किसानों को बदनाम करना चाहती है मोदी सरकार ...प्रमोद खारी
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गौरव अरोड़ा
किसानों को बदनाम करना चाहती है मोदी सरकार
प्रमोद खारी
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद खारी ने कहा कि मोदी सरकार किसानों को बदनाम करना चाहती है एक बयान में उन्होंने कहा कि भारत का किसान इन दिनों खेत की बजाय सड़कों पर दिन-रात बैठा है। खेती-किसानी के सबसे मुफीद समय में अपना खेत छोड़कर सड़क पर किसान इसलिए है क्योंकि उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाए कृषि कानूनों में खोट नज़र आ रही है। किसान इसे वापस लेने की मांग कर रहे हैं। लेकिन मोदी जी अपने पूरे दल-बल के साथ घूम-घूमकर यह समझाने में लगे हैं कि वो किसानों के मददगार हैं, सिर्फ विपक्ष है जो किसानों के कंधे पर बंदूक तानकर सरकार पर हमले करवा रहा है। मोदी जी के महारथी किसानों को कभी आतंकवादी, कभी षणयंत्रकारी, कभी मालपुआ-पिज्जा खानेवाले अमीर और कभी कुकरमुत्ता संगठन जैसे अनेक उपमाओं से हिलाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन किसान अपनी ज़मीन पकड़कर बैठे हैं और कृषि कानूनों की वापसी से कम पर राज़ी नहीं हैं।
कृषि कानूनों को मोदी सरकार ने संसद में तो छल-कपट से पास करा लिया लेकिन सड़क पर उन्हें जबरदस्त चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। मोदी सरकार लाख कह रही है कि मकसद किसानों की भलाई है लेकिन किसान इसे स्वीकार नहीं कर पा रहे।
पहले अध्यादेश और अब क़ानून बन चुके मोदी सरकार के कृषक चिंताओं का असली मक़सद समझने के लिए आपको आरएसएस-बीजेपी की राजनीतिक विचारधारा को समझना होगा। जिन्होंने ग़रीबों को सब्सिडी देने और सार्वजनिक क्षेत्र में निवेश का विरोध करते हुए बाज़ार अर्थव्यवस्था, फ़्री मार्केट इक़ॉनमी का हमेशा समर्थन किया है। मोदी सरकार पहले दिन से ही ग़रीबों की सब्सिडी घटाने, महारत्न और नवरत्न कही जाने वाली सार्वजनिक कंपनियों की संपत्तियां बेचने पर ज़ोर देती रही है। उसने अपने पसंदीदा कॉरपोरेट्स को क़र्ज माफी और संकटग्रस्त कंपनियों की बेशक़ीमती संपत्तियां एनसीएलटी के ज़रिए कौड़ियों के भाव देकर बैलेंस शीट सुधारने का मौक़ा भी दिया है। ऐसे में मकसद मुक्त बाज़ार है ना कि मुक्त किसान।
इसे समझने के लिए ज़रा 2014 में शांता कुमार के नेतृत्व में उच्च स्तरीय समिति (HLC - High Level Committee) के गठन और उसकी रिपोर्ट को समझना होगा।