हिमालय के आंचल में अनूठा हिंदी साहित्योत्सव
हिमालय के आंचल में अनूठा हिंदी साहित्योत्सव
सबसे तेज प्रधान टाइम्स गबर सिंह भण्डारी श्रीनगर गढ़वाल। हिमालयन साहित्य एवं कला परिषद् श्रीनगर गढ़वाल द्वारा हिंदुओं के पवित्र तीर्थ धाम श्री बद्रिकाश्रम में हिंदी पखवाड़ा के अंतर्गत आयोजित किया गया हिंदी साहित्योत्सव। इस त्रिदिवसीय महोत्सव में धर्म,दर्शन,आध्यात्म,साहित्य एवं संस्कृति की पंचामृत धाराओं के समागम से निर्मित सरोवर से देश के विभिन्न क्षेत्रों से पधारे साहित्यकार नित पल अभिसिंचित होते रहे। इस अवसर पर नीरज नैथानी की पुस्तक 'हिमालयी रोमांच' यात्रा वृत्तांत,उत्तरप्रदेश के झांसी निवासी डॉ.दीपक द्विवेदी के दो काव्य संग्रह 'मैं प्रेम हूं'तथा 'प्रेम सारावली' के साथ ही हरदोई के कवि हृदय साहित्यिकार अरविन्द मिश्रा की पुस्तक 'श्री गुरु चरणों में 'का संयुक्त रूप से लोकार्पण किया गया। संस्कृत विद्यालय के सम्मानित प्राचार्य,विद्यार्थियों,पंडा,पुरोहितों,डिमरी पुजारियों तथा उपस्थित विद्वानों ने दीप प्रज्वलित होते ही स्वाति वाचन एवं मंगलाचरण का वाचन कर सभागार को मांगलिक प्रेक्षागृह में परिवर्तित कर दिया। श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल युवा पीसीएस अधिकारी,उद्भट संस्कृत विद्वान धर्माधिकारी राधा कृष्ण थपलियाल,नक्षत्र वेधशाला देवप्रयाग के निदेशक डॉ.प्रभाकर जोशी,प्रतिष्ठित शिक्षाविद् एवं साहित्यकार इंद्रजीत सिंह,प्रोफेसर डॉ.चरण सिंह केदार खण्डी एवं वरिष्ठ रंगकर्मी विमल बहुगुणा की गरिमामयी उपस्थिति से सुशोभित उच्च स्तरीय मंच के साथ ही प्रशाल में पधारे गाजियाबाद के ओजस्वी कवि अरविन्द पथिक,देहरादून से आमंत्रित मशहूर शायर एवं पत्रकार लक्ष्मी प्रसाद बडोनी 'दर्द', सुविख्यात गीतकार वीरेन्द्र डंगवाल पार्थ,प्रो.आर.पी.थपलियाल,डॉ.प्रकाश चमोली,देवप्रयाग पंडा समाज के पदाधिकारी एवं सदस्य मदन लाल डंगवाल,प्रवीण ध्यानी,दुर्गा ध्यानी,संतोष ध्यानी,सुधाकर बाबुलकर,विजय पालीवाल,विनोद पंडित,अंकित ध्यानी,अशोक टोडरिया पुरोहित,मुकेश कोटियाल,राकेश पालीवाल,नरेश कुंवर,डिमरी पंचायत के सम्मानित सदस्य गणेश डिमरी,देबू डिमरी,संस्कृत विद्यालय के वेद पाठी विद्यार्थीयों के साथ ही हिमालयन साहित्य एवं कला परिषद् श्रीनगर गढ़वाल के सदस्यों ने साक्षात्कार किया इस अनूठे समागम का। डॉ.प्रभाकर जोशी ने अपने उद्बोधन में कहा कि विश्व के प्रथम रचित साहित्य वेदों की पुण्य धरा श्री बद्रिकाश्रम में साहित्यिक आयोजन कर हिमालयन साहित्य एवं कला परिषद् श्रीनगर ने यह अनूठा कीर्तिमान स्थापित किया है। प्रभाकर बाबुलकर ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि श्रीनगर की संस्था द्वारा धर्म स्थली में यह नयी ज्योत प्रज्ज्वलित की गयी है मैं आशा करता हूं कि भविष्य में भी निश्चित रूप से इस प्रकार के आयोजन यहां होते रहेंगे। इस त्रिदिवसीय आयोजन में सहभागिता कर रहे प्रतिभागियों को हिमालय की विशिष्ट संस्कृति का साक्षात्कार करने का अवसर भी प्राप्त हुआ। समस्त सहभागी माता मूर्ति की धार्मिक यात्रा,माणा-बामणी गांव की सांस्कृतिक परम्परा,गणेश गुफा,व्यास गुफा,सरस्वती नदी,भीम पुल एवं समीपस्थ स्थलों के पर्यटन से अभीभूत होते रहे। इस आयोजन में अनुकूल मौसम ने प्रातः कालीन बेला में नीलकंठ हिम शिखर को अलंकृत करती सूर्य रश्मियों के चुम्बकीय दृश्य के साथ ही बलखाती,इठलाती अलकनंदा की बौछारों,कुबेरनगरी अलकापुरी के वैभव,हिमाच्छादित उपत्यकाओं के आंचल में गूंजती वेद ऋचाओं तथा सम्पूर्ण देश से आगमन कर रहे तीर्थ यात्रियों के धर्म उद्घोषों के पवित्र स्वरों से तन मन को पुलकित कर दिया। सिंगरौली म.प्र.से पधारीं सुप्रसिद्ध भागवताचार्या विजय लक्ष्मी शुक्ला,हरदोई के सुखदेव पांडेय सरल,श्रीनगर गढ़वाल से माधुरी नैथानी,रक्षा उनियाल,मीनाक्षी चमोली,देवेश्वरी सेमवाल,देशपाल सिंह नेगी,अजय चौधरी,आर.पी.कपरवाण,पियूष उनियाल दीवान सिंह रावत,कामेंद्र सिंह आदि की सहभागिता से यह अखिल भारतीय सम्मेलन पूर्ण रूपेण सफल रहा। मंच का कुशल संचालन देवेन्द्र उनियाल तथा जय कृष्ण पैन्यूली ने संयुक्त रूप से किया।