माता-पिता और गुरु की सेवा के बिना जीवन अधूरा : रवींद्र पुरी
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शिप्रा अग्रवाल
हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि
मातृ देवो भव, पितृ देवो भव।
आचार्य देवो भव, अतिथि देवो भव।।
हमारे शास्त्र कहते हैं माता, पिता, और गुरु देवता के समान होते हैं , यह किसी भी व्यक्ति के लिए प्रत्यक्ष भगवान होते हैं, इनके आशिर्वाद से बड़ा से बड़ा संकट कट जाता है।
बड़ों का आशीर्वाद हमारी ज़िन्दगी में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह हमें जीवन में मार्गदर्शन और समर्थन प्रदान करता है और हमें साहस, संजीवनी, और उत्साह देता है। बड़े अनुभवों और ज्ञान के धारक होने के कारण, वे हमें अपने अनुभवों और ज्ञान के साथ आगे बढ़ने में मदद करते हैं।
बड़ों का आशीर्वाद हमें जीवन में सफलता की ओर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। उनके अनुभव और ज्ञान से हमें जीवन की महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार करने का साहस मिलता है।
उनका आशीर्वाद हमें विश्वास और स्वागत की भावना प्रदान करता है, जो हमें निराशा और असफलता के विचारों से दूर रखता है।
उनका आशीर्वाद हमें समाज में उच्च स्थान और सम्मान प्राप्त करने में मदद करता है। उनके मार्गदर्शन से हम नीति, संगठन, और संघर्ष में सफलता प्राप्त करने के लिए तैयार होते हैं। उनका साथ हमें सामाजिक और आर्थिक समस्याओं का सामना करने में सक्षम बनाता है।
उनका आशीर्वाद हमें जीवन में संतुलन और स्थिरता प्रदान करता है। उनका समर्थन हमें स्वास्थ्य, धन, और परिवार के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने में मदद करता है।
उनकी प्रेरणा से हम अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रयासरत रहते हैं और सपनों को साकार करने के लिए प्रेरित होते हैं।
आज पाश्चात्य सभ्यता से प्रेरित होकर लेकर प्रणाम करना भूल गए हैं हेलो हाय बाय को अपनाने लगे हैं लेकिन उन्हें नहीं पता की वो कितनी बड़ी चीज को छोड़ रहे हैं, इसके कारण हम बड़ो के आशीर्वाद से वंचित हो जाते हैं, जो हमारे सुखमय जीवन के लिए बहुत जरूरी है।
हमारा देश संस्कृति प्रधान देश है और यहां की संस्कृति प्रणाम करने की है हेलो हाय की नहीं, इसलिए मैं अपने सभी देशवासियों से निवेदन करना चाहूंगा कि बड़ो को प्रणाम करें जिससे आपको उनका आशीर्वाद प्राप्त हो और आप उन्नति के शिखर की ओर अग्रसर हो। मां भगवती मनसा देवी का आशीर्वाद आप सब पर बना रहे।