केवी भेल के छात्रों ने पारिस्थितिकी तंत्र के परीक्षण के लिए एकत्र किए मिट्टी के नमूने
अंशु वर्मा/गीतेश अनेजा
हरिद्वार,15 अप्रैल। ऐसा कहा जाता है कि मिट्टी एक जीवित पारिस्थितिकी तंत्र है, और किसान की सबसे कीमती संपत्ति है। के वी बी एच ई एल, हरिद्वार के छात्रों ने कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (एटीएमए) के सहयोग से उसी बहुमूल्य पारिस्थितिकी तंत्र के परीक्षण के लिए मिट्टी के नमूने एकत्र करने के लिए जिले के बहादराबाद क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों की यात्रा की। यह स्कूल भारत सरकार के स्कूल सॉइल टेस्टिंग कार्यक्रम के लिए चुने गए जिले के दो स्कूलों में से एक है।टेस्टिंग से पहले छात्र छात्राओं को प्राचार्य ने मिट्टी के प्रकार उत्पादकता तथा इसके संरक्षण के बारे में विस्तार से बताया।
स्कूल के श्री कमल कांत पीजीटी भौतिकी और डॉ. अनु वर्मा, पीजीटी अंग्रेजी के नेतृत्व में चवालीस छात्रों की टीम को प्रभारी सुश्री अवतारी सती के मार्गदर्शन में स्थानीय किसानों की सहायता से मिट्टी के नमूने एकत्र करने का प्रत्यक्ष अनुभव मिला।
यात्रा से वापस लौटने पर बारहवीं कक्षा की छात्रा लक्ष्मी ने बताया कि किसानों से बातचीत करने पर उन्हें पता चला कि गेहूं, चावल और दालों जैसे अनाजों के लिए मिट्टी के नमूने छह इंच जमीन खोदने के बाद लिए जाने चाहिए, जबकि ज्वार और गन्ना में नौ इंच का होना चाहिए।
विद्यालय की टीजीटी विज्ञान एवं कार्यक्रम की संयोजिका सुश्री सुलेखा ने बताया कि एकत्रित नमूनों के पोषक तत्वों की जांच विद्यालय की प्रयोगशालाओं में विद्यार्थियों द्वारा सरकार द्वारा उपलब्ध करायी गयी किट से की जायेगी। इस तरह के उद्यम लंबे समय में मिट्टी की उर्वरता और उत्पादकता को बढ़ाने में मदद करते हैं, जिससे भारत जैसे कृषि-आधारित देश की समृद्धि बढ़ती है।