जंगलों में लगेगी आग तो घर-घर पहुंचेंगे बाघ,भविष्य में नहीं होंगे जंगली फल नसीब
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गबर सिंह भण्डारी
श्रीनगर गढ़वाल। उत्तराखंड की देवभूमि में आजकल तापमान की वृद्धि होने के कारण वनाग्नि (आग) फैलने की अधिक घटनाएं हमारे देवभूमि के पहाड़ों में होती है। यदि देवभूमि के जंगलों में लगेगी आग तो घर-घर में पहुंचेंगे बाग और भविष्य में नहीं होंगे यह जंगली फल नसीब। वन विभाग खिर्सू के वनवीट अधिकारी रविन्द्र कुमार का कहना है कि आग फैलने का मुख्य कारण पर्यटकों व ग्रामीणों द्वारा सिगरेट,बीडी व माचिस की जलती तिल्ली आदि को जंगलों में फेंकना व कृषि भूमि की सफाई करते हुए आड़े यानि खेतों के अलाव जलाने से सड़क पर कोलतार (डामर) के काम करने से,बिजली के तार टूटने से कि चिंगारी से वनाग्नि आग फैलने की अधिक घटनायें होती है।
जिसका सीधा-सीधा उत्तरदायी मनुष्य है,जो कि इन्सानों की लापरवाही या जानबूझकर अराजक तत्वों द्वारा लगाई जाती है,कहीं न कहीं आग लगने से हमारे जंगलों को बहुत बड़ा नुक्सान पहुंचता है जिसको की आंका नहीं जा सकता। पहाड़ों में मुख्य रूप से गर्मियों में बुरांश,काफल,किनगोड़,हिसर, तेजपत्ता,बांज आदि के फूल पहाड़ का हरा सोना औषधियां जड़ी बूटियां का बहुत बड़ी मात्रा में नुकसान होता है। जंगलों में वन्यजीव पशु पक्षियों के छोटे-छोटे बच्चे व पक्षियों के घोसलों पर अण्डे आग की लपटों से जल जाते हैं,जिसका दुष्परिणाम आजकल पहाड़ों में देखने को मिल रहा है। गुलदार,भालू,सुअर,बंदर आदि जंगली जानवर बस्तियों-गांवों में आ रहें हैं जिससे ग्रामीण क्षेत्र कि खेती-बाड़ी को नुकसान पहुंच रहा हैं, क्योंकि वन्यजीवों/वन्यप्राणियों के प्राकृतिक आवास मानव जला चुका है,वनों के पेड़-पौधों को काट चुका है। अत: गढ़वाल वन प्रभाग नागदेव रेंज पौड़ी जनता से यह अपील करता है ग्रीष्मकालीन के दौरान जंगलों में आग ना लगाएं अगर किसी को भी कोई अराजक तत्व आग लगाते दिखाई दे तो उसकी सूचना वन विभाग की निकटतम चौकी मे दें और वन विभाग का आग बुझाने में पूर्ण सहयोग करें।
-- रविंद्र कुमार वन बीट अधिकारी खिर्सू