है।

तो जनाब वैसा ही था हमारे गांव का पंधेरा।

कितनी भी ठण्ड हो आपने जरा सी हिम्मत दिखाकर कपड़े उतारे व उसके नीचे झप्पाक से बैठ गए तो उसकी चौड़ी धार पल भर में आपको संतुलित कर देने का माद्दा रखती थी।

और गर्मियों में,आह क्या कहने जैसा कि मैंने पहले ही बताया कि इतना शीतल जल जैसे कोई मीठा पेय । कितनी भी प्रचण्ड गर्मी हो आप उसके नीचे नहाने बैठे नहीं कि वह तत्काल असीम तृप्ति का एहसास कराने लगता।

गांव वालों की सेहत दुरस्त रहे लिहाजा ऋतुओं के हिसाब से मिजाज बदलने का हुनर आता था साहब उस पंधेरे को।

हमारे पुरखे उसे देवता मानते थे।पूजा‌ होती थी उस पंधेरे की।

गांव में जब कोई नयी दुल्हन ब्याहकर आती थी तो उसे पहले पंधेरे में ले जाकर वंदन करवाते थे।

वह धूप बत्ती जलाकरअपने मेहंदी लगे हाथों व रंगीन चूड़ियों से भरी कलाइयों को खनकाते हुए पंधेरे के मुख पर लाल धागा कलेवा बांधती,रोली चंदन का टीका लगाती तथा लड्डू रखती।      

उस समय पास में लड्डू मिलने की आस में खड़े बच्चों की आंख में विशेष चमक देखी जा सकती थी।जब बच्चों को लड्डू दिया जाता तो वे लपक कर खाते।

फिर दुल्हन पंधेरे को नमन वंदन करते हुए नयी गागर को धोकर भरती तथा सिर पर कपड़े का गोल बीड़ा बनाकर उसके ऊपर गागर रखती।गागर के ऊपर कलेवा बंधा जल से भरा लोटा भी रखा जाता।

वहां से घर तक पानी लेकर आना जलोत्सव सा‌ होता तथा इस आयोजन के केंद्र में यह जलधारा ही होता।

पंधेरे के चौक को पवित्र स्थल माना जाता था।वहां शौच करना,मल मूत्र त्याग करना नैतिक वर्जना के अंतर्गत आता था।

अच्छा एक बात बताऊं वह केवल पानी भरने,नहाने धोने की स्थली‌ मात्र नहीं था।

विवाहित स्त्रियां जंगल से लकड़ी घास काटकर बड़े बड़े गठ्ठर कांधे पर लाद कर लातीं तो उस पंधेरे के पास ही दीवार पर उतारतीं।

पंधेरा उनकी थकान को दूर से ही समझ लेता।फिर मानो कह रहा हो आओ मेरे पास आओ मेरी चंद छींटे ही तुम्हारी थकावट को पल भर में दूर कर देंगी।

और जब वे उसके नीचे हाथ मुंह‌ धोती पादों का पृच्छालन करतीं तो उसकी जलधार जादू की माफिक असर दिखातीं।

ना जाने उनकी थकान कहां दूर भाग जाती।वे असीम तृप्ति का एहसास करतीं।

फिर वे पास के पत्थर पर बैठकर एक दूसरी सहेली से अपने सुख दुख बांटती।

खूब चूहुलबाजी भी करतीं वे आपस में मसलन आजकल तेरा मालिक घर आया हुआ है-----खूब लाल दिख रही है-----गाल क्या बने हुए हैं सेब जैसे-----वह चिकोटी काटते हुए कहती,चल हट्ट बेशर्म कहीं की वह प्यार भरा उलाहना देती मानो पंधेरा सब सुन रहा हो।

खिलती हुयी जलधारा भी नीचे तड़तड़ गिरते हुए कहने लगती मैंने सब सुन लिया तब वह‌ नवयौवना संकोच से और मादक लगने लगती।

दूसरी युवती कहती मेरा तो पिछले छ:महीने से परदेश ही है।वियोग की अग्नि का तब इसी पंधेरे की जलधारा से शमन होता।

कोई सास की ज्यादतियों का जिक्र करती है तो कोई अपनी गरीबी,लाचारी की व्यथा सुनाती तो कोई बताती कि बहुत दिनों से मायका जाना नहीं हुआ,तो कोई अपनी व्याधि बीमारी की पीड़ा सुनाती।

उस समय यह पंधेरा पीड़ाओं, दर्द व समस्त वेदनाओं को अपनी शीतल धारा के मरहम से सकून देता। गांव वालों की आयु वर्ग के संदर्भ में पंधेरे की ठांव विचित्र ढंग सेअलग अलग होती।

यानि कि बच्चों,नवयुवतियों,विवाहिताओं,वृद्धाओं,युवाओं व बूढ़ों सभी के लिए भिन्न भिन्न। 

आप इसे इस तरह समझ सकते हैं कि जब बच्चे इसके पास आते तो यह पंधेरा उनके लिए जलक्रीड़ा स्थली बन जाता।

बच्चे इसकी जलधारा के नीचे नहाते,उछलते,कूदते ,खिलखिलाते ,एक दूसरे को भिगोते,खूब मौज मस्ती करते।

इसके नीचे बैठते तो उठने का नाम ही ना लेते।वे तब तक ना हटते जब तक पानी भरने आयी  महिलाएं इन्हें डांटकर भगा नहीं देती कि चलो, हटो पानी भरने दो, हमें देर हो रही है।

महिलाएं अपने बंठे(पानी भरने की पीतल या तांबे की गागर) को अंदर बाहर मिट्टी से रगड़ रगड़ कर जब इसकी धार के नीचे धोने को रखतीं तो वे ऐसे चमकने लगते कि मानों अभी दुकान से नये नये खरीदकर लाए गए हों।

कहने का आशय यह है कि महिलाओं का मिट्टी से बंठे को रगड़ कर साफ करने के श्रम के बराबर या उससे कहीं अधिक की भूमिका  पंधेरे की जबरदस्त धार की होती जो उसके पोर पोर पर पड़कर इसके एक एक बिंदु को सोने जैसा चमका देता।

और गजब कि बात पानी‌ भरने के बहाने वे महिलाएं भी तब तक उसकी जलधारा के सानिध्य में परस्पर गपशप मारती रहतीं जब गांव का कोई बुजुर्ग खंखार कर उन्हें सचेत नहीं करता कि अब हटो भी मुझे  हाथ मुंह धोना है भई।

बूढ़े बुजुर्ग उस पंधेरे की शीतल धार में मुंह छप छपाकर नौजवान‌ हो जाते।वह उनके लिए संजीवनी का काम करता।जब वे अपने हाथ पैरों को उसकी धार के नीचे भिगोते तो उनके संपूर्ण शरीर में रक्त का संचार तीब्र हो जाता। वे नयी स्फूर्ति से भर जाते और युवाओं पर तो वह पंधेरा विशेष प्यार उड़ेलता।

आज से पैंतीस चालीस साल पहले पहाड़ी गांव में अधिकांश परिवार किसी भी प्रकार से समृद्ध कतई नहीं कहे जा सकते थे।

उस समय सक्षम परिवार के लड़के जब सुबह हाथ मुंह धोने इस पंधेरे में आते तो कागज की पुड़िया में लाल दंत मंजन लाते।गरीब घरों के लड़के कोयले या टिमरू से दतून करते।

लड़कों का कोई दोस्त जो हाल ही में फौज मे भरती हुआ था जब छुट्टियों में घर आता तो उसके दोस्त अक्सर उसके साथ नहाने पंधेरे में आते।

तब वह फौजी भाई पंधेरे के पास की दीवार में जब अपना नया रंगबिरंगा तौलिया  व उसके बगल में  लाइफ ब्वाय साबुन  कॉलगेट पेस्ट तथा टूथ ब्रश रखता तो सबका जी ललचाता।

एक तरीके से उसक यह सारा सामान समृद्धि का प्रतीक‌ लगता था।

मैं उस समय की बात कर रहा हूं जब अधिकांश घरों में तौलिए होते ही नहीं थे। हमारे जेसे हम उम्र  तो पंधेरे में नहाए धोए व फटाफट आंख बंद कर कपड़े बदल लिए।हमारी आंखें बंद होने का मतलब हमें किसी ने नहीं देखा होगा जैसी अनुभूति कराता था।

साबुन से नहाना अमीरी की निशानी थी।ऐसे में वह फौजी दोस्त अपने आप तो ब्रश में कालगेट लगाकर पेस्ट करता व हमारे दाएं हाथ की दूसरी उंगली में जरा सा लगाकर देता।

तब उस पेस्ट की सुगंध हमारे नथुनों मे भर जाती व दातों पर पेस्ट वाली उंगली रगड़ते ही हम मीठी मीठी पिपरमिंट जैसी झनझनाहट‌  महसूस करते।कुल्ला करते समय मन करता कि थोड़ा सा इसका स्वाद गले के नीचे उतर जाता तो कितना अच्छा होता।

और साबुन अगर उसने हमें लाइफ ब्वाय लगाने को दे दिया तो कहने ही क्या।     

ट्रांजिस्टर पर सुना गया विज्ञापन लाइफ ब्वाय है जहां तंदुरस्ती है वहां हमें  साबुन से नहाने की गर्वोक्ति का एहसास कराता।

हांलाकि वह दोस्त हमारी खुशी को ज्यादा देर कायम ना रहने देता कल भी नहाना है सारा आज ही रगड़ देगा क्या कहते हुए वह साबुन लगभग छीनने के अंदाज में झपट कर साबुनदानी में कैद कर देता।

सच बताऊं तो उसका यह जालिम पना हमें कतई अच्छा नहीं लगता लेकिन अगले दिन भी खुशबूदार साबुन लगाने को मिलेगा हम यह सोचते हुए मन को तसल्ली देते।

नीरज नैथानी लेखक कविराज श्रीनगर गढ़वाल



You Might Also Like...
× उत्तरी हरिद्धार
मध्य हरिद्धार
ज्वालापुर
कनखल
बी एच ई एल
बहादराबाद
शिवालिक नगर
उत्तराखंड न्यूज़
हरिद्धार स्पेशल
देहरादून
ऋषिकेश
कोटद्वार
टिहरी
रुड़की
मसूरी