अन्न का एक-एक दाना कीमती - एम एस रावत
सबसे तेज प्रधान टाइम्स गबर सिंह भण्डारी
श्रीनगर गढ़वाल। अन्न हमारे लिए देवता है,इसे बरबाद न अन्न का दाना दाना मेरे मन का,एक तरफ अनेकों को पेट में दाने के लिए क्या क्या जुगत करने पड़ते है,कुछ लोग इस अन्न के दानों को बरबाद करते हैं,शायद उनको जीवन जीने की कला नहीं मालूम या वे जीवन मूल्य को समझते नहीं हैं,ये हमारी शिक्षा दीक्षा की कमजोरियां दिखाई देती हैं,जिसको जाने अपने जीवन यापन के लिए उपयुक्त समझना चाहिए उसकी हम को कोई कद्र नहीं। अपच बीमारियों से घिरे हुए है,इस ईश्वरीय धरोहर रूपी शरीर का पोषक अन्न ही तो है,दूसरी तरफ अधिकांश बच्चों को जिगर,तिल्ली,अप्पच की बीमारियों ने घेरा हुआ है,इन बीमारियों का मूल कारण है,अति भोजन पेट को आवश्यकता से अधिक आहार देकर भोजन को तो बरबाद करते ही हैं,ऊपर से रोगों को निमंत्रण भी देते हैं। एक ओर अन्न की बरबादी दूसरी ओर औषधियों की मांग से आर्थिक असंतुलन को आमंत्रित करना ही तो है,इस लिए सभी को मनुष्य योनि धारकों को यह अहम संदेश है,समाज के लिए कुछ उदाहरण तो देने योग्य होना ही चाहिए,इस विकास में सभी को खास कर माताओं से निवेदन है कि बच्चों के खान पान छोटे बच्चों का विशेष ध्यान रखें,जहां तक हो सके छोटे बच्चों को कम आहार पौष्टिक संतुलित आहार दिया जाय,अधिकांश बच्चों को दूध मट्ठा जैसे पेय पदार्थ दिए जाय तो बेहतर है,इससे शरीर के अवयवों विकास और रक्त में तेज गति से वृद्धि होती है,बच्चे भी खूब स्वस्थ और तंदुरुस्त रहते है,अभिभावक निश्चिंत और बेफिक्र रहते है,आर्थिक समृद्धि बढ़ती है साथ ही शरीर बुद्धि मनका विकास भी होता रहता है,बच्चों परिमित भोजन देने की आदत डाली जाय तो अनेकों बीमारियों से बचेंगे साथ खाद्यान्न की भी बचत होगी,यह बुराई बच्चों में ही नहीं है,अन्न बरबादी के आने अपव्यय हैं,यह समझ बहुत कम लोगों में देखने आता है,जो लोग अधिक खाते हैं,स्वस्थ होने का ढोंग व थाली में अधिक अन्न छोड़ने के लक्षण कों अपना बड़ापन समझता है,यह एक कमी है। "आरोग्यम नायुश्यनस्वरय चाती भोजनम,अपुन्य लोकविद्विष्टम तश्मत्त्तरिविर्जयेत"। अर्थात :- अति भोजन स्वास्थ्य के लिए विनाशक का कारण,आयु कम करने कारण,स्वर्ग कविरोध,पुण्य नष्ट करने वाला तथा अपयस प्रदान करना है,अतः उससे दूर रहें और स्वास्थ्यवर्धक भोजन ही करें,जैसे हमने बचपन में सुना था,कम खाना गम खाना जो सीख गया समझो जंग पर राज करने वाला हुआ यही स्वस्थ रहने का अचूक मंत्र है।