कन्या गुरुकुल में भारतीय नववर्ष एवं आर्य समाज पर कार्यक्रम का आयोजन
अंशु वर्मा/गीतेश अनेजा
देहरादून। विश्वविद्यालय के निर्देशानुसार दिनांक 8 अप्रैल, 2024 को कन्या गुरुकुल परिसर, देहरादून में हिन्दू नववर्ष के उपलक्ष्य में 'भारतीय नववर्ष एवं आर्य समाज' विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के माध्यम से छात्राओं को नव संवत्सर और आर्य समाज के महत्व के साथ ही आर्य समाज के समाज और राष्ट्र के प्रति योगदान पर प्रकाश डाला गया। कार्यक्रम के दौरान प्रो. हेमलता ने छात्राओं के समक्ष भारत के सांस्कृतिक वैविध्य पर प्रकाश डालते हुए बताया कि किस तरह भारत के विभिन्न क्षेत्रों में 'नव संवत्सर' मनाया जाता है। महाराष्ट्र और गोवा के गुड़ी पड़वा तथा तेलंगाना के उगादी पर्व के बारे में छात्राओं को बताया गया। प्रो. हेमन पाठक ने हिन्दू महीनों एवं त्योहारों से छात्राओं को परिचित कराते हुए रामधारी सिंह दिनकर की कविता 'ये नववर्ष हमें स्वीकार नहीं' कविता के माध्यम से हिन्दू नववर्ष के महत्व को छात्राओं के समक्ष रखा। डॉ. प्राची आर्य ने चैत्र मास के महत्व व पवित्रता को स्पष्ट करते हुए बताया कि ब्रह्म ने आज ही के दिन सृष्टि की रचना आरम्भ की थी और यही कारण है कि आज हम इसे हिन्दू नववर्ष के रूप में मनाते हैं। इसी पवित्रता व महत्व को ध्यान में रखते हुए, विश्वभर में वेदों की ज्योति को प्रकाशित करने वाले स्वामी दयानंद सरस्वती ने हिन्दु नववर्ष के दिन 'आर्य समाज' की स्थापना की। डॉ. प्राची ने आर्य समाज के सामाजिक, राजनीतिक व धार्मिक मूल्यों व योगदान से छात्राओं को अवगत कराया साथ ही विक्रम संवत् व युधिष्ठिर संवत् के बारे में बताते हुए हिन्दू कालगणना की जानकारी भी दी। कार्यक्रम में डॉ. निशा यादव ने जानकारी दी कि इस समय जहां प्रकृति में चारों तरफ उल्लास देखने को मिलता है, चारों ओर नए पुष्व व पल्लव अपनी आभा बिखरते नजर आते हैं तो वहीं दूसरी तरफ किसान अपनी फसल निकालकर घर ले आता है ओर अपनी अगली फसल के लिए खेतों को मीठे चावल से भोग लगाकर 'भूमि पूजन' कर भूमि व बादलों से प्रार्थना करता है। कार्यक्रम में डॉ. सरिता नेगी ने वनवर्ष पर एक गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के दौरान शिक्षिकाएं, शिक्षकेत्तर कर्मचारी, शोधार्थी व छात्राएं उपस्थित रहीं।