घने जंगलों के बीच स्थित है सिद्ध पीठ मां सुरेश्वरी देवी मंदिर
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विजय कुमार बंसल
हरिद्वार। चैत्र मास की नवरात्रि में हरिद्वार शहर से बाहर औद्योगिक क्षेत्र सिडकुल के पास सूरकूट पर्वत के जंगलों के बीच मां सुरेश्वरी देवी जी का मंदिर स्थित है वैसे तो राजाजी टाइगर रिजर्व के बीच स्थित अन्य लगभग सभी मंदिरों में जाने पर रोक है. लेकिन पौराणिक महत्व के इस मां सुरेश्वरी देवी के मंदिर में आज भी लोग सहजता से आते जाते हैं. हालांकि रात में मंदिर में रुकने की अनुमति चंद लोगों को छोड़ किसी को नहीं है. यहां आने-जाने वालों पर राजाजी टाइगर रिजर्व प्रशासन की कड़ी नजर रहती है।
सुरेश्वरी देवी मंदिर हरिद्वार में स्थित एक प्राचीन मंदिर है. यह मंदिर देवी दुर्गा और देवी भगवती को समर्पित इकलौता मंदिर बताया जाता है. इस मंदिर को मां की एक सिद्धपीठ के रूप में भी जाना जाता है. भेल रानीपुर के घने जंगलों में सिद्धपीठ मां सुरेश्वरी देवी सूरकूट पर्वत पर कई सौ सालों से विराजमान हैं. इस मंदिर का अपना ही पौराणिक महत्व है,जिसका उल्लेख स्कन्द पुराणमें भी मिलता है।
भगवान इंद्र ने यहीं की थी तपस्या
मान्यता है कि सूरकूट पर्वत के इस स्थान पर भगवान इंद्र ने कठोर तप किया था. भगवान विष्णु द्वारा इंद्र को बताया गया था कि अगर आप गंगा जी के पश्चिमी भाग में स्थित सूरकूट पर्वत पर जहां महामाया देवी भगवती विराजती हैं, उस स्थान पर तप करें, तो आपकी परेशानी दूर होगी. उन्होंने यहां पर तप किया था, जिसके बाद उनका खोया राजपाट वापस मिला था. इंद्र का नाम सुरेश था. इसी कारण इस स्थान का नाम सुरेश्वरी देवी पड़ा सिद्धपीठ मां सुरेश्वरी देवी समिति के मंत्री आशीष मारवाड़ी का कहना है कि इस सिद्धपीठ की मान्यता को न्यायालय ने भी माना है. शाम पांच बजे तक उसी वजह से उसे खोलने की अनुमति दी गई है. वे बताते हैं कि घने जंगल के बीच स्थापित होने के कारण जंगली जानवरों का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन यह जानवर कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते. मां की सवारी बब्बर शेर को भी मंदिर के आस-पास देखा गया है. नवरात्रि में मां का रोजाना भंडारा चलता है. नवमी के दिन यहां विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है।