शिव तत्व का पूजन सर्वोपरि है जो विष्णु भगत शिव आराधना करते है उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है:महंत प्रदीप गोस्वामी
शिव तत्व का पूजन सर्वोपरि है जो विष्णु भगत शिव आराधना करते है उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है:महंत प्रदीप गोस्वामी
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सचिन शर्मा/अंशु वर्मा
हरिद्वार।सनातन ज्ञान पीठ शिव मंदिर सेक्टर 1 में चल रही ग्यारह दिवस की कथा के पंचम दिवस की श्री शिवमहापुराण कथा में कथा व्यास महंत प्रदीप गोस्वामी महाराज ने बताया की शिव तत्व का पूजन सर्वोपरि है जो विष्णु भगत शिव आराधना करते है उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होने का वरदान प्राप्त होता वो सृष्टि में शब्द नाथ का प्रारंभ भी भगवान शिव के द्वारा ही हुआ है दुनिया के सर्वोत्तम कृति मनुष्य है जिसको भगवान ने विवेक और पूजन हेतु संसार को दी है इसलिए मनुष्य को सदा भगवान शिव का पूजन और आराधना करनी चाहिए।महाराज श्री ने बताया की व्यक्ति में श्रद्धा भाव का होना बहुत ही जरूरी है जिस व्यक्ति मै श्रद्धा नहीं है विश्वास नहीं है। उसका जीवन एक दिन यू ही नष्ट हो जाता है।और जिस व्यक्ति मे शिव कथा के प्रति श्रद्धा भाव है,विश्वास है तो उसके जीवन के सारे संशय अपने आप ही नष्ट हो जाते है।अर्थात संशय मिटाने की औषधि ही शिव कथा है।महाराज श्री ने कथा को आगे सुनाते हुए रुद्राक्ष की महिमा को बताया की जो भगवान की याद में रोये वही शिव को अति शीघ्र पा सकता है मेरे आशुतोष शिव भक्तों की करुणा में रोए तो रुद्रास बन गए और हम जिस रुद्राक्ष को गले में धारण करते हैं रुद्राक्ष धारण से अनेकों लाभ होते हैं। बल्कि रुद्राक्ष धारण करने पर ही पता चलता है कि हम शिवमय् है। क्योंकि रुद्राक्ष शिव के आंसू है रुद्राक्ष शिव से उत्पन हुआ है जो हमारी पहचान कराता है रुद्राक्ष अर्थात हमारे आंसू शिव की याद मै निकलेंगे तो शिव साध्य की हमे प्राप्ति होती है इतना हि नहीं दुनिया मे जिस व्यक्ति ने शिव की पुूजा नहीं की है तो वो कभी भी प्रतिष्ठित नहीं हो सकता । अन्य देवताओं की पूजा से प्रतिष्ठित तो हो सकता है पर हमेशा के लिए प्रतिष्ठित नहीं हो सकता हमेशा प्रतिष्ठित होने के लिए हमें शिव को पाना ही होगा भगवान शिव के बिना जीवन अधूरा है शिव की कृपा के बिना हम ना किसी की पूजा कर सकते हैं, ना किसी की यज्ञ में जा सकते हैं, ना कोई दान कर सकते हैं भगवान शिव ही सर्वज्ञता है भक्ति पाना है तो शिवशरण में, मुक्ति पाना है तो शिवशरण मे, दानी बनना है तो शिव शरण मे,क्योकि जैसे शिव दान करते समय कभी सोचते विचारते नहीं है वैसे ही शिव भक्त की मन स्थिति शिव भजन शिव यजन से हो जाती है कथा को आगे बढ़ाते हुए व्यास जी ने बताया कि रुद्राक्ष पहनना भी हमारा तभी सार्थक होगा जब हम शिव पाने का संकल्प जगाये इतना ही नहीं बिल्ववृक्ष की महिमा मे बताया की बिल्व पत्र तोड़ने का उन्हे ही हक है जो बिल्व वृक्ष की सेवा करते है क्योंकि बिल्ववृक्ष महादेव स्वरूप है इस दुनिया मे महादेव के बीना ना प्रकति है ओर ना ही जीव है। सब में सर्वेश्वर महादेव शिव ही है। इसीलिए प्रकृति के शिव, जीवो के लिए शिव परम जरूरी है।कथा में मंदिर सचिव ब्रिजेश शर्मा और कथा के यजमान विनीत तिवारी पत्नि दीप्ती तिवारी पुत्र सानिध्य तिवारी,राकेश मालवीय,तेजप्रकाश,राम कुमार,मोहित तिवारी,दिनेश उपाध्याय,अनिल चौहान,विष्णु समाधिया,मान दाता,हरिनारायण त्रिपाठी,सुनील चौहान,होशियार सिंह,अलका शर्मा,पुष्पा गुप्ता,नीलू त्रिपाठी,सबिता,नीरु गौतम,सुनीता चौहान,पूनम,संतोषचौहान,मंजू,रेनू, ,गीता,विनीता,सरला,राजकिशोरी मिश्रा,विभा गौतम,कुसुमगेरा,संगीता महातो,विनोद देवी,अनपूर्णा मिश्रा,बबिता,कौशल्या,मिनाक्षी और अनेको श्रोतागण सम्मिलित हुए ।