दशको बाद माचिस के बढ़े दाम, अब माचिस मिलेगी दो रूपयें में।
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मनोज ननकानी/बिपुल सकलानी
हरिद्वार - दशकों से हम लोगों को हर तरफ महगाई से कई चीजों के महंगे होने का पता चलता है। उसी में यदि हम माचिस की बात करें तो यह सोचने वाली बात है कि 14 साल से हम लोग माचिस मात्र 1 रूपये में ही खरीदते आ रहे हैं। यह एक विचित्र बात है कि इतने सालों से इसकी कीमतों में कोई परिवर्तन नहीं आया। जैसा की अन्य चीजों में आया है। यह लाइटर का जमाना है, लेकिन माचिस की डिमांड और कारोबार पहले जैसा ही है। आमतौर पर भारत पर माचिस के दाम में एक दशक के बाद बदलाव होता है, लेकिन इस बार करीब 14 साल के बाद माचिस की कीमतें बढ़ी हैं, कीमत में 100 फीसदी बढ़ोत्तरी यानी एक रूपये वाली माचिस की डिब्बी अब 2 रूपये में मिलेगी।
माचिस के दाम इससे पहले 2007 में बढ़े थे। तब 50 पैसे की माचिस 1 रूपये की हो गई थी। शिवकाशी में ऑल इंडिया चैंबर ऑफ मैचेस ने करीब 14 साल बाद माचिस का दाम बढ़ाने का फैसला लिया है। माचिस की कीमतों में बढ़ोतरी के पीछे लागत बढ़ने का हवाला दिया गया है।
भारत में वर्ष 1950 में माचिस की एक डिब्बी की कीमत महज 5 पैसे थी। जो 1994 में बढ़कर 50 पैसे की हो गई , उसके बाद 2007 में कीमत 50 पैसे से बढ़कर 1 रूपये की हो गयी थी। माचिस के प्रत्येक बॉक्स में 50 तीलियां होती थीं, लेकिन अब तक हमें इसकी 36 तीलियां मिलती थी। वर्तमान में माचिस की कीमत 2 रूपये होने के बाद अब इसकी तीलियों की संख्या को भी बढ़ाया जा रहा है और दो रूपये की माचिस की डिब्बी में अब 50 तीलियां होगी।
भारत में फिलहाल माचिस की कई कंपनिया हैं। भारत में सबसे बड़ा माचिस उद्योग तमिलनाडु में है। मुख्यतौर पर तमिलनाडु के शिवाकाशी, विरूधुनगर, गुडियाथम और तिरूनेलवेली मैन्युफैक्चरिंग सेंटर हैं।