ढोल नगाड़े के साथ धूमधाम से दी गई गणपति को विदाई
मनन ढींगरा
हरिद्वार। विद्या विहार कालोनी कनखल के सतगुरु ओमदास आश्रम,में युवा संगठन मोर्चा एवं भारत विकास परिषद् पंचपुरी शाखा के पदाधिकारियों ने मिलकर बड़े ही धूम-धाम से गणपति बप्पा को विदाई दी। विदाई में पूरा मोहल्ला ही उनके साथ चल पड़ा| विदाई से पहले प्रातः यज्ञ का आयोजन किया| लोग गणपति विसर्जन करने बड़े-बड़े ढोल-नगाड़ों के साथ निकले. सड़कों पर उनका उत्साह देखते ही बनता था| बड़ों के साथ-साथ बच्चों ने गुलाल लगाकर व नाचकर गणेश का विसर्जन किया| पुराणों के अनुसार, महर्षि वेदव्यास ने महाभारत को लिपिबद्ध करने के लिए गणेश जी का आह्वान किया था। गणेश जी ने उनकी प्रार्थना को स्वीकार तो किया लेकिन एक शर्त भी रखी कि 'मैं जब लिखना प्रारंभ करूंगा तो कलम को रोकूंगा नहीं, यदि कलम रुक गई तो लिखना बंद कर दूंगा'। वेद व्यास जी ने इस शर्त को मान लिया। व्यास ने आंखें बंद करके गणेश जी को महाभारत सुनाना शुरू किया और गणपति बिना रुके उसे लिपिबद्ध करते थे। 10 दिन बाद जब महाभारत पूरी हुई तब वेदव्यास ने देखा कि गणपति का तापमान बहुत बढ़ा हुआ है। उन्होंने तापमान को कम करने के लिए गणपति जी को पानी में डुबकी लगवाई। तभी से यह गणपति विसर्जन की प्रथा चली आ रही है।