कोलकाता कांड पर हिंदी की सहायक प्रवक्ता ने लिखी मार्मिक कविता
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अमित मेहरा
हरिद्वार। सुसाना मेथोडिस्ट गर्ल्स बी.एड कॉलेज, रुड़की में हिंदी की सहायक प्रवक्ता सुमन लता ने कोलकाता में महिला चिकित्सक के साथ दुष्कर्म एवं हत्या के बाद महिलाओं की दशा को देखते हुए एक कविता लिखी है। कविता की पंक्तियां इस प्रकार हैं :-
मेरा वजूद (नारी पीड़ा)
बहन हूं मैं बेटी भी हूं मैं, पहचान है यही मेरी।
पत्नी हूं मां भी हूं मैं, गो धरा बनाकर मरी।।
स्वार्थ सिद्धि प्रचंड है, स्वार्थ निहित वजूद मेरा।
सर्व सिद्धि की राह हूं मैं, फिर भी क्या वजूद मेरा।।
निकली जो स्वयं की खोज में, पापी बंधे एक फौज में।
डरावने थे वे सभी, जी रहे थे मौज में।।
गर चाहा स्वयं को जानना, तो मुझे किया हताश है।
डर के सहम के मैं कहूं, कहां समय को भी तलाश है।।
समर्थ का है यह जहां, असमर्थ का वजूद कहां।
न्याय धन के साथ है, स्त्री निर्धन तो न्याय कहां।।
चरित्र भी पवित्र है, फिर भी यह दशा मेरी।
वर्चस्व पापियों का है, वह ले रहे परीक्षा मेरी।।
अब न हार मानूंगी, सब कर गुजर मैं जाऊंगी।
जीत हो या हार हो, राह खोलकर मैं जाऊंगी।।
नारी हूं मैं एक संवेदना, संवेदना के स्वर पढ़ो।
इसकी ही जीत नीति से, नूतन नवल इतिहास गढ़ो।।